सैकुलर लव जिहाद: द वायर के रेपिस्ट उमर राशिद ने हिंदू महिला को खिलाया बीफ, पीड़ित महिला कह रही हिंदू-मुस्लिम मत करो
लव जिहाद झुठलाने वाले ‘द वायर’ का पत्रकार निकला ‘लव जिहादी’, सालों से रेप- जबरन खिलाया बीफ: हिंदू पाटर्नर ने उतार दिया उमर राशिद का ‘सेकुलर’ नकाब
द वायर उमर राशिद
द वायर के पत्रकार उमर राशिद पर हिंदू महिला ने रेप और उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं
प्रोपेगेंडा चलने वाला पोर्टल ‘द वायर’ हमेशा से कहता आया है कि ‘लव जिहाद’ जैसे कोई बात दुनिया में नहीं है। अब उसी के एक पत्रकार उमर रशीद पर हिंदू महिला ने रेप, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना और बीफ खिलाने समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
तथाकथित प्रोग्रेसिव और लिबरल पत्रकार उमर रशीद द वायर में पॉलिटिकल जर्नलिस्ट है। उसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर हिंदू महिला ने अपना दर्द लिखा है। पोस्ट पढ़ उमर रशीद के मानसिक स्तर और जाहिलियत का अंदाजा आसानी से लगता है।
पोस्ट में महिला ने बताया कि दिल्ली में कुछ लिबरल मीडिया सर्कल्स से जुड़ाव और अनुभवी पत्रकार के तौर पर वह उमर राशिद के जाल में फँस गई। शुरुआत में राशिद ने ‘प्रोग्रेसिव पॉलिटिक्स’ और ‘लोधी गार्डन’ में टहलने के बहाने उसे अपने जाल में फँसाया।
महिला ने लिखा कि उमर राशिद ने इसी तरकीब से कई महिलायें अपने जाल में फँसायी है। वह अपनी उस झूठी छवि महिलाओं के सामने लेकर आता है जिसमें वह ऐसा मुस्लिम है जिसे पालतू जानवर पसंद हैं, भोजन पसंद है, जो प्रोग्रेसिव लिबरल है और जिसने अपनी माँ खो दी है।
महिला ने उमर रशीद को एक ‘सीरियल एब्यूजर’ और ‘बालात्कारी’ बता लिखा है कि उसे बुरी तरह पीटा जाता था। उमर राशिद ने उसे लात, घूँसे, थप्पड़ मारे और कई बार बर्बर बलात्कार किया है।
अपने रिलेशनशिप में उसे हद से ज्यादा यौन उत्पीड़न, दुर्व्यवहार, मारपीट और बर्बर बलात्कार का सामना करना पड़ा। इससे उसका खून बहा और चोटें आईं।
पीड़ित हिंदू महिला ने यह भी कहा कि उमर राशिद ने कभी भी सुरक्षित सेक्स नहीं किया। रशीद के कई अनजान लोगों से भी शारीरिक संबंध थे। इससे महिला को कई बार स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाकर अबॉर्शन करवाने पड़े और सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन (STI) का इलाज करवाना पड़ा।
महिला ने लिखा कि राशिद को पता था कि महिला आर्थिक रुप से मजबूत नहीं है और संघर्ष कर रही है। इसके बावजूद उसने महिला की सारी चीजें तोड़ दी। इनमें से कई चीजें उसके घर से मिली निशानियाँ भी थी जिसे वह कभी भी खोना नहीं चाहती थी।
वह उसे बुरी तरीके से बेइज्जत करता था और उसे पाँव पड़कर माफी माँगने पर मजबूर करता था। इस दौरान वह उसकी माँ के साथ भी कैसे रेप करेगा, बताता था।
महिला ने लिखा कि उसके बीमार होने, असुरक्षित सेक्स कौ ‘न’ कहने के बावजूद उमर ने कई बार उसका बर्बर रेप किया। यहाँ तक कि खुद को बचाने को वह बाथरूम में छिपती थी।
महिला ने आगे लिखा कि उमर राशिद ने उसे कई बार बीफ खाने को मजबूर किया जबकि वह नहीं खाती थी। हर बार जब वह उसे जबरदस्ती बीफ खिलाता था तो उसे उल्टी हो जाती थी। राशिद खुद को कश्मीरी मुस्लिम होने और उसे ‘गैर-मुस्लिम’ होने पर उलाहना देता था।
