कृतज्ञता: राफेल और S-400-भारी विनाश बचा गई पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की दृढ़ दूरदर्शिता

Manohar Parrikar Bought S400 From Russia Dgmo Meeting Rafale France Us Threat Chinese and Pakistan Missiles Failed
S-400 और  राफेल के लिए किसने लिया अमेरिका से पंगा…सुदर्शन चक्र के आगे फेल हुई चीन-पाकिस्तान की मिसाइलें
S-400 from Russia: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी POK में आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए। बौखलाए पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए, मगर भारत के सुदर्शन चक्र यानी S-400 डिफेंस सिस्टम और राफेल जेट जैसे विमानों ने इन हमलों को विफल कर दिया। मगर, पर्दे के पीछे किसका दिमाग था, यह जानते हैं।

नई दिल्ली 13 मई 2025 : ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी POK में घुसकर आतंकी ठिकानें नष्ट कर दिये। बदले में बौखलाए पाकिस्तान ने ताबड़तोड़ हमले किए, जिसे भारत का सुदर्शन चक्र कहे जाने वाले एस-400 ने विफल कर दिया। पाकिस्तान के हमलों से भारत और भारतीयों को बचाए रखा। इसके अलावा, बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानें नष्ट करने में भारतीय राफेल बेजोड़ साबित हुए। भारत समेत दुनिया भर में एस-400 और राफेल की चर्चा हो रही है। मगर, यहां जानते हैं कि इस सुदर्शन चक्र और राफेल की जुगलबंदी को भारतीय सेना में शामिल करने वाला एक राजनीतिज्ञ था, जिसने अमेरिका के आगे घुटने नहीं टेके और अपने फैसले पर डटा रहा। जानते हैं वो कहानी।
S-400 and Rafaleभगवान कृष्ण की तरह सुदर्शन चक्र ने हमें बचाया

 

माना जाता है कि भारतीय नागरिक रात में चैन की नींद इसलिए सो पा रहे हैं, क्योंकि एस-400 ट्रायंफ वायु रक्षा प्रणाली हमें पाकिस्तान की मिसाइलों और ड्रोन से बचा रही है। पाकिस्तान ने 7 मई की रात से लेकर 8 मई तक लगातार मिसाइलों और ड्रोनों का हमला किया। पाक ने जम्मू, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया। मगर, उसका सारा निशाना बेकार चला गया। वजह यह रही कि ‘सुदर्शन चक्र’ ने रास्ते में ही उन्हें बेअसर कर दिया और भारत की रक्षा की। ठीक वैसे ही जैसे भगवान कृष्ण ने महाभारत में इसका इस्तेमाल किया था।
पर्रिकर जब S-400 और राफेल के लिए अड़ गए
पाकिस्तान की दागी गई एक भी मिसाइल लक्ष्य पर नहीं लग सकी क्योंकि एस-400 रक्षा प्रणाली और आकाश रक्षा प्रणाली ने हर हमला प्रभावी ढंग से विफल कर दिया। एस-400 सुदर्शन चक्र ने पाकिस्तान के साथ सैन्य तनाव की इस घड़ी में देश की सबसे मजबूत हवाई ढाल बन गया है। आज जिस सुदर्शन चक्र और राफेल पर हम इतरा रहे हैं उसे देश के दिवंगत पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने खरीदा था। हालांकि, जब वह इसे खरीदने की प्लानिंग कर रहे थे तब उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। आज उनकी यही दूरदर्शिता भारत को ऐसी युद्धक कार्रवाई से देश को बचा रही है।

क्या है S-400 सुदर्शन चक्र, पहले इसे समझते हैं
S-400 ट्रायम्फ रूस में बना निर्मित दुनिया का सबसे बेहतरीन लंबी दूरी का वायु रक्षा हथियार है, जो 600 किलोमीटर की सीमा के भीतर कई हवाई लक्ष्यों को ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है। इसकी खूबी यह है कि यह एक साथ करीब 90 टार्गेट्स को नष्ट करने की शानदार क्षमता रखता है। यह बहुस्तरीय सुरक्षा करता है। यही नहीं एकसाथ कई हमले को विफल करने में निर्णायक साबित हुआ है। इसके इंटरसेप्टर ने ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया है। यही वजह है कि भारतीय वायु सेना में इसे ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया है।

सुदर्शन चक्र की तैनाती कहां पर है, पाकिस्तान में भय
सुदर्शन चक्र भारत की उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर रणनीतिक रूप से तैनात है। यह लड़ाकू विमानों से लेकर ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों तक कई तरह के हवाई खतरों का पता लगा सकता है, उन्हें ट्रैक कर सकता है और नष्ट कर सकता है। 2018 में एस-400 के तीन स्क्वाड्रन आ चुके हैं और तब से तैनात हैं, इस साल और भी स्क्वाड्रन आने की उम्मीद है। अक्टूबर 2018 में रूस के साथ 35,000 करोड़ रुपए के सौदे में इन्हें तैनात किया गया था। इस सौदे पर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मौजूदगी में नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए थे।

