आपरेशन सिंदूर जारी है: पाकिस्तानी पंजाब में धान,कपास, गन्ना..सब होगा बरबाद
धान, कपास, गन्ना… सब हो जाएगा बर्बाद, 2 दिन में सूख गई चिनाब, भारत के सिंधु एक्शन से सहमा पाकिस्तान
India Water Strike : पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने चेनाब नदी का पानी कम कर दिया है, जिससे पाकिस्तान चिंतित है. चेनाब नदी पाकिस्तान की कृषि के लिए महत्वपूर्ण है. जानें इस पानी रुकने से पाकिस्तान पर क्या-क्या असर पड़ सकता है.
मुख्य बिंदू
1-भारत ने चेनाब में पानी का बहाव 91,000 क्यूसेक तक कम कर दिया है.
2-यह नदी पाकिस्तान के पंजाब में खेती के लिए जीवन रेखा है.
3-इससे वहां धान, कपास और गन्ने की फसलें बर्बाद हो सकती हैं
देहरादून 01 जून 2025। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत क वॉटर स्ट्राइक से पाकिस्तान का दम फूला हुआ है. पाकिस्तान ने अब दावा किया है कि भारत ने चेनाब नदी में पानी का बहाव 91,000 क्यूसेक तक कम कर दिया है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की जल और विद्युत विकास प्राधिकरण (WAPDA) ने बताया कि यह गिरावट पिछले दो दिनों में दर्ज की गई. WAPDA के अनुसार, 29 मई को माराला हेडवर्क्स पर 98,200 क्यूसेक पानी बह रहा था, जो 1 जून तक घटकर मात्र 7,200 क्यूसेक रह गया.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की वॉटर स्ट्राइक से पाकिस्तान का दम फूला हुआ है. फाइल फोटो Reuters
पाकिस्तान मौसम विभाग के फ्लड फोरकास्टिंग डिवीजन ने कहा है कि मई के शुरु में भी इसी तरह पानी की कमी देखने को मिली थी, जब भारत ने चिनाब का पानी रोक दिया था. दरअसल भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि (IWT) ठंडे बस्ते में डाल दी है. केंद्र सरकार का साफ कहना है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. यानी एक तरफ पाकिस्तान में बैठे आतंकी भारत में खून बहाए, उसी दौरान पाकिस्तान से जल साझा करना देशहित के खिलाफ है.
पाकिस्तान के लिए कितनी महत्वपूर्ण है चेनाब?
चेनाब नदी पाकिस्तान, खासकर पंजाब प्रांत की खेती की जीवनरेखा जैसी है. अपर चेनाब और बीआरबी (बम्बावाली-रावी-बेडियन) जैसी इसकी नहरें हजारों एकड़ खेतों को सिंचाई का पानी उपलब्ध करती हैं. अगर पानी का प्रवाह लंबे समय तक बाधित रहता है, तो इससे फसल उत्पादन पर बड़ा असर पड़ सकता है. पहले ही भारी महंगाई से जूझ रहे पाकिस्तानियों के लिए इससे खाले के और लाले पड़ सकते हैं.
चेनाब नदी जम्मू-कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र से निकलकर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में प्रवेश करती है. यह नदी वहां की कृषि की जीवन रेखा है. सिंधु रिवर सिस्टम पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि भूमि की सिंचाई करता है. इसमें चेनाब, झेलम, और सिंधु नदी शामिल हैं. इन नदियों से पाकिस्तान को कुल 93% पानी मिलता है, जो खेती, पीने के पानी, और बिजली उत्पादन के लिए उपयोग होता है.
चौपट हो सकती हैं चार फसलें
चेनाब नदी विशेष रूप से पंजाब के मैदानी क्षेत्रों में धान, गेहूं, कपास, और गन्ने जैसी खरीफ फसलों के लिए महत्वपूर्ण है. पाकिस्तान की सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण (IRSA) की सलाहकार समिति ने अनुमान लगाया है कि चेनाब नदी में पानी की आपूर्ति घटने से खरीफ सीजन (मई से सितंबर) में 21% तक पानी कम हो सकता है. यह कमी शुरुआती खरीफ सीजन में और भी गंभीर हो सकती है, क्योंकि इसी समय फसलों को सबसे अधिक पानी चाहिए होता है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान लगभग 24% है, और यह देश की 40% से अधिक आबादी को रोजगार देती है. पंजाब प्रांत पाकिस्तान का ‘अन्न भंडार’ कहलाता है. यहां खेती-बाड़ी चेनाब नदी के पानी पर निर्भर है. ऐसे में पानी रोके जाने से धान और कपास की फसलें चौपट हो सकती हैं. उदाहरण को, धान की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 1500-2000 मिलीमीटर पानी आवश्यक होता है और चेनाब की नहरें इसकी पूर्ति करती हैं.
