मुरादाबाद में 22 पाक नागरिकों का 580 का कुनबा,पाक महिला पुत्र उ. प्र. में गुप्तचर: गोद में आए 3 पाकी बने दादा-नाना
पाकिस्तानी महिला का बेटा उत्तर प्रदेश गुप्तचर विभाग में अफसर: गोद में आए 3 पाकिस्तानी दादा-नाना बने; मुरादाबाद में 22 पाक नागरिकों ने बनाया 580 का कुनबा
ये पाक नागरिक मुसर्रत जहां हैं। जिनका बेटा यूपी में खुफिया विभाग में अफसर है।
मुरादाबाद में 22 पाकिस्तानी नागरिकों ने 580 लोगों का फलता फूलता कुनबा बसा लिया है। इनमें वो 3 पाक नागरिक भी हैं जो दशकों पहले नन्हीं उम्र में अपनी पाकिस्तानी मां की गोद में आए थे। मां के साथ यहीं बस गए इन पाक नागरिकों ने यहीं शादियां रचाईं और अब दादा
मुरादाबाद में लांग टर्म वीजा पर रह रही एक पाक महिला का बेटा तो यूपी के खुफिया विभाग में बड़े अहम पद तक पहुंच चुका है। इन दिनों वेस्ट यूपी के मेरठ रेंज के एक जिले में इसकी तैनाती है। इस पर खुफिया निगहबानी का पूरा जिम्मा है। पाक महिलाओं के बच्चे पुलिस ही नहीं दूसरे विभागों में विभिन्न पदों पर हैं। पाक नागरिकों का 580 लोगों का कुनबा यहां बढ़ता ही जा रहा है। हालांकि, इंडिया में जन्म की वजह से इनके पास भारतीय नागरिकता है। लेकिन इनकी माएं अभी भी लांग टर्म वीजा पा ही हैं।
मुरादाबाद में तैनात खुफिया विभाग के एक अफसर का कहना है कि, मुरादाबाद में कुल 22 पाक नागरिक हैं जो यहां एलटीवी पर रह रहे हैं। इनमें से 3 पुरुष और 19 महिलाएं हैं। सभी महिलाएं वो हैं जो शादी करके यहां आई हैं। 3 पुरुष पाक नागरिक वो हैं जो अपनी-अपनी मां के साथ यहां आए। मसलन पहले से शादीशुदा किसी पाकिस्तानी महिला ने पहले पति से तलाक के बाद इंडिया में दूसरी शादी की तो पहले शौहर से पैदा बच्चे को भी अपने साथ ले आई।
नन्हीं उम्र में यहां आए तीनों पाकिस्तानी बच्चों ने भी बड़े होकर यहीं ब्याह-शादी रचा ली। इसके बाद यहीं रच बस गए। इनका भी अपना बड़ा कुनबा बस चुका है। ये दादा-नाना बन चुके हैं। कुल मिलाकर मुरादाबाद में रह रहे 22 पाकिस्तानी नागरिकों के 95 बच्चे हैं। फिर इन 95 बच्चों के करीब 500 बच्चे हैं। खुफिया विभाग ने इनके कुनबे की कुल तादाद 580 काउंट की है।
ये रही मुसर्रत जहां की कहानी
मुसर्रत जहां उर्फ मुमताज को कराची में शौहर ने दिया तलाक मुरादाबाद के जिगर कालोनी में पिछले करीब 45 सालों से रह रही पाकिस्तानी नागरिक मुसर्रत जहां उर्फ मुमताज की कहानी थोड़ी दिलचस्पी है। मुसर्रत जन्म से पाकिस्तानी नहीं हैं। उनका जन्म रामपुर में मोहल्ल टाट शाह मियां की जियारत के पास हुआ था। इनके पिता का नाम मोहम्मद रसूल था। 1981 में मुसर्रत का निकाह पाकिस्तान के करांची में फिरदौस कालोनी में रहने वाले मोहम्मद जमीर के साथ हुआ था। शादी के कुछ दिन बाद ही मुसर्रत को पाकिस्तान की नागरिकता मिल गई थी। उनका पाकिस्तानी पासपोर्ट भी बन चुका था। लेकिन सालभर बाद ही 1982 में मुसर्रत का अपने शौहर मोहम्मद जमीर के तलाक हो गया।
शौहर से तलाक के बाद मुसर्रत जहां उर्फ मुमताज 1982 में अपने पिता के घर रामपुर लौट आई। लेकिन पाकिस्तानी नागरिकता मिल जाने से वो एक पाक नागरिक के रूप में इंडिया वापस आई। तभी से मुसर्रत जहां भारत में लांग टर्म वीजा पर एक पाकिस्तानी नागरिक के रूप में रह रही हैं।
