पांच राज्यों में एक्जिट पोल्स आफ पोलरिस, भाजपा बहुमत से रोक रही तृणमूल कांग्रेस को

5 राज्यों के एग्जिट पोल:बंगाल में सीटों का खेला होबे, पोल ऑफ पोल्स में तृणमूल को बहुमत से रोकती दिख रही भाजपा
नई दिल्ली29 अप्रैल।5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की वोटिंग होने के बाद गुरुवार को शाम 6:30 बजे एग्जिट पोल आए। सबसे ज्यादा चौंकाया बंगाल ने, जहां के 9 एग्जिट पोल आए हैं। 5 में ममता बनर्जी की तृणमूल को बहुमत हासिल होता दिख रहा है, या फिर वो उसके काफी करीब है। 3 पोल्स में भाजपा को बहुमत मिलता दिख रहा है। यहां के सभी रुझानों में तृणमूल को सीटों का नुकसान साफ दिखाई दे रहा है और आसार हंग असेंबली के भी बन सकते हैं।

तमिलनाडु जहां पहली बार जयललिता और करुणानिधि के बगैर विधानसभा चुनाव हुए हैं, यहां द्रमुक की वापसी के रुझान हैं। 6 पोल्स में से सभी ने इस बार द्रमुक के पास सत्ता जाने का अनुमान जताया है। असम की बात करें तो यहां अभी भाजपा गठबंधन सत्ता में है। सभी 6 पोल्स में भाजपा गठबंधन को बहुमत मिलता दिख रहा है।

केरल की बात करें तो यहां कांग्रेस और लेफ्ट एक-दूसरे के विरोध में रहते हैं, वहीं बंगाल में ये मिलकर चुनाव लड़ते हैं। यहां अभी लेफ्ट की अगुआई वाले LDF की सरकार है। कांग्रेस की अगुआई वाला UDF यहां विपक्षी गठबंधन है। सभी 6 रुझानों में सत्ता LDF के पास जाती ही दिख रही है।

उधर, पुड्डुचेरी में कांग्रेस सत्ता में है। इस बार भी वह द्रमुक के साथ मिलकर लड़ रही है। भाजपा और ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस मिलकर लड़ रही हैं। यहां के 5 रुझानों में 4 में सत्ता का बदलाव दिख रहा है। जिनमें भाजपा और ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस को बहुमत मिलता दिख रहा है।

बंगाल के बाकी 3 एग्जिट पोल्स

P मार्क ETG रिसर्च इंडिया टीवी पीपुल्स पल्स
तृणमूल 158 169 88
भाजपा+ 120 110 192
लेफ्ट+कांग्रेस 14 12 12
कई बार सीटों को लेकर एग्जिट पोल के अनुमान सटीक नहीं होते

पिछले 5 लोकसभा चुनाव यानी 1999 से लेकर अब तक 2019 तक 37 बड़े एग्जिट पोल आए, लेकिन करीब 90% अनुमान गलत साबित हुए।
1999 में हुए चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल्स ने NDA की बड़ी जीत दिखाई थी। उन्होंने NDA को 315 से ज्यादा सीट दी थीं। नतीजों के बाद NDA को 296 सीटें मिली थीं।
2004 में एग्जिट पोल पूरी तरह से फेल साबित हुए। अनुमानों में दावा किया गया था कि कांग्रेस की वापसी नहीं हो रही। सभी ने भाजपा को बहुमत मिलता दिखाया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। NDA को 200 सीट भी नहीं मिल सकीं। इसके बाद कांग्रेस ने सपा और बसपा के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाई।
2009 में भी एजेंसियों ने UPA को 199 और NDA को 197 सीटें मिलने के कयास लगाए गए थे, लेकिन UPA ने 262 सीटें हासिल की थीं। NDA 159 सीटों पर सिमटकर रह गया था।
2014 और 2019 में सत्ता का अनुमान सही साबित हुआ

2014 में एग्जिट पोल्स ने NDA को बहुमत मिलता दिखाया था। एक एजेंसी ने भाजपा को 291 और NDA को 340 सीटें मिलने का कयास लगाया था।
नतीजा, अनुमान के काफी करीब रहा। भाजपा को 282 और NDA को 336 सीटें मिलीं।
2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो 10 एग्जिट पोल्स में NDA को दी गई सीटों का औसत 304 था। यानी NDA को दोबारा सत्ता मिलने का अनुमान ठीक था, लेकिन यहां भी सीटों के मामले में अनुमान गड़बड़ हो गए। नतीजों में NDA की बजाय अकेले भाजपा को 303 सीटें मिलीं। NDA के खाते में 351 सीटें आईं।
पिछले साल नवंबर में बिहार के विधानसभा चुनाव के वक्त भास्कर का एग्जिट पोल सबसे सटीक रहा था। भास्कर ने NDA को 120 से 127 सीटें मिलने का अनुमान जताया था। नतीजों में NDA को 125 सीटें मिलीं। जबकि, ज्यादातर चैनलों के एग्जिट पोल में महागठबंधन की सरकार बनने का अनुमान जताया गया था।
एग्जिट पोल्स का इतिहास

भारत में 1960 में एग्जिट पोल का खाका सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (CSDS) ने खींचा था। हालांकि, मीडिया में 1980 के दौर में पहला पोल सर्वे हुआ। उस समय पत्रकार प्रणय रॉय ने मतदाताओं की नब्ज टटोलने की कोशिश की थी। उनके साथ चुनाव विश्लेषक डेविड बटलर भी थे।
दूरदर्शन ने CSDS के साथ 1996 में एग्जिट पोल शुरू किया। 1998 के चुनाव में लगभग सभी चैनलों ने एग्जिट पोल किए थे।
आरपी एक्ट, 1951 का सेक्शन 126 मतदान के पहले एग्जिट पोल सार्वजनिक करने की अनुमति नहीं देता। आखिरी दिन की वोटिंग के बाद ही एग्जिट पोल दिखाए जा सकते हैं।

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