निर्वाचित सदनों में महिला आरक्षण, 11 ज़रुरी सवालों के जवाब

विवेचना: महिला आरक्षण  को  क्या राज्यों की सहमति जरूरी:2026 से पहले क्यों लागू नहीं होगा; विधेयक से संबंधित सभी प्रश्नों के ये हैं उत्तर

मोदी सरकार ने नए संसद भवन की पहली कार्यवाही में मंगलवार को ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पेश किया। महिला आरक्षण पारित कराने को पिछले 27 साल में मौजूदा सरकार समेत 4 सरकारों की ये 11वीं कोशिश है। ये बिल कैसे पारित होगा, कब से लागू होगा, कितने दिनों के लिए है, किन सीटों पर होगा; जैसे जरूरी सवालों के जवाब

1. महिला आरक्षण के लिए पेश विधेयक का नाम क्या है?

महिला आरक्षण के लिए पेश विधेयक का नाम ‘128वां संविधान संशोधन विधेयक 2023′ है, जिसे मोदी सरकार ने ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ नाम दिया है।

विधेयक के अनुसार लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में ‘यथांसभव एक तिहाई सीटें’ महिलाओं के लिए आरक्षित होगीं।  लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इन सीटों पर सिर्फ महिला उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकेंगी।

लोकसभा में ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पेश करते कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल। (Photo: Sansad TV)

2. क्या संसद में बिल पारित होने से सभी राज्यों की विधानसभाओं में भी यह लागू हो जाएगा?

हां होगा, लेकिन इसके लिए एक और प्रक्रिया संपन्न होगी। संविधान संशोधन विधेयक होने से पारण को लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। सुप्रीम कोर्ट वकील विराग गुप्ता के अनुसार विधानसभा सीटों में भी बदलाव होने से में आधे से ज्यादा राज्यों की सहमति भी जरूरी होगी। अगर सभी राज्यों की विधानसभा प्रभावित हो रही है तो राज्य विधानसभायें भी सरकार से मांग कर सकती है कि हमारी सहमति भी लें।

3. क्या ये आरक्षण राज्यसभा और विधानपरिषदों में भी लागू होगा?

नहीं। विधेयक में है कि ये सीधे जनता से निर्वाचित प्रतिनिधियों पर ही लागू होगा। इसका मतलब है कि ये आरक्षण राज्यसभा या सभी 6 विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा। विधेयक में लोकसभा, राज्यों की विधानसभायें और एनसीटी दिल्ली विधानसभा सम्मिलित है।

4. क्या महिला आरक्षण 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू हो पाएगा?

विधेयक में स्पष्ट है कि महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण  परिसीमन के बाद ही लागू होगा। विधेयक के कानून बनने के बाद जो पहली जनगणना होगी, उसके आधार पर परिसीमन होगा। विशेषज्ञों के अनुसार 2026 से पहले परिसीमन लगभग असंभव है, क्योंकि 2021 की जनगणना कोविड-19 से अभी तक नहीं हो सकी है।

विराग गुप्ता के मुताबिक अगर 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा के चुनाव समय पर हुए तो इसमें महिला आरक्षण पारित होने के बावजूद लागू नहीं हो सकेगा।

5. क्या महिला आरक्षण हमेशा को है?

लोकसभा और विधानसभाओं में यह कानून जब लागू हो जाएगा, उसके बाद 15 साल प्रचलित रहेगा। उससे आगे रिजर्वेशन जारी रखने को फिर से बिल लाना होगा और मौजूदा प्रक्रियाओं में उसे पास कराना होगा। अगर 15 साल के बाद तत्समय सरकार नया बिल नहीं लाती है, तो ये कानून अपने आप खत्म हो जाएगा।

6. क्या एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण मिलेगा?

नहीं। एससी-एसटी महिलाओं के लिए आरक्षण एससी-एसटी कोटे से ही मिलेगा। इसे एक उदाहरण से समझिए… इस वक्त लोकसभा में एससी-एसटी को आरक्षित सीट संख्या 131 है। महिला आरक्षण लागू होने पर इनमें से एक तिहाई यानी 44 सीटें एससी-एसटी महिलाओं को आरक्षित हो जाएंगी। बाकी 87 सीटों पर महिला-पुरुष कोई भी लड़ सकता है।

7. क्या ओबीसी महिलाओं को अलग से आरक्षण मिलेगा?

नहीं, इस विधेयक में ओबीसी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।

8. कौन-सी सीटों को महिलाओं के लिए रिजर्व किया जाए, ये कैसे तय होगा?

इसके 3 चरण होंगे… पहले ये बिल पारित होगा। इसके बाद जनगणना और फिर परिसीमन होगा। परिसीमन बाद तय होगा कि कौन सी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होगी। सीटों का चुनाव रैंडम हो सकता है या महिलाओं की जनसंख्या के आधार पर भी हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार  ज्यादातर सीटों पर महिला-पुरुष अनुपात लगभग बराबर होता है, इसलिए आरक्षित सीटें रैंडम चुनने की संभावना ज्यादा है। अगली बार के सीटों पर आरक्षण रोटेशन के आधार पर होगा और हर परिसीमन के बाद सीटें बदली जा सकेंगी।

इसे एक उदाहरण से समझिए- अभी लोकसभा में 543 सीटें हैं। महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद इनमें से एक तिहाई यानी 181 सीटें महिला आरक्षित हो जाएंगी। रोटेशन सिस्टम के बाद हर अगले चुनाव में 181 सीटें बदल जाएंगी।

यानी 181 महिला सांसदों का टिकट कट जाएगा या वे अपनी मौजूदा सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। इसी तरह पिछले चुनाव की अनरिजर्व्ड 362 सीटों में से 181 सांसद चुनाव नहीं लड़ पाएंगे या उनकी सीट बदल जाएगी। इसका मतलब है कि हर चुनाव में 362 सांसदों का या तो टिकट कट जाएगा या उनकी सीटें बदल जाएंगी।

9. क्या एक महिला, महिलाओं के लिए आरक्षित एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकती है?

नहीं। अगर कोई महिला, महिला आरक्षित सीट से चुनाव लड़ रही है तो वो दूसरी महिला आरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़ सकती। वो एक आरक्षित और एक अनारक्षित सीट पर चुनाव लड़ पाएगी या नहीं, इसका जिक्र विधेयक में नहीं है।

10. क्या मौजूदा लोकसभा और विधानसभाओं पर इस बिल का कोई असर पड़ेगा?

नहीं। मौजूदा लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं पर इस विधेयक का कोई असर नहीं पड़ेगा। यानी अभी जितने सांसद या विधायक हैं, उनकी संख्या में बदलाव नहीं होगा।

11. क्या आरक्षण बिल लागू होने के बाद महिलाएं केवल आरक्षित सीटों से ही चुनाव लड़ पाएंगी?

नहीं। लोकसभा की 543 सीटों में से 181 पर तो महिला ही चुनाव लड़ेंगी। बाकी बची हुई सीटों पर हर वर्ग की महिलाएं चुनाव लड़ सकेंगी, वैसे ही जैसे अभी लड़ती हैं।

 

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