मत:यूक्रेन का रूस पर पर्ल हार्बर जैसा हमला, भारत के लिए भी सबक

क्या ये पर्ल हार्बर जैसा हमला? रूस में यूक्रेन के ड्रोन अटैक से मिले 5 बड़े संदेश, भारत के लिए भी सबक
यूक्रेन की तरफ से ये हमले ऐसे वक्त में किए गए हैं, जब वह रूस के साथ जंग के चौथे साल में है. यह वॉर के हाई पॉइंट्स में से एक है और 2 जून को इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के दूसरे दौर से ठीक पहले इन्हें अंजाम दिया गया है. 16 मई को पहले दौर में दोनों पक्षों के बीच कैदियों की सबसे बड़ी अदला-बदली हुई है।

रूस पर यूक्रेन ने किए हवाई हमले

नई दिल्ली,02 जून 2025,यूक्रेन की स्पेशल फोर्स ने रूस पर ताबड़तोड़ एयरस्ट्राइक की हैं. यूक्रेन ने रूस के हवाई ठिकानों को निशाना बनाया है और जमीन पर मौजूद 41 रूसी बमवर्षक विमानों को तबाह कर दिया. अनुमान के मुताबिक रूस के 30 फीसदी से ज्यादा बमवर्षक बेड़े टीयू-95, टीयू-22 और ए-50 हवाई रडार को यूक्रेन के ड्रोन अटैक से नुकसान हुआ है.

इसके अलावा यूक्रेन ने 100 से ज्यादा ड्रोन शिपिंग कंटेनर्स से उड़ाए थे, जिन्होंने रूसी एयरबेस के पास से गुजरते वक्त हमलों को अंजाम दिया. रूस ने इन बॉम्बर्स का इस्तेमाल युद्ध के दौरान यूक्रेनी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए किया था. रूसी मीडिया ने इन हमलों को ‘पर्ल हार्बर’ करार दिया है. 1941 में हवाई में अमेरिकी बेड़े पर शाही जापानी नेवी ने हमले किए थे, जिसने अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में ला खड़ा किया और इन हमलों को पर्ल हार्बर नाम दिया गया था.

यूक्रेन की तरफ से ये हमले ऐसे वक्त में किए गए हैं, जब वह रूस के साथ जंग के चौथे साल में है. यह वॉर के हाई पॉइंट्स में से एक है और 2 जून को इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के दूसरे दौर से ठीक पहले इन्हें अंजाम दिया गया है. 16 मई को पहले दौर में दोनों पक्षों के बीच कैदियों की सबसे बड़ी अदला-बदली हुई थी.

अब तक का सबसे बड़ा हमला

आकार, पैमाने और जटिलता के मामले में यूक्रेन ने दुनिया के सबसे बड़े हमलों में से एक को अंजाम दिया है. ओलेन्या, मरमंस्क और इरकुत्स्क और साइबेरिया में दो हवाई ठिकानों पर हमला किया. करीब 6000 किलोमीटर से ज़्यादा दूरी पर और तीन टाइम ज़ोन में ये हमले किए गए. ये हमले एडमिरल विलियम मैकरेवन के स्पेशल ऑपरेशन के सिद्धांत पर खरा उतरते हैं – एक आसान प्लानिंग, जिसे सावधानी से छिपाया गया, बार-बार प्रैक्टिस की गई और जिसे स्पीड के साथ खास मकसद के लिए अंजाम दिया गया. इसने नागरिक रसद को हथियार बनाया, बिना किसी व्यक्ति के पकड़ में आए रिमोट तरीके से हमले किए हैं.

इजरायल ने दुनिया के दो सबसे जटिल विशेष मिशनों को अंजाम दिया. पहला, जुलाई 1976 में युगांडा के एंटेबे एयरपोर्ट पर बंधकों को छुड़ाना, जहां 100 से ज़्यादा इजराइली सैनिकों ने 106 इजरायली यात्रियों को बचाने के लिए दुश्मन के इलाके में 3000 किलोमीटर से ज़्यादा की उड़ान भरी, आतंकवादियों को मार गिराया और ज़मीन पर युगांडा की वायुसेना के एक-चौथाई हिस्से को तबाह कर दिया. दूसरा 2023 में, मोसाद ने लेबनान में 1000 से ज़्यादा हिज़्बुल्लाह गुर्गों को मारने और घायल करने के लिए पेजर बम का इस्तेमाल किया.

