पहलगाम आतंकी हमले का बदला कैसे लेगा भारत? क्या हैं विकल्प?
Pahalgam Terror Attack How Will India Take Revenge Commando Action Send Jet Or Missile Or Any New Option Being Considered
पहलगाम आतंकी हमले का भारत कैसे लेगा बदला, कमांडो एक्शन, जेट से हमला या किसी नए विकल्प पर हो रहा विचार?
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। हमले में 28 पर्यटक मारे गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोषियों को बख्शने की बात कही है। सेना और कूटनीतिक इकाई मिलकर जवाब देने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ गया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने हमले के दोषियों को नहीं बख्शने की बात कही
सेना और कूटनीतिक टीम कार्रवाई के विकल्पों पर विचार कर रही
पाकिस्तान के जनरल मुनीर के बयान का हमले से संबंध देखा जा रहा है.
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पाकिस्तान को किस तरह से मिलेगा जवाब
नई दिल्ली 23 अप्रैल 2025। भारत, पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेने की तैयारी कर रहा है। मंगलवार (22 अप्रैल) को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 28 लोगों को मार दिया गया था। इनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। यह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़ा हुआ आतंकी संगठन है और इसे पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का समर्थन हासिल है। पहलगाम के पास बैसरन में हुआ यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा हमला है। पुलवामा में सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया था। लेकिन इस बार आम नागरिकों को निशाना बनाया गया, जिनमें विदेशी भी शामिल हैं।
‘दोषियों को क्षमा नहीं ‘
इस हमले के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली लौट आए। उन्होंने दिल्ली एयरपोर्ट पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर से महत्वपूर्ण बैठक की। पीटीआई सूत्रों के अनुसार, मोदी ने टॉप सुरक्षा अधिकारियों से कहा, ‘इस कायरतापूर्ण हमले के दोषियों को क्षमा नहीं मिलेगी।’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को पहलगाम के बैसरन घास के मैदान में हमले की जगह देखी। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। उन्हें अधिकारियों ने मौजूदा स्थिति और इलाके में चल रहे ऑपरेशनों की जानकारी दी। इस बीच, भारत की सेना और कूटनीतिक इकाई दो तरह से हमले का जवाब देने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इसमें सैन्य कार्रवाई भी शामिल है और कूटनीतिक तरीके भी।
यह क्यों है जरूरी?
2021 में भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर संघर्ष विराम हुआ था। इससे सीमा पर होने वाली गोलीबारी कम हो गई थी। लेकिन, अब यह समझौता टूटने के कगार पर है। साउथ एशिया के एक्सपर्ट माइकल कुगेलमैन ने X पर लिखा, ‘LoC को लेकर अब कोई शर्त नहीं है।’
2016 से भारत दो बड़े आतंकी हमलों के बाद सीमा पार जाकर कार्रवाई कर चुका है। पहले उरी हमले के बाद पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की गई और फिर बालाकोट में एयर स्ट्राइक। नागरिकों पर हुए इस हमले के बाद भारत पर फिर से कार्रवाई करने का बहुत ज्यादा दबाव है। हमले का समय बहुत महत्वपूर्ण है। पहलगाम हमला अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा और प्रधानमंत्री मोदी के सऊदी अरब दौरे के समय हुआ। इससे लगता है कि हमलावरों का उद्देश्य कश्मीर पर दुनिया का ध्यान खींचना था। पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने इस हमले की तुलना हमास के 7 अक्टूबर के हमले से की है। उन्होंने इसके गंभीर परिणाम होने की चेतावनी दी है।
आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस
भारत पहले भी आतंकी हमलों का जवाब दे चुका है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी यह बात फिर से दोहरायी है कि बहुत जल्द जोरदार जवाब दिया जाएगा।
उरी सर्जिकल स्ट्राइक (2016) : सेना के बेस पर हमले के 11 दिन बाद, भारतीय स्पेशल फोर्सेज ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार करके पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था।
बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019) : पुलवामा में 40 सीआरपीएफ (CRPF) जवानों के बलिदान के बाद, भारत ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग सेंटर पर एयरस्ट्राइक की थी। ये कार्रवाई भारत की ‘सजा देने वाली नीति’ की ओर इशारा करती है। इसका मतलब है कि भारत हमला करने वालों को निश्चित सबक सिखाएगा। लेकिन, इस बार यह किस तरीके से होगा, पहलगाम में हुए हमले के बाद इसकी परीक्षा होनी है।
पाकिस्तान की गंदी चाल
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हाल के बयानों पर भारतीय खुफिया एजेंसियां ध्यान रख रही हैं। उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की ‘जुगुलर वेन’ (गले की नस) बताया था। इसे सिर्फ एक भड़काऊ बयान नहीं माना जा रहा है, बल्कि आतंकियों को हमले करने का इशारा भी माना जा रहा है। मुनीर ने कहा था, ‘हमारा रुख बिल्कुल साफ है – कश्मीर हमारी जुगुलर वेन थी, यह हमारी जुगुलर वेन रहेगी, हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके संघर्ष में नहीं छोड़ेंगे।’
इशारों में दिया हमले का संकेत
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि यह बयान पहलगाम हमले से कुछ दिन पहले ही आया था। मुनीर ने भावनात्मक भाषा इस्तेमाल की। विश्लेषकों का मानना है कि यह आतंकियों को हमले करने को उकसाने का तरीका था। एक भारतीय सुरक्षा अधिकारी ने इसे ‘डॉग-व्हिसलिंग’ बताया। इसका मतलब है कि बिना सीधे तौर पर कहे किसी को कुछ करने को उकसाना। अधिकारी ने कहा, ‘उन्हें ‘हमला’ कहने की जरूरत नहीं है। सिर्फ ‘जुगुलर वेन’ कहना ही उनके लिए काफी है।
हमले से ISI कनेक्शन
द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली है। TRF लश्कर-ए-तैयबा का एक संगठन है। इसे ISI का समर्थन तो मिलता है, लेकिन इससे पाकिस्तान पर सीधे तौर पर आरोप नहीं लगाया जा सकता है। हमले के तरीके से भी पता चलता है कि मुनीर के बयानों का इस पर असर पड़ा है। बचे लोगों ने बताया कि बंदूकधारियों ने पीड़ितों को इस्लामिक आयतें पढ़ने को कहा। जो लोग नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई। हमले से कुछ दिन पहले, लश्कर कमांडर अबू मूसा ने रावलकोट में एक रैली की थी। इसमें उसने कश्मीर में जिहाद जारी रखने की बात कही थी। उसने कहा था, ‘जिहाद जारी रहेगा, बंदूकें गरजती रहेंगी और कश्मीर में सिर काटे जाते रहेंगे।’ भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों का इस हमले में हाथ है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि पाकिस्तान कश्मीर को अस्थिर करना चाहता है, भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करना चाहता है और सांप्रदायिक दंगे भड़काना चाहता है।
पहलगाम हमले के जवाब के 4 विकल्प?
इन हालातों में भारत के पास पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देने को क्या विकल्प हो सकते हैं?सुरक्षा विश्लेषक और सैन्य सूत्र मोटे तौर पर इसके लिए 4 तरह के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। (नीचे ग्राफिक्स देखें)
पहला विकल्प, उरी की तरह की सर्जिकल स्ट्राइक हो सकती। तब रात के समय में कमांडो टीम ने नियंत्रण रेखा के तीन किलोमीटर अंदर तक घुसकर आतंकी लॉन्च पैड का सफाया किया था। इसके पक्ष में तर्क यह है कि इसका हमारे पास अनुभव है। लेकिन, जोखिम ये है कि अब पाकिस्तानी आतंकी कैंप ने खुद को पहले से ज्यादा मजबूत कर लिया है।
दूसरा विकल्प, बालाकोट की तरह एयर स्ट्राइक करने का है। इसमें भारतीय वायुसेना राफेल, Su-30MKI या यहां तक कि क्रूज मिसाइलों का भी इस्तेमाल कर सकती है। इसका फायदा है कि हम 30 किलोमीटर से लेकर 150 किलोमीटर पाकिस्तान के अंदर सक्रिय आतंकी कैंप तबाह कर सकते हैं। लेकिन, इसके लिए ठोस इंटेलिजेंस और संभावित चुनौतियों के बारे में भी सोचना आवश्यक है।
तीसरा विकल्प, हथियारबंद ड्रोन के झुंड भेजकर आतंकी कैंप निशाना बनाये जा सकते हैं। इसके लिए कई तरह के अत्याधुनिक ड्रोन विकल्प मौजूद हैं। इसमें किसी पायलट के जान का जोखिम भी नहीं रहेगा। लेकिन, पाकिस्तान इसका किस हद तक काउंटर कर सकता है, इसका अनुमान अभी नहीं है।
चौथा विकल्प, इसे सुरक्षा एजेंसियां और एक्सपर्ट कोवर्ट डिकैपिटेशन स्ट्राइक कहते हैं। इसमें पाकिस्तान की जमीन पर ही आतंकी नेतृत्व का गोपनीय तरीके से सफाया करना है। इससे पाकिस्तान और आतंकी संगठनों का मनोबल तोड़ना आसान है। लेकिन, इसमें लंबा वक्त लग सकता है और देश में बदले का सीधा संदेश देने में कठिनाई आ सकती है।
अंजन कुमार