महिला ने अपनी पोस्ट को साप्रदायिक रंग न देने की अपील की है। उसने लिखा कि वह नहीं चाहती कि उसके साथ हुई घटना को ‘सांप्रदायिक रंग’ दिया जाए, बल्कि इसे उन अनगिनत कहानियों में से एक माना जाये, जिसमें महिलाएँ कार्यस्थल पर संपर्क में आने वाले अधिक उम्र के ताकतवर पुरुषों के दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का शिकार होती हैं।
द वायर ने अपने पत्रकार के खिलाफ आरोपों को स्वीकारा
प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द वायर’ ने अपने पत्रकार उमर राशिद पर लगे गंभीर आरोप स्वीकार किये है। द वायर ने नोट में लिखा है, “उमर राशिद पिछले कुछ वर्षों से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में द वायर में योगदान दे रहे हैं। उन पर लगे आरोपों को संस्थान ने गंभीरता से लिया है। इस मामले में लागू प्रासंगिक कानूनों और प्रक्रियाओं के अनुसार हम जाँच करेंगे और तय करेंगे कि पोस्ट पर लगाए गए आरोपों पर आगे क्या कार्रवाई की जा सकती है।”
गौरतलब है कि कई वर्षों से ‘द वायर’ और इसी तरह के अन्य वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘लव जिहाद’ के उन मामलों को सिरे से नकार देते हैं, जहाँ मुस्लिम पुरुष एक झूठी पहचान के साथ हिंदू या ईसाई महिलाओं को अपना निशाना बनाते हैं और बाद में उन्हें शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न, अपमान, बलात्कार और हिंसा का शिकार बनाते हैं।
इस मानसिकता के पीछे वह इस्लामी सोच है जिसके मुताबिक गैर मुस्लिम महिलाएं यानी काफिर सेक्स स्लेव बनाने को हैं। ऐसी सोच वाले मानते हैं कि काफिर महिलाओं का यौन शोषण मुस्लिम मर्दों का दायित्व है और इससे सवाब मिलता है।
भारत सहित पूरी दुनिया में हजारों महिलाएँ इस सोच की शिकार रही हैं। ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग इस मामले में खास कुख्यात रहा। यहाँ यजीदी महिलाओं को यौन दासी बनाने का मामला भी खासा चर्चित रहा है।
भारत में भी अजमेर, विजयपुर और भोपाल गैंगरेप और ब्लैकमेल मामले काफी लंबे समय तक सुर्खियाँ में रहे। केरल में तो यह एक संगठित अभियान है जिसमें हिंदू और ईसाई महिलाओं को इसका निशाना बनाया जाता है।
अफसोस यह कि आज की आधुनिक माने जाने वाली दुनिया में भी इस तरह की मध्यकालीन पार्श्विक मानसिकता घर किए हुए हैं और द वायर जैसे वामपंथी संगठन ऐसी मानसिकता को खारिज करना तो दूर उलटे उसे बढ़ावा देने में आगे रहते हैं।
हिन्दुत्व फोर्सेज का डर दिखाकर पीड़िता को चुप कराया
रंगनाथ सिंह-
आइडियोलॉजी की जेल में कैद फिजिकल-मेंटल अब्यूज की पीड़िता
एक युवा महिला ने ट्विटर पर कल रात सवा बारह बजे दि हिन्दू में लम्बे समय तक रहे और दि वायर के रेगुलर कंट्रीब्यूटर इंग्लिश पत्रकार पर बेहद गम्भीर आरोप लगाये हैं। उसकी शिकायत पब्लिक डोमेन में है जो नीचे पढ़ी जा सकती है।
दि वायर ने करीब 20 घण्टे बाद बयान जारी किया कि “आरोपों की जांच करेंगे”! ऐसे मामलों में उनकी जाँच पर कम से कम मुझे रत्ती भर भरोसा नहीं है। ऐसे किसी भी मामले में पीड़िता को सबसे पहले पुलिस कम्प्लेन करनी चाहिए। जब तक पीड़िता पुलिस में शिकायत नहीं करती उसे न्याय नहीं मिलेगा।
मैं पीड़िता के लगाए आरोप पढ़कर चौंक गया कि किस तरह एक एजुकेटेड लड़की को ट्रैप करने के बाद उसके संग किए अत्याचार को छिपाने के लिए पोलिटिकल करेक्टनेस का इस्तेमाल किया जा रहा है।
