अमृत भारत रेलवे-स्टेशन:

एयरपोर्ट की तरह दिखेंगे रेलवे स्टेशन, PM मोदी ने Amrit Bharat Stations का किया शुभारंभ – देखें पूरी लिस्ट
Amrit Bharat Station Scheme: रेलवे मंत्रालय ने इस योजना से देश के 1300 से ज़्यादा स्टेशनों को आधुनिक और भविष्य को ट्रांसपोर्ट हब बनाने का काम शुरू किया है।
नई दिल्‍ली 21 मई 2025। .प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को केंद्र की अमृत भारत स्टेशन योजना में पश्चिम बंगाल में तीन पुनर्विकसित रेलवे स्टेशनों का उद्घाटन किया। अधिकारियों ने बताया कि जिन स्टेशनों का उद्घाटन किया गया उनमें पानागढ़, कल्याणी घोषपाड़ा और जॉयचंडी पहाड़ शामिल हैं। ये स्टेशन देशभर में प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उद्घाटित 103 अमृत भारत स्टेशनों में शामिल हैं। उद्घाटन कार्यक्रम राजस्थान के बीकानेर से हुआ। पानागढ़ और कल्याणी घोषपाड़ा स्टेशन पूर्व रेलवे में आते हैं, जबकि जॉयचंडी पहाड़ स्टेशन दक्षिण पूर्व रेलवे में आता है।

दोनों जोन का मुख्यालय कोलकाता में है। इन स्टेशनों का पूर्ण पुनर्विकास किया गया है और यात्रियों को नयी सुविधाओं के साथ ही इनका सौंदर्यीकरण किया गया है। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में कुल 100 रेलवे स्टेशनों को ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ में पुनर्विकास को चुना गया है।

गौर करने वाली बात है कि रेलवे मंत्रालय ने इस योजना से देश के 1300 से ज़्यादा स्टेशनों को आधुनिक और भविष्य को तैयार ट्रांसपोर्ट हब बनाना शुरू किया है।

अमृत भारत स्टेशन योजना (Amrit Bharat Station Scheme) क्या है?
इस योजना की शुरुआत दिसंबर 2022 में हुई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 6 अगस्त 2023 और 26 फरवरी 2024 को दो चरणों में इन स्टेशनों के पुनर्विकास की नींव रखी थी। इस योजना का उद्देश्य स्टेशन को सिर्फ यात्रा की जगह न बनाकर उन्हें एक आधुनिक, बहुआयामी (multimodal) केंद्र में बदलना है। इसमें दिव्यांगजनों को बेहतर सुविधाएं, पर्यावरण अनुकूल निर्माण, और शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी जैसे पहलुओं पर खास ध्यान दिया गया है।

देश के इन राज्यों में कौन-कौन से स्टेशन नए रूप में तैयार हुए?
आंध्र प्रदेश:
सुल्लुरुपेटा

असम:
हैबरगांव

बिहार:
पीरपैंती, थावे

छत्तीसगढ़:
डोंगरगढ़, भानुप्रतापपुर, भिलाई, उरकुरा, अंबिकापुर

गुजरात:
समाखियाली, मोरबी, हापा, जाम वंथली, कानालुस जंक्शन, ओखा, मिठापुर, राजुला जंक्शन, सिहोर जंक्शन, पालिताना, महुवा, जाम जोधपुर, लिमड़ी, डेरोल, करमसद, उत्राण, कोसांबा जंक्शन, डाकोर

हरियाणा:
मंडी डबवाली

हिमाचल प्रदेश:
बैजनाथ पपरोला

झारखंड:
शंकरपुर, राजमहल, गोविंदपुर रोड

कर्नाटक:
मुनीरबाद, बागलकोट, गडग, गोकक रोड, धारवाड़

केरल:
वड़कारा, चिरयिनकीझ

मध्य प्रदेश:
शाजापुर, नर्मदापुरम, कटनी साउथ, श्रीधाम, सिवनी, ओरछा

महाराष्ट्र:
परल, चिंचपोकली, वडाला रोड, माटुंगा, शाहाड, लोणंद, केडगांव, लासलगांव, मुर्तिजापुर जंक्शन, देवलाली, धुले, सावदा, चांदा फोर्ट, नेताजी सुभाषचंद्र बोस इतवारी जंक्शन, आमगांव

