विवेचन: चीनी मिसाइल PL-15 ने आपरेशन सिंदूर में चकित किया, मिला नमूना भारतीय वैज्ञानिकों को अवसर भी

Chinese Pl-15 Missile Fired By Pakistan A Threat To Indias Air Defense Operation Sindoor India 2025
भारत की एयर डिफेंस को कैसे सबसे बड़ा सिरदर्द बनी चीनी मिसाइल PL-15
हाल ही में पंजाब के होशियारपुर में मिली चीनी PL-15 मिसाइल,जिसे पाकिस्तान के लड़ाकू विमान से दागा गया था, ने रक्षा विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है। यह मिसाइल, जो अपनी दूरी, गति और मार्गदर्शन को जानी जाती है, अमेरिका को अपनी मिसाइल तकनीक बेहतर बनाने को प्रेरित कर रही है।
नई दिल्ली19 मई 2025।   11 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर मार्शल ए. के. भारती ने कुछ तस्वीरें दिखाईं। ये तस्वीरें चीन की बनी PL-15 मिसाइल की थीं। यह मिसाइल पंजाब के होशियारपुर में मिली थी। इसे पाकिस्तानी लड़ाकू विमान से दागा गया था। तब भारत और पाकिस्तान में चार दिनों तक लगभग युद्ध जैसे हालात थे। सात साल पहले, जब यह मिसाइल पहली बार दिखायी गयी थी, तो इसे अमेरिका और यूरोप की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से बेहतर बताया गया था। कहा गया था कि यह मिसाइल दूरी, गति और मार्गदर्शन के मामले में सबसे आगे है। लेकिन, “ऑपरेशन सिंदूर” में इस मिसाइल के इस्तेमाल के बाद, लोगों को लगने लगा है कि क्या यह चीनी हथियार अपनी श्रेणी में सबसे अच्छा साबित हुआ है?
Chinese PL-15 Missile
PL-15 चीन के लिए एक बड़ी उपलब्धि क्यों थी?
अमेरिका ने कई साल पहले AIM मिसाइलें बनाई थी। ये मिसाइलें अमेरिकी सेना का मुख्य हथियार हैं और इनमें कई बार सुधार किए गए हैं। लेकिन, AIM-120 का नया वर्जन यूरोप और चीनी मिसाइलों से थोड़ा पीछे माना जाता है। चीन की पहली अच्छी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल PL-12 थी। यह मिसाइल 2005 के आसपास आई। इसके बाद, चीन ने PL-15 के साथ एक बड़ी छलांग लगाई।

AIM की तरह, PL-15 में भी ईंधन का ठोस मोटर है। लेकिन, दूसरी मिसाइलों से अलग, इसमें दोहरी-पल्स ठोस मोटर है। मतलब इसमें मोटर चलाने को ठोस ईंधन के दो हिस्से हैं, एक नहीं। इन दोनों हिस्सों के बीच में एक परत आग को फैलने से रोकती है। इससे मिसाइल अपनी जरूरत के हिसाब से ईंधन इस्तेमाल कर सकती है,ताकि वह अपनी गति या दूरी बढ़ा सके।

PL-15 का गति में सबसे करीबी मुकाबला यूरोप के कई देशों की मिलकर बनाई गई Meteor मिसाइल से है। इस मिसाइल में भी ईंधन का मजबूत मोटर है, लेकिन इसमें रैमजेट भी है। रैमजेट एक ऐसा इंजन है जो तरल ईंधन से चलता है और मिसाइल को गति और दूरी बढ़ाने में मदद करता है। भारत के राफेल विमानों में रक्षा कंपनी MBDA की बनाई Meteor मिसाइलें लगी हैं।

हालांकि, माना जाता है कि PL-15 अपने लक्ष्य तक पहुंचते-पहुंचते बहुत ज़्यादा गति पकड़ लेती है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के एक सीनियर फेलो, डगलस बैरी ने 2022 में एक ब्लॉग में लिखा था, “Meteor की गति Mach 3-3.5 के बीच होने की संभावना है, जबकि PL-15 की गति Mach 5 से ज़्यादा होने की संभावना है।” Mach 5 का मतलब है ध्वनि की गति से पांच गुना ज़्यादा। राफेल विमान की टॉप स्पीड Mach 1.5 है और कुछ ही लड़ाकू विमान Mach 2 से ज़्यादा की स्पीड तक पहुंच पाते हैं। ज़्यादातर लड़ाकू विमान Mach 3 से ज़्यादा की स्पीड पर नहीं जाते हैं, ताकि पायलट विमान को ठीक से कंट्रोल कर सके और ईंधन की खपत भी ज़्यादा न हो।

हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें कैसे काम करती हैं?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (AAMs) में बहुत बदलाव आया, लेकिन इनका मूल ढांचा वही रहा है। हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (AAMs) में एक मोटर इसे आगे बढ़ाता है। इसमें एक सीकर सेक्शन और पंख होते हैं जो इसे लक्ष्य की ओर ले जाते हैं। जब मिसाइल लक्ष्य से टकराती है या उसके करीब पहुंचती है, तो वारहेड सेक्शन में विस्फोट होता है।

समय के साथ, इन मिसाइलों में काफ़ी सुधार हुआ। अब ये मिसाइलें बहुत दूर तक जाकर भी लक्ष्य मार सकती हैं। साथ ही, इन्हें गाइड करने वाली तकनीक भी बेहतर हुई है, ताकि ये तेज़ गति वाले विमानों को भी पकड़ सकें। पहले, ये मिसाइलें विमानों के इंजन से निकलने वाली गर्मी ट्रैक करके उन्हें निशाना बनाती थीं। लेकिन, अब ये ध्वनि की गति से चार गुना ज़्यादा स्पीड तक पहुंच सकती हैं और इन्हें किसी दूसरे विमान से भी गाइड किया जा सकता है।

अमेरिका कई दशकों से हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल तकनीक में सबसे आगे रहा है। उसकी मिसाइलों का इस्तेमाल युद्ध में सबसे ज़्यादा हुआ है। ये मिसाइलें भरोसेमंद मानी जाती हैं और समय के साथ बेहतर होती रही हैं। सोवियत संघ को शीत युद्ध में इस तकनीक के मामले में अमेरिका का निकटतम माना जाता था, लेकिन USSR टूटने के बाद उसका मिसाइल कार्यक्रम रुक गया।

चीन का हवा से हवा में मार करने वाला मिसाइल कार्यक्रम शुरू में पूरी तरह से सोवियत संघ की मदद पर निर्भर था। उसके उत्पाद ज़्यादातर रूसी मिसाइलों के वर्जन थे। लेकिन, पिछले कुछ दशकों में चीन का मिसाइल कार्यक्रम तेज़ी से आगे बढ़ा है । कुछ लोगों का मानना है कि उसने अमेरिका भी पीछे छोड़ दिया है। UK रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि PL-15 की रेंज अमेरिकी मिसाइल से ज़्यादा है, लेकिन Meteor का ‘नो एस्केप ज़ोन’ 100 किलोमीटर से ज़्यादा हो सकता है। इसका कारण इसमें लगा रैमजेट प्रोपल्शन सिस्टम है। ‘नो एस्केप ज़ोन’ का मतलब है वह क्षेत्र जहां लक्ष्य विमान मिसाइल से बच नहीं सकता है।

मिसाइल लक्ष्य तक पहुंचाना
हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल तभी अच्छी होती है जब वह लक्ष्य ट्रैक कर सके। ऐसा करने को, इन मिसाइलों को जेट इंजन से निकलने वाली गर्मी ट्रैक करने से लेकर रडार से गाइड किए जाने तक, कई बदलावों से गुज़रना पड़ा है। आपने फिल्मों में देखा होगा कि लक्ष्य विमान मिसाइलों को गुमराह करने को फ्लेयर्स छोड़ते हैं। फ्लेयर्स गर्मी पैदा करने वाले उपकरण होते हैं जो मिसाइलों को धोखा देते हैं। लेकिन, अब यह तरीका ज़्यादा काम नहीं आता है।

PL-15 मिसाइल को  AESA यानी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे से गाइड किया जाता है । पहले, मिसाइल गाइड करने को उस जेट से निकलने वाले रडार सिग्नल का इस्तेमाल किया जाता था जिसने इसे दागा था। लेकिन, AESA में कई छोटे एंटीना होते हैं जो मिसाइल को एक साथ कई लक्ष्य ट्रैक करने की क्षमता देते हैं।

