मित्रा बंधु पुण्य स्मरण: कालीदास को कालीघाट षड्यंत्र में जेल हुई तो अनंतहरी को सुपरिटेंडेंट चटर्जी हत्या में फांसी

…………………………………………………………… चरित्र-निर्माण, समाज-सुधार तथा राष्ट्रवादी जन-चेतना के लिए समर्पित *मातृभूमि सेवा संस्था* (राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत) आज देश के ज्ञात व अज्ञात राष्ट्रभक्तों को उनके अवतरण, स्वर्गारोहण व बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन करती है।🙏🙏🌹🌹🌹🌹
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🔥 *अनंतहरी मित्रा * 🔥

राष्ट्रभक्त साथियों, आज हम बात करेंगे एक ऐसे अमर बलिदानी की, जिनका जन्म सन् 1906 में जिला नदिया के बेगमपुर गाँव (बंगाल) में हुआ था। उनके पिता के दो भाई थे, रामलाल मित्रा एवं मोतीलाल मित्रा जो मूलतः जोशोर (संयुक्त बंगाल) से संबंधित थे। मित्रा परिवार में कुल 05 पुत्र हुए जिनमे से *04 भाई सक्रिय रूप से सशस्त्र स्वतंत्रता संग्राम’ में लिप्त थे तथा विभिन्न क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़े थे।* इनमे से दो भाई प्रमुख तौर पर आगे आये। पहले थे अनंतहरी मित्रा एवं दूसरे थे कालिदास मित्रा । दोनों भाइयों ने कई आंदोलनों में एक साथ भागीदारी की। इसी के चलते उन्होंने अनुशीलन समिति के सक्रिय सदस्य हो गए। एक ओर जहाँ कालीदास मित्रा ने अपना रुख जहाँ *कालीघाट षड्यंत्र/कालीघाट क्रांतिकारी घटना* की ओर मोड़ लिया वहीं दूसरी ओर अनंतहरी मित्रा   भी गाँधीवादी विचार धारा को त्याग कर रेड बंगाल पार्टी में शामिल हो गए। उस वक़्त उक्त पार्टी ने बंगाल के विभिन्न जिलों में संगठनों का गठन किया। अनंतहरी मित्रा  ने कृष्णानगर का प्रभार संभाला। सन् 1921 असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लिया लेकिन बाद में वो एक क्रांतिकारी बन गए और कई क्रांतिकारी योजनाओं के लिए बम तैयार किये। अनंतहारी को 10 नवम्बर, 1925 को *दक्षिणेश्वर बम फैक्टरी* से गिरफ्तार किया गया और उसी के लिए अलीपुर जेल भेज गया। दूसरी ओर कालीदास मित्रा ने तब तक कालीघाट षड्यंत्र को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया  था।

📝उसी दौरान उन्हें उनके ममेरे भाई, जो कि उस वक़्त सी०आई०डी० विभाग में थे, ने उन्हें अवगत कराया कि उनकेे खिलाफ *शूट एट साइट* का आदेश जारी हुआ है और उन्हें तत्काल बंगाल छोड़ना होगा। आदेशानुसार कालीदास सपरिवार बनारस प्रस्थान कर गए। वहाँ उन्होंने पोस्ट एन्ड टेलीग्राम विभाग में कार्य करना शुरू किया। साथ ही गुप्त एजेंडे के अंतर्गत क्रांतिकारी गतिविधियों को भी आगे बढ़ाते गए जिसकी भनक उनके परिवार तक को नही हुई। इसी के विपरीत अनंतहरी मित्रा  को अलीपुर जेल के बम बाड़े में कुछ सदस्यों के साथ रखा गया था, जहाँ उन्होंने *प्रमोद रंजन चौधरी * एवम् अपने सहयोगियों के साथ मिलकर डिप्टी सुपरिटेंडेंट भूपेन चटर्जी को मौत के घाट उतार डाला। भूपेन चटर्जी ने ही उक्त वक़्त कालीघाट षड्यंत्र के आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर उनको सज़ा दिलवाई थी और बाकी बचे आरोपितों के खिलाफ ‘शूट एट साइट’ का आर्डर जारी किया था। इसी हत्या के मुख्य आरोपित के तौर पर 28 सितम्बर 1926 महज़ 20 वर्ष की आयु में अनंत हरि मित्रा को फांसी की सज़ा हुई। श्री दीपंकर मित्रा  इसी महान क्रांतिकारी के पौत्र हैं, जो हमारी संस्था के समूह की शोभा बढ़ा रहे हैं। *अल्पायु में देश के लिए सर्वस्व न्योछवर करने वाले ऐसे क्रांतिवीरों के सम्मान में हम सदैव नतमस्तक रहेंगे।*

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✍️ *गौतम कुमार बनर्जी*
उपाध्यक्ष: मातृभूमि क्रांतिकारी शोध प्रकोष्ठ
🇮🇳 *मातृभूमि सेवा संस्था 9891960477* 🇮🇳

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