उमरा के नाम पर भीख मांगने वाले पाकिस्तानी गिरोह

उमरा के बहाने पाकिस्तान से आने वाले भिखारियों के गिरोह से परेशान है सऊदी अरब

विदेश में पाकिस्तानी भिखारियों के गिरोह का पर्दाफ़ाश

इस महीने पाँच अक्टूबर 2023 को, दो पुरुष और दो महिलाओं का एक गिरोह भीख मांगने को उमरा के बहाने, सऊदी अरब जाने को लाहौर के अल्लामा इक़बाल हवाई अड्डे पर पहुँचा.

पंजाब के क़सूर ज़िले के भिखारियों के इस ‘संगठित गिरोह’ में नसरीन बीबी, उनके चाचा असलम, चाची परवीन और भाई आरिफ़ शामिल थे.

ये चारों क़रीबी रिश्तेदार हसीन सपने लेकर एयरपोर्ट पर स्थित एफआईए इमिग्रेशन काउंटर पहुंचे.

इससे पहले नसरीन बीबी 16 बार जबकि परवीन नौ बार उमरा करने या ज़ियारतों पर जाने के बहाने भीख मांगने, सऊदी अरब, ईरान और इराक़ जा चुकी हैं.

हालांकि असलम और आरिफ़ सऊदी अरब का दौरा पहली बार कर रहे थे, लेकिन पूर्व में वो कई बार ज़ियारत के बहाने कई बार भीख माँगने के लिए ईरान और इराक़ की यात्रा कर चुके हैं.

एफआईए इमिग्रेशन पर तैनात अधिकारियों ने चारों लोगों से पूछताछ के बाद, उन्हें विमान में चढ़ने से रोक दिया और ‘ट्रैफ़िकिंग इन प्रसन एक्ट 2018’, के तहत मुक़दमा दर्ज कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया.

एफ़आईआर के मुताबिक़, पूछताछ के दौरान चारों ने क़बूल किया कि वो उमरा के नाम पर सऊदी अरब जा रहे थे, लेकिन उनका असली मक़सद वहाँ जाकर भीख मांगना था.

एफ़आईआर के अनुसार, ये चारों पहले भी सऊदी अरब, ईरान और इराक़ भीख मांगने के लिए जा चुके हैं.

एफ़आईआर के मुताबिक़, अभियुक्तों और उनके एजेंट जहांज़ेब के बीच मोबाइल पर मैसेज के ज़रिये हुई बातचीत से भी इस गिरोह के विदेश में भीख मांगने के सबूत हैं. उनके मोबाइल को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है.

नसरीन बीबी और परवीन को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया जबकि बाक़ी दोनों अभियुक्त मोहम्मद असलम और आरिफ़ पूछताछ के लिए हवालात में बंद हैं.

नसरीन बीबी ने 9 अक्टूबर को स्थानीय अदालत में पेशी के मौक़े पर अदालत के बाहर कहा, “क्या हमें इस तरह गिरफ़्तार करने से यह समस्या हल हो जाएगी? क्या इस देश में लोग भूख से नहीं मर रहे हैं, क्या रोज़ी कमाने का हक़ नहीं होना चाहिए.”

अरब में भीख मांगने से पाकिस्तान की बदनामी नहीं होती?

हज या उमरा के नामपर जाते हैं अरब और वहां मांगते हैं भीख

नसरीन बीबी के मुताबिक़ ये काम इस तरह गिरफ़्तारियों से नहीं रुकेगा. “हम ग़रीबों को तो आसानी से पकड़ लिया, क्या कभी किसी ताक़तवर को भी पकड़ा है यहाँ.”

जब उनसे सवाल किया गया कि क्या देश से बाहर जाकर भीख मांगने जाने से पाकिस्तान की बदनामी नहीं होती, तो उन्होंने जवाब दिया, कि ”पहले कौन से झंडे गड़े हैं.”

ध्यान रहे कि हाल ही में ओवरसीज़ पाकिस्तानी मंत्रालय के सेक्रेटरी ज़ुल्फ़िक़ार हैदर ने सीनेट की स्थायी समिति को बताया था कि विदेशों में गिरफ़्तार किए गए 90 प्रतिशत भिखारी पाकिस्तान के हैं.

इस दावे के बाद पड़ताल में इस बात का पता चला कि एक योजनाबद्ध तरीक़े से पाकिस्तान में मौजूद एजेंट भिखारियों या ज़रूरतमंद लोगों को भी मांगने मध्य-पूर्व के देशों, ख़ासकर सऊदी अरब, ईरान और इराक़ भेजते हैं. भीख मांगने से जमा रक़म में इन एजेंट्स का भी हिस्सा होता है.

