हाईफा
‘ईरानी हमले में हाइफा पोर्ट तबाह’, अब आया अडानी ग्रुप का बयान, कहा- ये है सच
Israel-Iran के बीच जारी संघर्ष के बीच बैलिस्टिक मिसाइल हमले में इजरायल के हाइफा पोर्ट को नुकसान पहुंचने की खबरों को अडानी ग्रुप की ओर से सिरे से खारिज किया गया है, जिसमें Adani Ports की 70% हिस्सेदारी है.
अडानी ग्रुप ने हाइफा पोर्ट को लेकर जारी किया अपडेट
नई दिल्ली,16 जून 2025,ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष (Iran-Israel Conflict) लगातार बढ़ता जा रहा है और दोनों ओर से मिसाइल अटैक में भारी नुकसान हो रहा है. इस बीच ऐसी खबरें भी आईं कि ईरानी मिसाइल हमले में इजरायल के हाइफा पोर्ट (Haifa Port) को भी नुकसान पहुंचा है, जिसका स्वामित्व गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप (Adani Group) के पास है. लेकिन इसपर ग्रुप सीएफओ जुगेशिंदर रॉबी सिंह ने तस्वीर साफ करते हुए कहा है कि ये गलत खबरें हैं और हाइफा पोर्ट पूरी तरह से चालू है.
अडानी ग्रुप का बयान- ‘ये खबरें गलत’
ईरान-इजरायल के बीच जारी हमलों के बीच Iran Update नाम के सोशल मीडिया अकाउंट पर ब्रेकिंग न्यूज के तौर पर पोस्ट शेयर की गई और इसमें कहा गया है कि ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल हमले में भारतीय कंपनी अडानी ग्रुप की कार्गो फैसिलिटी को भारी नुकसान पहुंचा है और इजरायल स्थित हाइफा पोर्ट ईरानी स्ट्राइक में तबाह हो गया है. इस पोस्ट में अडानी ग्रुप समेत मिसाइल अटैक की कुछ तस्वीरें भी शेयर की गईं. इशके बाद अडानी ग्रुप ने हाइफा पोर्ट पर ईरानी मिसाइल हमले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस तरह की सभी खबरों को गलत करार दिया है.
‘ये तस्वीर हाइफा की नहीं, तेहरान की’
Adani Group के सीएफओ जुगेशिंदर रॉबी सिंह ने इस ईरानी अपडेट पोस्ट को शेयर करते हुए तस्वीर साफ की है और पुष्टि करते हुए बताया है कि हाल ही में ईरान द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल हमले के बावजूद इज़रायल में अडानी समूह का हाइफा पोर्ट पूरी तरह चालू है. उन्होंने कहा कि ईरानी ठिकानों पर इजरायली कार्रवाई के जवाब में किए गए हमले से बंदरगाह को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. उन्होंने अपनी Social Media पोस्ट में लिखा, ‘जो फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की गई है, वो हाइफा पोर्ट की नहीं, बल्कि जलते हुए तेहरान फ्यूल डिपो की है.’ इसके साथ ही जुगेशिंदर रॉबी सिंह ने आगे कहा कि अडानी कार्गो फैसिलिटी को हुए नुकसान के सभी दावे पूरी तरह गलत हैं.
हाइफा में अडानी की 70% हिस्सेदारी
गौरतलब है कि इजरायल का हाइफा पोर्ट (Haifa Port) एक महत्वपूर्ण समुद्री केंद्र है, जो इजराइल के 30 फीसदी से अधिक के आयात का प्रबंधन करता है और इसका स्वामित्व भारतीय अरबपति Gautam Adani की कंपनी अडानी पोर्ट्स (Adani Ports) के पास है. हाइफा पोर्ट में अडानी पोर्ट्स की 70 फीसदी हिस्सेदारी है. यहां बता दें कि अडानी पोर्ट्स द्वारा संभाले जाने वाले कुल कारोबार में हाइफा का योगदान 2 फीसदी से भी कम है और यह इसके राजस्व में लगभग 5% ही यहां से आता है.
Haifa Port Israel
रिपोर्ट की मानें तो हाइफा पोर्ट का निर्बाध संचालन इस तनाव की स्थिति में भी इजराइल की आयात गतिविधियों को स्थिरता दिए हुए हैं. लगभग 700 कर्मचारियों वाला यह Haifa Port सभी परिचालन प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कंटेनर, बल्क, ब्रेकबल्क, सीमेंट और विभिन्न प्रकार के कार्गो का संचालन जारी रखे हुए है.