पानी की 21% कमी से उपज 15-20% घट सकती है, जिसका सीधा असर खाद्य सुरक्षा और निर्यात पर पड़ेगा. कपास पाकिस्तान की टेक्सटाइल उद्योग की रीढ़ है, वह भी पानी की कमी से प्रभावित होगी, क्योंकि यह खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है. इसके अलावा, गन्ना और मक्का जैसी फसलों को भी नुकसान पहुंचेगा, जिससे किसानों की आय और बाजार में खाद्य पदार्थों की कीमतों पर दबाव बढ़ेगा.
‘टेरर और वॉटर को हल्के में नहीं ले पाकिस्तान’
भारत का रुख है कि इस ऐतिहासिक संधि को मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार दोबारा ढाला जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान बार-बार शांति का उल्लंघन करता रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दो टूक कहा था, ‘पाकिस्तान आतंक और पानी – दोनों को हल्के में नहीं ले सकता.’
पाकिस्तान ने इस स्थिति को ‘पानी को हथियार के रूप में इस्तेमाल’ कहा है, जबकि भारतीय अधिकारियों का कहना है कि भारत ने अपनी वैध जल अधिकारों का प्रयोग किया है और यह फैसला लगातार उकसावे के जवाब में लिया गया है.
भारत को सिंधु जल संधि में पूर्वी नदियों पर पूरा अधिकार और पश्चिमी नदियों (जैसे चेनाब) पर सीमित अधिकार प्राप्त हैं. ऐसे में भारत की तरफ इस जल प्रवाह को रोकने को वह अपने वैध अधिकारों में मानता है.
EXPLAINER: क्या है सिंधु जल समझौता? जानिए भारत के एक्शन के बाद पाकिस्तान पर क्या होगा असर
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित करने की घोषणा की है। भारत की तरफ से कहा गया है कि वह पाकिस्तान के साथ इस संधि को अब नहीं ढोएगा। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान में तबाही मचना तय माना जा रहा है।
1-पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सिंधु जल संधि स्थगित कर दी है।
2-भारत ने कहा है कि वह पाकिस्तान से इस संधि को अब नहीं ढोएगा।
3-भारत के फैसले से पाकिस्तान में तबाही तय मानी जा रही है।
पहलगाम हमले बाद भारत ने पाकिस्तान से सिंधु जल संधि स्थगित कर दी है। भारत ने कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ इस संधि को अब नहीं ढोएगा। भारत के फैसले से पाकिस्तान में तबाही मचना तय है। संधि से पाकिस्तान को भारत से बड़े पैमाने पर पानी मिलता है।
क्या है सिंधु जल समझौता ?
19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान में विश्व बैंक की मध्यस्थता में समझौता हुआ था जिससे सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल का दोनों देशों में बंटवारा होना था। दोनों देश में 9 साल लंबी बातचीत बाद 1960 में दोनों ने सिंधु जल संधि पर दस्तखत किए थे। तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में समझौते पर हस्ताक्षर किए .
भारत के एक्शन के बाद पाकिस्तान पर क्या होगा असर?
संधि में, भारत को तीन पूर्वी नदियों का पानी मिलता है, जिसमें रावी, व्यास और सतलुज शामिल है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों का पानी मिलता है, जिसमें चिनाब, झेलम और सिंधु शामिल है। समझौता रद्द करने से चिनाब, झेलम और सिंधु नदी का जल पाकिस्तान को मिलने में दिक्कत हो सकती है। बता दें, पाकिस्तान में पंजाब और सिंध प्रांत के लोग खेती और अन्य जरूरतों के लिए पूरी तरह से इन नदियों पर निर्भर हैं। समझौता रद्द होने से ये दोनों प्रांत पंजाब और सिंध पानी को तरस जाएंगे।
पहलगाम आतंकी हमले में 26 की मौत
याद रहे, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को भीषण आतंकी हमले में 26 जानें गई थी । 20 से ज्यादा लोग गंभीर घायल हुए हैं। हमला तब किया गया, जब बैसरन घाटी में बड़ी संख्या में पर्यटक मौजूद थे।
मृतकों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के पर्यटक थे। इसके अलावा एक-एक नेपाल और UAE के नागरिकों भी हमले मारे गए। दो स्थानीय निवासी भी जान गंवा बैठे।
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