भारत का सबसे बड़ा स्पेशल फोर्स मिशन ऑपरेशन जैकपॉट, जिसे इंडियन नेवी ने प्लान किया और मुक्ति वाहिनी के नौसेना कमांडोज ने 15 अगस्त, 1971 की रात जमीन पर उतारा. इसमें (तत्कालीन) पूर्वी पाकिस्तान में चार पाकिस्तानी बंदरगाहों पर एक साथ हमला हुआ था, जिसमें 22 व्यापारी जहाज डूबे और तबाह हो गए थे. ये हमले 500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चार बंदरगाहों- चटगांव, चलना-मोंगला, नारायणगंज और चांदपुर पर हुए थे.

नाटो के रोल को नकारा

तर्क हो सकता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध मास्को और नाटो में प्रॉक्सी वॉर है. यूक्रेनी सैनिक पश्चिमी देशों से सप्लाई हथियारों और कम्युनिकेशन डिवाइस इस्तेमाल कर जमीन पर लड़ते हैं. ये रूस के लिए संवेदनशील विषय रहे हैं, तभी यूरोप में नाटो के ठिकानों और गोला-बारूद के भंडारों पर हमला करने की धमकी आई है.

हालांकि, ऑपरेशन स्पाइडर वेब में यूक्रेन ने जोर दिया है कि हमले नाटो/पश्चिमी देशों के समर्थन बिना अपने दम पर किए थे. राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि नतीजे सिर्फ यूक्रेन को हासिल हुए हैं. ऐसा पश्चिम के संभावित प्रभाव को कम करने को किया गया था. हमले में यूक्रेनी ड्रोन का इस्तेमाल किया गया और यूक्रेनी सरकार ने तुरंत इसकी जिम्मेदारी भी ले ली. लंबी दूरी की टॉरस मिसाइलों जैसे पश्चिमी देशों के किसी भी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया. यूक्रेन ने तस्वीरें जारी कर दिखाया कि उन्होंने खुले में खड़े बमवर्षकों को निशाना बनाने को व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी  इस्तेमाल की.

न्यूक्लियर अटैक करेगा रूस?

रूस ने चार साल संघर्ष में कम से कम एक बार परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की धमकी दी है. एक जून का बड़ा हमला मुसीबत है क्योंकि यह रूस के रणनीतिक बमवर्षक बेड़े पर हुआ. इसका मतलब है कि युद्ध की स्थिति में रूस के पास अब परमाणु हथियार लॉन्च करने को पहले से कम विमान हैं. रूसी अधिकारियों ने एक जून के यूक्रेनी हमलों की जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है. हमलों के तुरंत बाद एक जून को रूस ने यूक्रेन पर 400 से ज्यादा ड्रोन दागे. रूस वही कर सकता है जो उसने पहले किया है- ओरेशनिक और हाइपरसोनिक जैसी सशस्त्र मिसाइल को फायर करना, जिन्हें रोका नहीं जा सकता.

अब ड्रोन वॉर का टाइम

साल 2022 से पहले ही, आर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष में इसके संकेत मिले थे और सऊदी अरब की तेल रिफाइनरियों पर हूती हमले ने साफ किया था कि ड्रोन सभी हमलों में उपयोगी थे. रूस-यूक्रेन युद्ध ने ड्रोन युद्ध का नए युग शुरु किया है, जहां ड्रोन्स ने मैन्ड फाइटर एयरक्राफ्ट से लेकर छोटे हथियारों तक हर एक प्लेटफॉर्म की जगह ले ली. रूस और यूक्रेन दोनों के पास ड्रोन का बड़ा और अभेद जखीरा है. इसके लिए हज़ारों फर्स्ट पर्सन व्यू (FPV) ड्रोन और वायर-गाइडेड FPV ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है, जिन्हें जैम नहीं किया जा सकता. इससे प्रथम विश्व युद्ध जैसा वातावरण पैदा हो गया है, जिसने आर्टिलरी और मशीन गन के आने से युद्ध के मैदान में खुली आवाजाही को अविश्वसनीय रूप से खतरनाक बना दिया है.