हालांकि, हाल ही में, सऊदी सरकार की तरफ़ से इस मामले पर पाकिस्तानी सरकार से औपचारिक शिकायत हुई और संघीय गृह मंत्रालय को इस मुद्दे का हल निकालने को निर्देश भी जारी किए. इसी का नतीजा है कि नसरीन बीबी और उनके परिवार की गिरफ़्तारी हुई.

पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के अनुसार, पिछले दिनों में मुल्तान और सियालकोट से भी कुछ ऐसे गिरोह गिरफ़्तार हुए हैं जो लोगों को उमरा के बहाने सऊदी अरब लेकर जाते हैं.

अब तक ऑफ़ लोड होकर गिरफ़्तार होने वालों की संख्या 37 है.

पहली बार जा रहे थे सऊदी अरब

भीख मांगने के लिए ईरान और इराक़ तक गए पाकिस्तानी

नसरीन बीबी के चाचा असलम और भाई आरिफ़ ने बीबीसी को बताया कि वे उमरा करने के बहाने भीख मांगने पहली बार सऊदी अरब जा रहे थे. माजिद अली का कहना है कि उनका पूरा परिवार भीख मांगता है और यह पीढ़ियों से चल रहा है.

हमने वीज़ा और टिकट की व्यवस्था के लिए एजेंट को प्रति व्यक्ति दो लाख 30 हज़ार रुपये एजेंट को दिए थे. उनके मुताबिक़, इन सभी लोगों को सऊदी अरब में क़रीब 20 दिन तक रहना था.

“मैं पहले बंदर बनकर गलियों और मोहल्लों में मांगता था, लेकिन फिर भीख मांगने ईरान और इराक़ भी गए .”

आरिफ़ के मुताबिक़, ईरान और इराक़ में ख़र्च निकाल कर एक ट्रिप पर 20 से 30 हज़ार रुपये प्रति व्यक्ति कमाते थे.

आरिफ़ का कहना था कि “ईरान, इराक़ और सऊदी अरब जाकर कभी गूंगा बनकर तो कभी हाथ से रोटी खाने का इशारा करके भीख मांगते थे.

आरिफ़ कहते हैं कि ‘इस तरह ज़ियारतों का भी सफ़र हो जाता था और पैसे भी बन जाते थे.’

जिन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है वो उन लोगों के बारे में कुछ नहीं बता रहे हैं जो उन्हें सऊदी अरब में मदद दिलाते हैं.

लेकिन एफ़आईए जांच अधिकारियों के अनुसार, एफआईए के उपनिदेशक एंटी ह्यूमन सर्कल मुहम्मद रियाज़ ख़ान की निगरानी में उन लोगों के ख़िलाफ़ जांच चल रही है, जो सऊदी अरब में ऐसे लोगों को रहने के अलावा और दूसरी सुविधाएं दिलाते हैं,.

विदेशों में भीख मांगना संगठित अपराध का हिस्सा

हज, उमरा के नाम पर आसानी से मिल जाता है वीजा

मोहम्मद रियाज़ ख़ान ने दावा किया है कि “अब तक की जांच से यह सामने आया है, कि विदेशों में जाकर भीख मांगना एक संगठित अपराध बन चुका है, जिसमें पाकिस्तान के साथ साथ विदेशों के भी कई गिरोह शामिल हैं.”

एफआईए के अनुसार, ‘इस केस में भी चारों आरोपित और एजेंट में तय हुआ था कि कमाई का आधा हिस्सा एजेंट को मिलेगा, जिसने न केवल उनके यात्रा दस्तावेजों का इंतज़ाम किया बल्कि सऊदी अरब में उनके रहने और अन्य ज़रूरतों का भी बंदोबस्त किया.

यहाँ रुपये मिलते हैं, सऊदी अरब में रियाल में भीख मिलती है

सोशल मीडिया पर फ़ेसबुक पेज चलाते एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर उमरा के नाम पर सऊदी अरब ले जाने के बारे में कहा, कि “यहां रुपये मिलते हैं.सऊदी अरब में रियाल में भीख दी जाती है.ज़मीन-आसमान का फ़र्क़ है.”

उन्होंने बताया कि मैं यहाँ से लोगों को मजदूरी और उमरा के नाम पर सऊदी अरब लेकर जाता रहा हूं.कभी 16 कभी 25 लोग होते हैं. पांच महीने तक ऐसा करता हूं.