मुसर्रत का बेटा खुफिया विभाग में अधिकारी, मेरठ रेंज में तैनात
1985 में मुसर्रत जहां के पिता ने उनका दूसरा निकाह रामपुर निवासी मोहम्मद तमसील के साथ करा दिया। जबकि दूसरे शौहर से मुसर्रत को एक बेटा और 2 बेटियां हैं। परिवार का कहना है कि मुसर्रत जहां का बेटा आदिल खुफिया विभाग में अधिकारी है। इन दिनों उसकी पोस्टिंग मेरठ रेंज के एक जिले में बताई जा रही है। आदिल की पत्नी फरहा और 6 साल का बेटा बाबर है। बेटी समीना परवीन के शौहर मोहम्मद फहीम पेशे से डॉक्टर हैं। छोटी बेटी सायमा रामपुर में अपने शौहर ताहिर खान के साथ रहती है।
मुसर्रत जहां अपनी कहानी सुनाते हुए रोने लगती हैं। वो कहती हैं- मेरा जन्म हिंदुस्तान में हुआ फिर भी मेरे माथे पर पाकिस्तानी का ठप्पा लगा है। मेरे निकाह की वजह से मुझे पाकिस्तान की नागरिकता मिली थी। निकाह तो तलाक से टूट गया लेकिन पाकिस्तानी होने का लेवल 45 साल बाद भी लगा है।
अब आपको पढ़वाते हैं पाक नागरिक सायरा सिद्दीकी की कहानी
1980 में शादी करके मुरादाबाद आईं, अब दादी-नानी बन चुकीं सायरा सिद्दीकी पाकिस्तानी नागरिक हैं। पिछले करीब 45 सालों से वो मुरादाबाद में किसरौल ख्वाजा नगरी मोहल्ले में रह रही हैं। सायरा मूल रूप से पाकिस्तान में सिंध प्रांत के हैदराबाद शहर में सदर कैंट एरिया निवासी हैं। सायरा सिद्दीकी बताती हैं- बंटवारे के वक्त हमारे दादा की कुछ फैमिली इंडिया में रह गई तो कुछ पाकिस्तान चली गई थी। मुरादाबाद में मेरे ताऊ का घर है। मैं यहां आती रहती थी। इस बीच 1980 में मेरे ताऊ के बेटे मोहम्मद हसीन सिद्दीकी के साथ मेरा निकाह तय कर दिया गया। मैं निकाह करके इंडिया चली आई। तब से यहीं रह रही हूं। नागरिकता के लिए कई दफा आवेदन किया लेकिन दोनों मुल्कों के बीच के हालात की वजह से मुझे भारत की नागरिकता नहीं मिल सकी। लिहाजा मैं 45 साल से यहां लांग टर्म वीजा पर रह रही हूं।
बेटे-बेटियों का निकाह हुआ, उनके भी बच्चे, बोलीं-अब तो मैं हिंदुस्तानी
सायरा के एक बेटा और तीन बेटियां हैं। पति मोहम्मद हसीन गैस बेल्डिंग का काम करते थे। उनकी 2 साल पहले मौत हो चुकी है। सायरा बताती हैं- मेरे बेटे जमाल सिद्दीकी और मेरी तीनों बेटियों का निकाह हाे चुका है। एक पोता एक पोती भी है। तीन बेटियों के भी बच्चे हैं। अब तो मैं दादी-नानी बन चुकी हूं। बेशक लांग टर्म वीजा पर हूं लेकिन मेरा घर परिवार और वतन तो अब यही है। मायके में तो अब मां और वालिद रहे नहीं। 6 भाई थे उनका भी इंतकाल भी हो गया। अब तो कभी कभार ब्याह शादी में ही बतौर रिश्तेदार जाना होता है।
मुरादाबाद में पाक नागरिक सायरा सिद्दीकी अपने बेटे बहू और पोते पोतियों के साथ।
पहलगाम में जो हुआ वो शर्मसार करने वाला
सायरा कहती हैं- पहलगाम में जो हुआ वो शर्मसार करने वाला है। जिन परिवारों ने अपनों को खोया है वही इसका दर्द जान सकते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए था। ऐसे दरिंदों को सजा मिलनी ही चाहिए। सायरा कहती हैं- मेरे लिए तो यही मेरा मुल्क है। यहीं मरूंगी और इसी से मोहब्बत करती हूं।