पर्रिकर ने एस-400 सिस्टम डील पर लगाई थी मुहर
रूस के साथ एस-400 सिस्टम की डिलीवरी के लिए 5 अक्टूबर, 2018 को डील पर हस्ताक्षर किए गए थे। हालांकि, डिलीवरी 2021 के अंत में शुरू हुई। सरकार ने 2021 में कहा था-एस-400 मिसाइल बहुत बड़े क्षेत्र में निरंतर और प्रभावी वायु रक्षा प्रणाली प्रदान करने की अपनी परिचालन क्षमता के मामले में एक शक्तिशाली प्रणाली है। इस प्रणाली के शामिल होने से देश की वायु रक्षा क्षमता में काफी वृद्धि होगी।

पर्रिकर ने ऐसे बताई थी राफेल की खूबी
2018 में पूर्व रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर की राफेल डील को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका रही है। पर्रिकर ने कहा था कि राफेल के आने से भारत, पाकिस्तान की हवाई क्षमता पर भारी पड़ेगा। इसका टारगेट अचूक होगा। राफेल ऊपर-नीचे, अगल-बगल यानी हर तरफ निगरानी रखने में सक्षम है। मतलब इसकी विजिबिलिटी 360 डिग्री होगी। पायलट को बस विरोधी को देखना है और बटन दबा देना है और बाक़ी काम कंप्यूटर कर लेगा। इसमें पायलट के लिए एक हेलमेट भी होगा।

तब पर्रिकर ने कहा था-पाकिस्तान हमसे आगे?
उस वक्त पर्रिकर ने कहा था-1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना पाकिस्तान पर इसलिए हावी रही थी क्योंकि भारत की मिसाइलों की पहुंच एसयू-30 और मिग-20 के साथ 30 किलोमीटर तक थी। दूसरी तरफ पाकिस्तान की पहुंच 20 किलोमीटर तक ही थी। इसलिए हम आगे रहे। हालांकि, 1999 से 2014 के बीच पाकिस्तान ने अपनी क्षमता को बढ़ाकर 100 किलोमीटर तक कर लिया। जबकि भारत इस दौरान अपनी पहुंच 60 किलोमीटर तक ही बढ़ा पाया। मतलब हम लोग अभी खतरे में हैं। पाकिस्तानी लड़ाकू विमान हम पर हमले करेंगे तो हम पलटवार नहीं कर पाएंगे। राफेल के आने के बाद हमारी पहुंच 150 किलोमीटर तक हो जाएगी।

पर्रिकर ने एस-400 की खरीद की वकालत की थी
एस-400 उन्नत वायु रक्षा प्रणाली लगभग एक दशक पहले दिवंगत रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की दूरदर्शिता का नतीजा है। 2016 में भारत की दीर्घकालिक वायु रक्षा योजनाओं में बदलाव आना शुरू हुआ। अपनी गहरी बुद्धि और ईमानदारी के लिए जाने जाने वाले पर्रिकर ने भारत के रक्षा मंत्रालय में इंजीनियरिंग कौशल और राजनीतिक स्पष्टता का एक दुर्लभ मिश्रण लाया।

पर्रिकर की बदौलत भारत को मिला आसमानी रक्षा कवच
पर्रिकर के नेतृत्व में देश की वायु रक्षा रणनीति का विश्लेषण करने के लिए एक व्यापक समीक्षा शुरू की गई थी। इस समय पर किए गए हस्तक्षेप की बदौलत भारत ने तकनीकी रूप से बेहतर एस-400 प्रणाली हासिल की। भारतीय वायु सेना को वैश्विक प्रणालियों का मूल्यांकन करने और देश के तीन-स्तरीय रक्षा ढांचे को परिष्कृत करने का काम सौंपा गया था। छोटी दूरी (25 किमी तक), मध्यम दूरी (लगभग 40 किमी) और लंबी दूरी की रक्षा प्रणाली और नतीजे महत्वपूर्ण थे। उस वक्त यह माना गया था कि एस-400 डिफेंस प्रणाली 400 किमी से अधिक दूरी से खतरों को रोकने में सक्षम है।

अमेरिका के कड़े विरोध के बावजूद पर्रिकर अड़े रहे
नरेंद्र मोदी सरकार को अमेरिका की ओर से डाले गए बहुत से दबावों का सामना करना पड़ा। जब भारत ने 2018 में रूस के साथ 5 बिलियन डॉलर के सौदे में एस-400 रक्षा प्रणाली खरीदने का फैसला किया था। अमेरिका ने तीन साल पहले सार्वजनिक रूप से कहा था कि वह भारत को रूस से एस-400 खरीदने से हतोत्साहित कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप सरकार और जो बाइडेन प्रशासन दोनों ही भारत के रूस से एस-400 हासिल करने के खिलाफ थे। हालांकि, कूटनीतिक दबाव के बावजूद पर्रिकर ने अपनी बात पर अड़े रहे।

अमेरिका ने तो बाकायदा पाबंदी की धमकी भी दी थी
अमेरिका में पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन ने अपने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट (सीएएटीएसए) में प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी थी। 2017 में पारित सीएएटीएसए में मॉस्को के साथ व्यापार करने वाले देशों के खिलाफ प्रतिबंधों का प्रावधान था। हालांकि, पर्रिकर ने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता देते हुए इस सौदे को आगे बढ़ाया। उनका मानना था कि भारत के आसमान को इस स्तर की सुरक्षा की आवश्यकता है। यही वजह है कि देश उनके इस नजरिए के लिए कृतज्ञ है!

 

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