Ukraine Destroyed About 40 Strategic Bombers At Russian Airbase In Ferocious Drone Attack Why India Should Learn Lesson
रूस के 40 बॉम्बर्स तबाह, 7 अरब डॉलर के हथियार स्वाहा… यूक्रेन ने रूसी एयरबेस पर मचाई ऐसी तबाही, अमेरिका से भारत तक टेंशन
साल 2019 के बाद कम से कम तीन ऐसे मौके आए, जिनमें ऐसा लगा कि भारत एक भीषण युद्ध में फंस सकता है। एक बार चीन से और दो बार पाकिस्तान से। इसलिए भारत किसी भी हाल ऐसे हमलों को सिर्फ देखकर नहीं रह सकता। भारत के दुश्मन आधुनिक हथियार बनाने में दक्ष हैं, इसे ध्यान में रखना चाहिए।

यूक्रेन ने रविवार को रूस को दहला 2022 से शुरू युद्ध में सबसे भीषण हमला किया। यूक्रेन के ड्रोनों ने जैसे रूसी एयरबेस में तबाही मचाई, उसने रूसी अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसका दी। यूक्रेनी हमलों ने रूसी सेनी की तैयारियों और उनकी डिफेंस स्ट्रैटजी की पोल खोलकर रख दी है। 117 FPV (First Person View) ड्रोन से यूक्रेनी सुरक्षा एजेंसी SBU ने रूस में 5 अलग-अलग क्षेत्रों, मुरमान्स्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रियाज़ान और अमूर में स्थित एयरबेस पर हमला किया। इस हमले में करीब 7 अरब डॉलर मूल्य के 40 से ज्यादा स्ट्रैटजिक बमबर्षक विमान निशाना बने। रूस का एयर डिफेंस सिस्टम इस हमले को रोकने में नितांत विफल रहा.विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत इसे सिर्फ एक जियोपॉलिटिकल घटना न माने, बल्कि भविष्य के युद्ध की झलक के तौर पर देखते हुए अपने रक्षा प्रतिष्ठानों को किले की तरह मजबूत बनाए।
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यूक्रेन ने ड्रोन हमले में रूसी एयरबेस पर मौजूद करीब 40 स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स तबाह किए

साल 2019 के बाद कम से कम तीन ऐसे मौके आए हैं, जिनमें ऐसा लगा कि भारत एक भीषण युद्ध में फंस सकता है। एक बार चीन के साथ और दो बार पाकिस्तान के साथ। इसलिए भारत किसी भी हाल में ऐसे हमलों को सिर्फ देखकर नहीं रह सकता है। FPV ड्रोन काफी छोटे, सस्ते और तेज रफ्तार UAV होते हैं जिन्हें ऑपरेटर एक कैमरे के जरिए लाइव कंट्रोल करता है। यूक्रेन ने इन ड्रोन को ट्रकों के जरिए रूस के भीतर गुप्त रूप से पहुंचाया और एयरबेस के काफी करीब से लॉन्च किया। ये ड्रोन करीब 100 किलोमीटर की रेंज वाले होते हैं, इसलिए संभावना है कि इन ड्रोनों को 100 किलोमीटर के दायरे से ही ऑपरेट किया गया होगा। बेलाया एयरबेस यूक्रेन से 4300 किलोमीटर और ओलेन्या एयरबेस यूक्रेन से 1800 किलोमीटर दूर हैं। इसलिए रूसी अधिकारियों को माननी ही होगी कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो चुकी है। यूक्रेन ने इन एयरबेस के पास ट्रकों से ड्रोन पहुंचाए और फिर बमवर्षकों को कब्र में बदल दिया।