यह शख्स भी पाकिस्तान में काम करने वाले बहुत से दूसरे एजेंटों की तरह फ़ेसबुक और व्हाट्सएप्प से अपना काम कर रहा है और लोगों को व्हाट्सएप पर सारी जानकारी दिलाता है.

इनका तरीक़ा है कि पाकिस्तान के बहुत लोग मज़दूरी को एजेंटों से संपर्क करते हैं और जो लोग किसी काम को नहीं जाते, उन्हें एजेंट भीख मांगने को कहते हैं.

एजेंट ने बताया कि पाकिस्तान से हर कोई मज़दूरी को नहीं जाता. इसलिए उन्हें कुछ अलग सुजाना पड़ता है.’

“इस समूह का महिलाओं और बच्चे भी हिस्सा बनाया जाता है, ताकि उमरा या ज़ियारत को आसानी से वीज़ा लिया जा सके और फिर उन्हें मक्का और मस्जिद-ए-नबवी के सामने बैठाया जा सके.”

पाकिस्तानी भिखारियों के बारे में कैसे पता चला?

पाकिस्तानी भिखारियों को लेकर सउदी अरब ने साझा किए दस्तावेज

वो आधिकारिक दस्तावेज़ भी हैं जो इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सऊदी अरब की सरकार ने पाकिस्तान सरकार के साथ साझा किए थे। मौजूद आधिकारिक दस्तावेज़ों के अनुसार, 16 जून, 2023 को सऊदी अरब की सरकार ने सऊदी अरब में भीख मांगने, वेश्यावृत्ति, मादक पदार्थों की तस्करी और जाली यात्रा दस्तावेज़ जैसे बढ़ते अपराधों के बारे में पाकिस्तानियों की संलिप्तता के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखित रूप में बताया.
सऊदी अरब की औपचारिक शिकायत के बाद, प्रधानमंत्री कार्यालय ने गृह मंत्रालय और एफआईए सहित इसकी संबंधित संस्थाओं को निर्देश जारी किए, जिस पर एफआईए ने सऊदी अरब सहित अन्य मध्य-पूर्व के देशों में जाने वाले पाकिस्तानियों की हवाई अड्डों पर प्रोफाइलिंग शुरू कर दी.

ओवरसीज़ पाकिस्तानी मंत्रालय के सेक्रेटरी ज़ुल्फ़िक़ार हैदर ने बताया कि उन्हें सऊदी अरब, ईरान और इराक़ की तरफ़ से जानकारी मिली थी, जिसके बाद जानकारी रिपोर्ट के तौर पर पेश की गई.

उन्होंने कहा कि इसके बाद एफआईए को सक्रिय करना पड़ा. जैसा कि आप सभी को पता हैं, इस समय एफआईए मानव तस्करी रोकने को सक्रिय है और उनके बारे में जो भी जानकारी है, वो आप सब के सामने ला रहे हैं.

सामान में भीख मांगने वाले कटोरे भी मिले

एफआईए के उपनिदेशक ख़्वाजा हम्माद-उल-रहमान ने बताया कि सीनेट की स्थायी समिति में ओवरसीज़ पाकिस्तानी मंत्रालय के सेक्रेटरी के खुलासे के बाद यात्रियों की प्रोफाइलिंग शुरू हुई.

ख़्वाजा हम्माद-उल-रहमान ने बताया कि ‘प्रोफाइलिंग का मतलब यात्रियों के ज़रूरी नियमों को चेक करना और उनकी यात्रा के मक़सद की जांच करना है, अगर कोई यात्री उमरा को सऊदी अरब जाना चाहता है, तो क्या उनके आर्थिक हालात इस लायक़ हैं कि वो यह यात्रा कर सकें.

प्रोफाइलिंग की प्रक्रिया में, होटल बुकिंग, वापसी के टिकट की मौजूदगी और यात्रियों के पास मौजूद कैश से भी इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यात्री उमरा के उद्देश्य से ही यात्रा कर रहे हैं या इनका वहां जाने का कोई और उद्देश्य है. ख़्वाजा हम्माद-उल-रहमान ने बताया कि मानव तस्करी की रोकथाम को कुछ साल पहले तक यूरोप और दूसरे देशों की यात्रा करने वाले यात्रियों की प्रोफाइलिंग की जाती थी, लेकिन फिर शिकायतों से हवाई अड्डों पर प्रोफाइलिंग प्रक्रिया रोक दी गई थी.

लेकिन अब सऊदी अरब जाने वाले भिखारियों से संबंधित शिकायतों के बाद इसे फिर से शुरू किया गया है.

