फिलिस्तीन और भारत:अज्ञान में ही होते हैं प्रियंका वाड्रा जैसे बयान

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जब इतिहास नहीं पढ़ा हो तो ऐसा ही होता है… भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने प्रियंका गांधी के लिए ऐसा क्यों कहा?
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने प्रियंका गांधी वाड्रा के गाजा पर दिए बयान पर प्रतिक्रिया दी। दुबे ने पांच बिंदुओं का एक ‘तथ्य पत्र’ जारी किया। प्रियंका गांधी ने गाजा पर UN में भारत के वोटिंग से दूर रहने की आलोचना की थी।
नई दिल्ली 15जून 2025। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आज प्रियंका गांधी वाड्रा के गाजा पर दिए बयान का जवाब दिया है। उन्होंने पांच बिंदुओं का एक ‘तथ्य पत्र’ जारी किया है। प्रियंका गांधी ने X पर एक पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने गाजा पर UN में भारत के वोटिंग से दूर रहने की आलोचना की थी। निशिकांत दुबे ने प्रियंका गांधी के इतिहास के ज्ञान पर सवाल उठाया।

निशिकांत दुबे ने X पर लिखा, “जब इतिहास नहीं पढ़ा हो तो ऐसा ही होता है।” शनिवार को, प्रियंका ने गाजा में नागरिकों की सुरक्षा और मानवीय सहायता के लिए UN में वोटिंग से भारत के दूर रहने को ‘शर्मनाक’ और ‘निराशाजनक’ बताया था। निशिकांत दुबे ने उनके तर्कों का विरोध करते हुए कहा कि पिछली कांग्रेस सरकारों ने ही इजराइल को मान्यता दी थी।

निशिकांत दुबे ने अपने पोस्ट में लिखा: “जब इतिहास नहीं पढ़ा हो तो ऐसा ही होता है प्रियंका जी, 1. आपको पता है कि इजराइली मिशन का अमेरिका के बाद पहला ऑफ़िस मुम्बई में 1950 में नेहरू जी ने खुलवाया यानी इज़रायल को हमने अघोषित मान्यता दी? 2. आपको पता है कि 1971 पाकिस्तान के साथ युद्ध में इंदिरा जी ने इज़रायली हथियार…”

प्रियंका गांधी ने क्या कहा था, जिस पर भड़के निशिकांत दुबे
प्रियंका ने X पर कहा था कि सरकार तब चुप है जब 60,000 लोग, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि गाजा की पूरी आबादी को ‘कैद और भूखा’ रखा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत गाजा मुद्दे पर चुप तो है ही, साथ ही इजराइल सरकार द्वारा ईरान पर हमला करने और उसके नेताओं की हत्या करने पर ‘खुशी’ मना रहा है।

प्रियंका गांधी ने लिखा, “यह शर्मनाक और निराशाजनक है कि हमारी सरकार ने गाजा में नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को बनाए रखने के लिए UN में वोटिंग से दूर रहने का फैसला किया है… यह हमारी उपनिवेशवाद विरोधी विरासत का दुखद उलटफेर है। वास्तव में, हम न केवल चुपचाप खड़े हैं जब नेतन्याहू एक पूरे राष्ट्र का सफाया कर रहे हैं, बल्कि हम उनकी सरकार द्वारा ईरान पर हमला करने और उसकी संप्रभुता के घोर उल्लंघन और सभी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के पूर्ण उल्लंघन में उसके नेतृत्व की हत्या करने पर खुशी मना रहे हैं।”

निशिकांत दुबे ने दिये तर्क
निशिकांत दुबे ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में ही भारत ने 1950 में मुंबई में इजराइल का पहला मिशन कार्यालय खोलकर उसे ‘अघोषित मान्यता’ दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 के युद्ध में इजरायली हथियारों का इस्तेमाल किया था और इजराइल की जासूसी एजेंसी मोसाद की मदद ली थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने ही 1992 में दिल्ली में पहला घोषित इजरायली दूतावास खोला था, जबकि फिलिस्तीन का दूतावास ‘आखिरकार’ 1996 में खुला.

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