भारत को हर हाल में सीखना चाहिए सबक
पाकिस्तान से हालिया संघर्ष में ड्रोन लड़ाई दिखी है। पाकिस्तान की मानसिकता से आप इनकार नहीं कर सकते। भारत के खिलाफ हर लड़ाई पाकिस्तान ने शुरू की और भारत को नुकसान पहुंचाना उनका राष्ट्रीय लक्ष्य है। इसे नकारने वाले या तो मूर्ख हैं या देशद्रोही. संघर्ष की स्थिति में हमारे एयरबेस और सैन्य ठिकाने पाकिस्तान का सबसे पहला लक्ष्य होगा, इसलिए हमारे लिए सबक सीखना जरूरी है कि आखिर रूस क्यों फेल हुआ और हमें खुद की रक्षा करने को क्या करना है?

यूक्रेन के ड्रोन को रोकने में रूसी डिफेंस फेल
लो-फ्लाइंग प्रोफाइल- FPV ड्रोन जमीन से करीब- करीब सटकर उड़ान भरते हैं, जिससे पारंपरिक रडार इन्हें पहचान नहीं पाते।
एयरबेस के पास पहुंचकर हमले- ड्रोन हमले रूस के अंदर से ही शुरू हुए, जिससे एयर डिफेंस को रिएक्ट करने का समय नहीं मिला।
सैचुरेशन अटैक- एक साथ 117 ड्रोन छोड़े गए, जिससे रूस का डिफेंस ओवरलोड हो गया।
सॉफ्ट टारगेट एयरबेस में पार्क  विमान खुले में थे, बिना हार्ड शेल्टर। ऐसे में वो डायरेक्ट निशाने पर आ गये। हमले के समय भी उन्हें बचाने का कोई रास्ता नहीं था।

ऐसे में भारतीय डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को बिल्कुल लापरवाही बरतनी चाहिए। डिफेंस एक्सपर्ट नितिन ए. गोखले ने ट्वीट में यही बात कही है। उन्होंने हालिया संघर्ष का उदाहरण दे कहा है कि भारत के खिलाफ भी ड्रोन युद्ध  हुआ था और भारत के एयरबेस ही सबसे पहले पाकिस्तान के निशाना थे।  ये भी साफ है कि भारत को टेक्नोलॉजी कोई भी देश नहीं देना चाहता। इसलिए भारत को अपने डिफेंस पर खुद खर्च कर विरोधी की ताकत को समझना होगा। भारत को स्मार्ट खर्च, त्वरित रक्षा अधिग्रहण, साइंटिफिक इनोवनेशन और डिफेंस कंपनियों से गहरे तरीके से जुड़ना होगा। ये ध्यान रखना चाहिए कि भारत अपनी लड़ाई में अकेला है। इसलिए भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री को भी अपना काम आगे बढ़ाना होगा। नये किस्म के हथियार बनाने होंगे, जिससे दुश्मन को गहरा नुकसान पहुंचाया जा सके।
The next level of warfare is already here: https://t.co/bQFlFbXXAk

While we analyse Op Sindoor and its lessons, the focus of Indian military planners must be on what lies ahead. Innovation, smart use of technology and thorough assessment of own VPs and VAs and better… https://t.co/IvaE7hBMnW