इस तरह के रडार लक्ष्य विमान या ज़मीनी उपकरणों को मिसाइल के रडार जाम करने से रोकते हैं। लेकिन, PL-15 की सबसे खास बात यह है कि इसे कई विमान और रडार मिलकर गाइड कर सकते हैं। जिस जेट ने मिसाइल दागी है, वह एक निश्चित दूरी तक ही लक्ष्य ट्रैक कर सकता है। लेकिन, एक Awacs (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) विमान PL-15 को ज़्यादा दूरी तक उसके लक्ष्य की ओर गाइड कर सकता है। ज़्यादातर Awacs लगभग 400 किलोमीटर दूर तक के विमान ट्रैक कर सकते हैं।

सीज़फायर की घोषणा के बाद ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के डिस्टिंग्विश्ड फेलो मनोज जोशी ने कहा कि, “यह कोऑपरेटिव टारगेटिंग की क्षमता देता है, जहां AWACS मिसाइल को उसकी स्टैंडर्ड रेंज से आगे गाइड कर सकता है। शायद हमें शुरू में इस क्षमता का पूरा अनुमान नहीं था।” सबसे पहले, ज़मीनी सिस्टम लक्ष्य लॉक करते हैं, फिर लड़ाकू विमान सुरक्षित दूरी से मिसाइलें दागते हैं, और अंत में एक Awacs विमान मिसाइल को उसके लक्ष्य तक पहुंचाने की कोशिश करता है। जोशी ने कहा कि भारतीय रक्षा बलों ने शायद आतंकवादी संगठनों और पाकिस्तानी रक्षा बलों में गहरे संबंध कम करके आंके थे।

उन्होंने कहा, “सामान्य परिस्थितियों में, एक पारंपरिक हवाई ऑपरेशन में, अगर भारत पाकिस्तान में लक्ष्यों पर हमला करने की योजना बना रहा होता, तो पहला कदम पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा निष्क्रिय करना होता। लेकिन, पहले दिन, भारतीय बलों ने ऐसा नहीं किया क्योंकि वे पाकिस्तानी सैन्य लक्ष्यों पर सीधे हमला करने की धारणा से बचना चाहते थे। परिणामत:, पाकिस्तानी हवाई सुरक्षा – जवाबी हमला करने में सक्षम हो गई।”

चीनी मिसाइल कैसे खेल बदल रही है?
चीनी PL-15 मिसाइल ने भले ही अभी-अभी युद्ध में अपनी शुरुआत की हो, लेकिन इसने पहले ही अमेरिका को अपनी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें बेहतर बनाने को प्रेरित कर दिया है। IISS के डगलस बैरी ने 2024 के एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, “अमेरिका AIM-120 के संभावित रिप्लेसमेंट के तौर पर लॉकहीड मार्टिन AIM-260 जॉइंट एडवांस्ड टैक्टिकल मिसाइल पर भी काम कर रहा है। अमेरिका ने AIM-260 के प्रदर्शन लक्ष्यों को गुप्त रखा है, जो लगभग 2017 से विकास में है, लेकिन इसकी ज़रूरत चीनी PL-15 की क्षमतायें देखते हुए तय की गई थी, जिसमें इसकी अनुमानित 200 किलोमीटर की रेंज भी शामिल है।” IISS के बैरी ने लिखा था, “PL-17 मिसाइल उड़ान के ज़्यादातर हिस्से में पैसिव सेंसर इस्तेमाल कर सकती है और ऑफबोर्ड सेंसर से लक्ष्य-स्थान अपडेट ले सकती है, जिससे लक्षित विमान को यह पहचानना मुश्किल हो जाएगा कि उस पर हमला हो रहा है।”

सरल शब्दों में, PL-15 चीन निर्मित एक आधुनिक मिसाइल है.  मिसाइल बहुत तेज़ है और इसकी रेंज भी काफ़ी ज़्यादा है। हाल ही में, इसका इस्तेमाल भारत और पाकिस्तान संघर्ष में किया गया। इस मिसाइल के मिलने से भारत को रिवर्स इंजीनियरिंग से इसकी तकनीक  समझने और अपनी सुरक्षा बेहतर बनाने का मौका मिल सकता है। अमेरिका भी इसके लिए उत्सुक तो होगा ही.

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