प्रोफाइलिंग से एफआईए को पहली बड़ी कामयाबी तब मिली जब 29 सितंबर 2023 को महिलाओं सहित 16 लोगों का गिरोह सऊदी अरब जाने को मुल्तान हवाई अड्डे पर पहुंचा.

नए दिशानिर्देशों में उन लोगों को संदिग्ध समझते हुए इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें बाक़ी यात्रियों से अलग कर उनसे पूछताछ शुरू कर दी. ख़्वाजा हम्माद-उल-रहमान के मुताबिक़, शुरुआती जांच में जब उनकी प्रोफाइलिंग हुई तो ‘वे सब के सब भिखारी निकले.’

न उनके पास होटल बुकिंग थी,न पैसे और न उनकी आर्थिक स्थिति उमरा को सऊदी अरब जाने की थी. जब उनके सामान की तलाशी हुई तो उनके बैग से भीख मांगने के कटोरे भी मिले.

ख़्वाजा हम्माद-उल-रहमान के अनुसार, “जांच में पता चला कि एजेंट नुरू को इन सभी भीख मांगने सऊदी अरब जा रहे लोगों को मदद दिलानी थी.”

एफआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “डील में रोज़ भीख का हिसाब होना था और कमाई के आधे हिस्से का बँटवारा भी रोज़ होना था.

मुल्तान एयरपोर्ट से गिरफ़्तार होने वाले लोगों का क्या कहना है?

पाकिस्तान का मुल्तान एयरपोर्ट जहां पकड़े गए आरोपित

मुल्तान हवाई अड्डे पर गिरफ़्तार होने वालों में लोधरान निवासी शकील भी शामिल थे जो अपनी दो पत्नियों के साथ सऊदी अरब जा रहे थे.

मुल्तान की एक स्थानीय अदालत के बाहर शकील ने बताया कि वह मोटर साइकिल पर फेरी लगाकर बेडशीट बेचते हैं.

उनके अनुसार, उन्हें उमरा को सऊदी अरब जाने का ख्याल उनके दोस्त से आया जो उनके साथ ही फेरी लगाते थे.

मोहम्मद इमरान के मुताबिक़ तीन लाख रुपये में तीनों लोगों की डील हुई थी, वीज़ा और टिकट वगैरह को एजेंट से भी दोस्त ने ही मिलवाया था.

मुल्तान हवाई अड्डे से शुरूआती तौर पर लाहौर कैंट के इस्माइल टाउन इलाक़े की चार महिलाओं को भी हिरासत में लिया गया था, लेकिन उनके ख़िलाफ़ आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई और छूट गई.

इनमें शकीला बीबी,उनकी भांजी और बेटी हैं. गिरोह में लाहौर से सात क़रीबी रिश्तेदार भी थे. ये सातों लाहौर 27 सितंबर को लाहौर लॉरी अड्डे से बस में सवार होकर मुल्तान पहुंचे थे.

पाकिस्तान का लाहौर शहर

लाहौर के इस्माइल टाउन में टूटी फूटी गलियों में एक मंजिला घर में शकीला बीबी चारपाई पर बैठी थी जहाँ उनकी भांजी और बेटी भी थीं.

शकीला बीबी ने दावा किया कि वो भीख मांगने नहीं बल्कि उमरा करने सऊदी अरब जा रहे थे.

शकीला बीबी के अनुसार, भीख मांगने वाले कटोरे भी उनके सामान से नहीं बल्कि दूसरी महिलाओं के सामान से मिले थे.
उनके पति और तीन बेटे बादामी बाग़ सब्ज़ी मंडी में छाबड़ी बेचते हैं और उन्होंने बड़ी मुश्किल से पैसे इकट्ठा करने के बाद उमरा पर जाने का इरादा बनाया था.

उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट पर ‘बोर्डिंग पास जारी हो चुका था और सामान भी जा चुका था’ लेकिन अचानक उन्हें एफआईए वालों ने रोक लिया.

“जब हम इमिग्रेशन करा रहे थे, तब एफआईए ने कुछ लोगों को रोका और फिर उसके बाद हमारी बारी भी आ गई.”

उनसे पूछा गया कि उनके पति या बेटे साथ में उमरा करने क्यों नहीं जा रहे थे,तो परवीन बीबी का कहना था कि उनके पति और बेटों की इच्छा थी कि वे (महिलाएं) उमरा पर जाएं.

दूसरी तरफ़ इस्माइल टाउन के एक स्थानीय दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बस्ती के पुरुष और महिलाएं लाहौर के विभिन्न इलाकों में जाकर भीख मांगते हैं.

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