72 घंटे से जारी जंग, 224 की मौत
Iran-Israel Attack के ताजा अपडेट की बात करें, तो इजरायल ने बीते हफ्ते गुरुवार रात ईरान में भारी तबाही मचाई थी, जिसके बाद से ही दोनों देशों के बीच मिसाइल अटैक जारी हैं. इजरायल ने ईरान के नतांज परमाणु संवर्धन संयंत्र समेत कई परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया और उसके कई सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या कर दी. तो ईरान ने भी जवाबी हमले शुरू किए हैं जिसके बाद सोमवार को ईरानी हमले में तेल अवीव शहर में 12 लोग घायल हो गए. दोनों देशों के बीच लड़ाई शुरू हुए 72 घंटे से अधिक हो चुके हैं और हमले में ईरान के मुताबिक, 224 लोग मारे गए हैं जिनमें अधिकांश नागरिक हैं.
इजरायली हमले बीच तेहरान छोड़ भाग रहे लोग, बॉर्डर की ओर भीषण जाम… ईरान सरकार ने खोले अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन
ईरान की राजधानी तेहरान में लोग खौफ में जी रहे हैं. लोगों को इजरायली हमले का डर सता राह है. ईरानी सरकार की प्रवक्ता फतेमेह मोहजेरानी ने सरकारी टीवी से कहा कि ईरानी लोग इजरायली हमलों के दौरान मस्जिदों और स्कूलों में शरण ले सकते हैं, साथ ही अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों में रह सकते हैं जो अब हमेशा खुला रहेगा.
ईरान की राजधानी तेहरान से बाहर निकलने की होड़. (फोटो- X @boris_beissner, @ThomasVLinge)
ईरान की राजधानी तेहरान से निकलने वाली सड़कें कारों से भरी हैं. रास्तों पर भारी ट्रैफिक जाम है और जिसे देखो उसे शहर से निकल जाने की जल्दी है. ग्रामीण ईरान की ओर जा रही सड़कों पर कारें फर्राटा भर रही है. दरअसल तेहरान पर इजरायली बमबारी, मिसाइलों से हमला, लगातार हो रही मौतें और जख्मी लोगों की कराह ने शहर का माहौल डरावना बना दिया है. इजरायली हमले के बाद ईरान की राजधानी तेहरान में बदहवासी का आलम है. लगातार मिसाइलों के हमले और बमबाजी से जनता खौफ में है.अब आम तेहरानी शहरी इस शहर को जल्द से जल्द छोड़ना चाहता है. इजरायल लगातार तेहरान पर हमला कर रहा है.
CNN ने कुछ लोगों से बात करके कहा कि कुछ लोग ईरान के उत्तर दिशा में देहाती इलाकों में भागने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन लोगों की भारी भीड़ की वजह से सड़कें ठप हो गई हैं. लोग रास्ते में फंसे हैं
जर्मन प्रेस एजेंसी डीपीए के एक रिपोर्टर ने कहा कि तेहरान में गैस के लिए कई किलोमीटर लंबी लाइनें देखी गईं.
दो बच्चों के पिता ने नाम न बताने की शर्त पर CNN से कहा, “मैं अपना घर नहीं छोड़ना चाहता, लेकिन मैं अपने छोटे बच्चों को इस स्थिति में नहीं डालने जा रहा हूं.” “मुझे उम्मीद है कि अमेरिका दोनों देशों के बीच हमलों को रोकने के लिए कदम उठाएगा.”
इस व्यक्ति ने कहा कि उसका परिवार चिंतित है क्योंकि शासन के अधिकारी घनी आबादी के बीच उच्च-मध्यम वर्ग के इलाकों में रहते हैं, जिससे नागरिकों को खतरा है. शुक्रवार की सुबह ईरान पर अचानक हमला करते हुए इजरायली वायु सेना ने शीर्ष ईरानी सैन्य अधिकारियों और वैज्ञानिकों के घरों पर टारगेटेड हमले किए, कुछ तस्वीरों में आवासीय भवनों पर सटीक हमले दिखाए गए हैं.