पीड़िता के अनुसार फिजिकली और मेंटली बुरी तरह अब्यूज और टार्चर करने के बाद आरोपी उससे कहता था कि तुमने ये सब पब्लिक किया तो इस केस को लव-जिहाद समझ लिया जाएगा और हिन्दुत्व फोर्सेज इसका फायदा उठाएँगी! पीड़िता के अनुसार आरोपी ने कई अन्य लड़कियों को इसी तरह टार्चर और एक्सप्लॉइट किया है।
पीड़िता के अनुसार, आरोपित पत्रकार ने उसे बार-बार बीफ खिलाकर उसका सेकुलरिज्म टेस्ट लिया। पीड़िता के अनुसार उसका बलात्कार करने के बाद रोते-बिलखते समय उसके वीडियो भी बनाए! मगर पीड़िता लम्बे समय तक इस केस पर चुप रही ताकि हिन्दुत्व फोर्सेज फायदा न उठा लें! दर्द के हद से गुजर जाने की स्थिति में जब पीड़िता ने नीचे शेयर नोट लिखा तब भी वह अपने संग हुए अपराध के साथ ही हिन्दुत्व फोर्सेज के फायदा उठाने के प्रति भी चिंतित दिख रही है।
साफ है कि पोलिटिकल करेक्टनेस नई पैट्र्यार्की बन चुकी है! पिछड़े समाज में “समाज में बदनामी” का डर दिखाकर पीड़िताओं का मुँह बन्द किया जाता था तो अल्ट्रा प्रोग्रेसिव समाज में “हिन्दुत्व फोर्सेज” का डर दिखाकर पीड़िता को साइकोलॉजिकल जेल में डाला जा रहा है जहाँ वह अपने टार्चर और पोलिटिकल करेक्टनेस के बीच कान्फ्लिक्ट में जूझती रहती है! पीड़िता ने खुद लिखा है कि वह लम्बे समय तक इसी वजह से इस विषय पर बोलने से डरती रही!
पीड़ित लड़की जिस आइडियोलॉजिकल प्रिजन में कैद रही है उसने उसके दिमाग से नेचुरल रिएक्शन की क्षमता भी छीन ली है। वह स्वाभाविक रूप से अपनी पीड़ा और आक्रोश व्यक्त करने के बजाय इतने गहरे सदमे में भी पोलिटिकली करेक्ट रहने का प्रयास कर रही है।
हम सभी उस राहों से गुजरे हैं जहाँ किसी अमानवीयता और बर्बरता की आलोचना को भी यह कहकर दबा दिया जाता था कि “हिन्दुत्व फोर्सेज” इसका फायदा उठा लेंगे! बीफ वाले सेकुलरिज्म टेस्ट से भी मेरे कई मित्र गुजरे हैं और कुछ तो इस टेस्ट में पास होने को सीने पर तमगे की तरह चिपकाकर चलते हैं! मगर पोर्क खाकर सेकुलरिज्म टेस्ट देने वाले मित्र मुझे आज तक नहीं मिले हैं!
यह कहने में मुझे कोई गुरेज नहीं है कि दिल्ली के इलीट दक्षिणपंथी दायरों में कोई महिला दिल्ली के ही वामपंथी दायरों की तुलना में कई गुना ज्यादा सुरक्षित रहती है। वामपंथी आइडियोलॉजी के चोले में वल्नरेबल लड़कियों के शोषण के पैटर्न की अंदरखाने सभी बात करते हैं मगर लिखते हुए डरते हैं। बाहर के शहरों से महानगर में आई हुई लड़कियों के स्वाभाविक इच्छाओं को मैनिपुलेट करके उन्हें सेक्स स्लेव की तरह ट्रीट करने वालों के खिलाफ दिल्ली का लेफ्टविंग कभी मुखर नहीं रहा है क्योंकि ऐसी शिकायतें जिनके पास जाती हैं उनमें भी ऐसे काफी लोग बैठे रहते हैं।
ऐसी सभी लड़कियों से मेरा कहना है कि कोई तुम्हें “आजादी” दिला रहा हो तो सावधान हो जाएँ। आइडियोलॉजी किसी भी इमोशनल और फिजिकल अब्यूज की दवा नहीं बन सकती। आप ऊपरी मन से चाहे जो कहें, कहीं अन्दर आप एक ब्रोकेन ग्लास बनकर आगे का जीवन गुजारने को मजबूर हो जाती हैं। जो चीजें आपकी इमोशनल और फिजिकल इंटीग्रिटी को डैमेज करती हों वे सारी एंटी-वुमन हैं चाहे वो आपके पिता हों, भाई हों या प्रेमी या यौन आजादी दिलाने वाला मसीहा।
पीड़िता का स्टेटमेंट
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