— Nitin A. Gokhale (@nitingokhale) June 2, 2025

रूस पर हमले से क्या सबक सीख सकता है भारत?
पाकिस्तानी ड्रोन का खतरा- पाकिस्तान ने हालिया संघर्ष में ड्रोन का इस्तेमाल किया है और उसका सहयोगी तुर्की नई टेक्नोलॉजी ड्रोन बनाने में दक्ष है। अब ये तय है कि तुर्की हर हाल पाकिस्तान को लेटेस्ट ड्रोन देगा और LoC और पंजाब-राजस्थान बॉर्डर जैसी ओपन टेरेन यह खतरा और बढ़ाती है। ऐसी स्थिति में भारत को तुर्की की ड्रोन इंडस्ट्री पर गहरी नजर रखनी होगी और अपने अटैक के साथ-साथ अपना डिफेंस तैयार करना होगा।
चीन की ड्रोन वॉरफेयर क्षमताएं– PLA स्वार्म ड्रोन, AI-नियंत्रित UAVs और हाइपरलॉइट ड्रोन टेक्नोलॉजी में दक्ष है। चीन, भारत के एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज और कमजोरियों का विश्लेषण कर सर्जिकल FPV स्ट्राइक योजना बना सकता है। ये भी याद रखें कि चीन के पास भी वही एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम है, जो भारत के पास है।
एयरबेस सुरक्षा- भारत के कई एयरबेस, खासकर पश्चिमी फ्रंट पर, पठानकोट, हलवारा, नाल, श्रीनगर खुले एयरबेस हैं, जहां खड़े लड़ाकू विमान आसान टारगेट बन सकते हैं।
नितिन गोखले का कहना है कि कामचलाऊ व्यवहार अब इतिहास बन जाना चाहिए। अन्यथा इतिहास उन लोगों को माफ नहीं करेगा जिन्हें भारत की सुरक्षा सुनिश्चित का जिम्मा सौंपा गया है। बेहतर और वास्तविक समय की गुप्त जानकारी और भी जरूरी हो जाती है। भारत को अब हर एयरबेस पर Anti-FPV Defenses तैनात करने चाहिए। जैमर्स आधारित सिस्टम की तैनाती हर एयरबेस, रडार स्टेशन और सामरिक ठिकानों पर होनी चाहिए। लो-कॉस्ट एंटी ड्रोन गन और डायरेक्ट एनर्जी वीपन्स यानि DEW पर तेजी से काम करना होगा। भारत की डिफेंस कंपनियों को छोटे और FPV ड्रोन, एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी, जैमर सिस्टम के निर्माण को स्पेशल फंड दिया जाना चाहिए। जैसे यूक्रेन ने रूस में अपने एजेंटों से ऑपरेशन किया, भारत को भी पाकिस्तान और चीन के भीतर गहरे नेटवर्क तैयार करने होंगे। कुल मिलाकर देखें तो यूक्रेन का FPV ड्रोन हमला भारत को एक बड़ी चेतावनी है और हमें इस चेतावनी को ध्यान में रख अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना होगा और दुश्मन की हर चुनौती को तैयार रहना होगा.

भारत के लिए भी बड़ा सबक

भारत ने चार दिन तक ऑपरेशन सिंदूर में हवाई हमलों में पाकिस्तान को निशाना बनाने को बड़े पैमाने पर ड्रोन इस्तेमाल कर पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने तबाह किए. लेकिन पर्ल हार्बर स्टाइल के ये हमले भारतीय ठिकानों को भी बड़ा सबक हैं. 2021 में पाकिस्तानी आतंकियों ने जम्मू में एक भारतीय एयरबेस पर हमला किया. हमले में दो क्वाडकॉप्टर साइज के ड्रोन ने दो विस्फोटक डिवाइस गिराए, जो बिना किसी की जान लिए फट गए. यह एक वॉर्निंग शॉट था क्योंकि हमलावर खुले में खड़े कई हेलीकॉप्टरों को निशाना बनाने से चूक गए थे.

हमले में इस्तेमाल IED की जांच से पता चला कि इसमें पाकिस्तान का रोल था. पाकिस्तान आगे भी भारतीय एयरबेस और अन्य प्रतिष्ठानों पर बड़े पैमाने पर एक साथ हमले की रणनीति  इस्तेमाल कर सकता है. जमीन पर खुले में खडे विमान और हेलीकॉप्टर सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं. कमर्शियल सैटेलाइट इमेजरी की आसान उपलब्धता से सभी विमानों, युद्धपोतों और पनडुब्बियों की लोकेशन आसानी से पता चल जाती है. ऐसे में सभी सैन्य विमानों को ब्लास्ट प्रूफ स्ट्रक्चर से तत्काल ढंकने की जरूरत है. सभी हवाई अड्डे स्वदेशी काउंटर-UAS सिस्टम से सुरक्षित करने चाहिए.
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