ईरान की सरकार लोगों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश कर रही है. ईरानी सरकार की प्रवक्ता फतेमेह मोहजेरानी ने सरकारी टीवी से कहा कि ईरानी लोग इजरायली हमलों के दौरान मस्जिदों और स्कूलों में शरण ले सकते हैं, साथ ही मेट्रो सिस्टम में भी शरण ले सकते हैं, जो रविवार रात से हमेशा खुला रहेगा.
उन्होंने कहा, “खाद्य, दवा, ईंधन की उपलब्धि में कोई समस्या नहीं है.” तेहरान के नगर परिषद के अध्यक्ष मेहदी चरमन ने कहा कि शहर में बम आश्रयों की कमी के कारण विकल्प तलाशे जा रहे हैं. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “दुर्भाग्य से, तेहरान और हमारे अन्य शहरों में आश्रय नहीं हैं.” उन्होंने कहा कि इजरायल में मरने वालों की संख्या कम है क्योंकि देश में बम आश्रय हैं और हमलों के लिए नियमित अभ्यास आयोजित किए जाते हैं. चरमन ने कहा कि बेसमेंट एक विकल्प है और “चरम” स्थिति में, भूमिगत मेट्रो का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसे बंद करना होगा.
चरमन ने 1980 के दशक में इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन के साथ हुए ईरानी युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि हम भूमिगत पार्किंग स्थल भी तैयार कर सकते हैं, जैसा कि सद्दाम ने हम पर बमबारी के समय किया था.”
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए कुछ तस्वीरों में कारों से भरी सड़के दिख रही हैं.
कुछ लोग ईरान से तुर्किए की ओर भागने की कोशिश कर रहे हैं. यहां भी बॉर्डर लोगों से भरा हुआ है.
एक स्थानीय पत्रकार ने आज एक्स पर एक पोस्ट और वीडियो डालकर लिखा कि सुबह से ही तेहरान से बड़ी संख्या में कार जा रहे हैं. हजारों लोग शहर छोड़कर उत्तरी एग्जिट मार्ग पर हैं. इस शख्स ने लिखा, “तेहरान से नाटकीय तरीके से पलायन जारी है, प्रमुख राजमार्गों और शहर की सड़कों पर जाम लगा हुआ है, क्योंकि तेहरानी लोग संभावित इजरायली हवाई हमलों से बचने के लिए भागने की कोशिश कर रहे हैं.
तेहरान से बाहर जाने के लिए पैदा हुई भगदड़ की स्थिति के बीच एक और शख्स ने लिखा है, “तेहरान में अराजकता की स्थिति है. ईरान में बढ़ती आशंकाओं के बीच लोग शहर छोड़कर भाग रहे हैं.
एक यूजर ने लिखा है कि ईरानियों के देश छोड़कर भागने के कारण ईरान-तुर्किये सीमा पर बज़ारगान सीमा पर भारी भीड़ जमा हो गई है.
इधर ईरान-अज़रबैजान सीमा पर जेट उड़ान भर रहे हैं. सीमा पर संभावित शरणार्थियों की आमद की स्थिति में हालात से निपटने के लिए अजरबैजान भी तैयारी कर रहा है.
इस बीच ईरान की सरकारी मीडिया ने बताया कि ईरान ने संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस को चेतावनी दी है कि यदि वे तेहरान के इजरायल पर हमलों को रोकने में मदद करते हैं, तो क्षेत्र में उनके ठिकानों और जहाजों को निशाना बनाया जाएगा.
ईरान पिछले शुक्रवार से इजरायल पर मिसाइलों और ड्रोनों की भारी बौछारें कर रहा है, अधिकांश ईरानी मिसाइलों और ड्रोनों को इजरायल की वायु रक्षा द्वारा रोक दिया गया है, हालांकि कुछ बच गए हैं, जिससे कम से कम 16 लोग मारे गए और शहरी क्षेत्रों में सैकड़ों लोग घायल हो गए.
गौरतलब है कि अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि सेना पहले से ही ड्रोन और मिसाइलों को मार गिरा रही है. हालांकि अभी तक न तो फ्रांस और न ही ब्रिटेन ने इन हमलों को रोकने में मदद की है, हालांकि पेरिस ने कहा है कि वह ऐसा कर सकता है, और लंदन ने भी इस संभावना से इनकार नहीं किया है.
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इजरायल-ईरान संघर्ष
गौतम अडानी
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