पुडुचेरी:
माहे

राजस्थान:
फतेहपुर शेखावाटी, राजगढ़, गोविंदगढ़, देशनोक, गोगामेड़ी, मांडावर महुवा रोड, बूंदी, मंडलगढ़

तमिलनाडु:
समालपट्टी, तिरुवन्नामलाई, चिदंबरम, वृध्दाचलम जंक्शन, मानारगुडी, पोलूर, श्रीरंगम, कुलित्तुरई, सेंट थॉमस माउंट

तेलंगाना:
बेगमपेट, करीमनगर, वारंगल

उत्तर प्रदेश:
बिजनौर, सहारनपुर जंक्शन, इदगाह आगरा जंक्शन, गोवर्धन, फतेहाबाद, करछना, गोविंदपुरी, पोखरायां, इज्जतनगर, बरेली सिटी, हाथरस सिटी, उज्जानी, सिद्धार्थ नगर, स्वामीनारायण छपिया, मैलानी जंक्शन, गोला गोकर्णनाथ, रामघाट हॉल्ट, सुरैमनपुर, बलरामपुर

पश्चिम बंगाल:
पानागढ़, कल्याणी घोषपाड़ा, जॉयचंडी पहाड़

यात्रियों को क्या फायदा होगा?
नए स्टेशनों पर यात्रियों को अब और ज्यादा साफ-सुथरे वेटिंग एरिया, एस्केलेटर, लिफ्ट, फूड कोर्ट, डिजिटल डिस्प्ले, बेहतर टिकट काउंटर और दिव्यांगजनों को सुविधाएं मिलेंगी। कई स्टेशन पर हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) का भी इस्तेमाल हुआ है।

अमृत भारत रेलवे स्‍टेशन में रिडेवलप 103 रेलवे स्‍टेशनों में सबसे ज्‍यादा उत्तर प्रदेश के, लिस्‍ट में देखें आपका स्‍टेशन शामिल है कि नही?

Amrit Bharat Railway Station- भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा के देशभर के 1337 स्‍टेशनों का कायाकल्‍प कर रहा है. इनमें से 103 रेलवे स्‍टेशन पूरी तरह से रिडेवलप हो गए हैं और आज इनका उद्घाटन हुआ .
अमृत भारत स्‍टेशन में रिडेवलप हो रहे हैं स्‍टेशन
उत्‍तर प्रदेश के 19 स्‍टेशन तैयार
उप्र में 157 स्‍टेशनों का हो रहा है कायाकल्‍प
भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा के देशभर के छोटे बड़े स्‍टेशन मिलाकर 1337 स्‍टेशनों का कायाकल्‍प कर रहा है. इनमें तमाम से स्‍टेशनों पर एयरपोर्ट जैसी सुविधा मिलेगी. इनमें से 103 रेलवे स्‍टेशन पूरी तरह से रिडेवलप हो गए हैं और 22 मई को इनका उद्घाटन हो रहा है. इनमें से सबसे ज्‍यादा रेलवे स्‍टेशन उत्‍तर प्रदेश के हैं. दूसरे नंबर पर गुजरात और तीसरे नंबर पर महाराष्‍ट्र है.

रिडेवलप हो रहे 1337 स्टेशनों में 103 तैयार, सबसे ज्यादा उप्र के
इस तरह स्टेशनों का हो रहा है कायाकल्प.

रेल मंत्रालय अमृत भारत स्‍टेशन योजना में स्‍टेशनों को रिडेवलप कर रहा है. इनका कुल बजट 1 लाख करोड़ रुपये है. साल 2023-24 मे 8000 करोड़ रुपये और 2024-25 में 12993 करोड़ खर्च हुए हैं. इसके साथ ही साल 2025-26 बजट में रिडेवलपमेंट के लिए 12000 करोड़ दिए हैं.

इस तरह हो रहा रिडेवलप

रेल मंत्रालय के एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर इनफार्मेशन एंड पब्लिसिटी दिलीप कुमार के अनुसार भारतीय रेलवे अमृत भारत रेलवे स्‍टेशन में जो स्‍टेशन रिडेवलप कर रहा है. इनमें रूफ प्लाजा, इंटर मॉडल कनेक्टिविटी, बच्चों के खेलने का स्‍थान, कियोस्क, लिफ्ट, वेटिंग रूम, फूड कोर्ट आदि शामिल हैं. साथ ही, इन्हें पर्यावरण और दिव्यांग अनुकूल बनाया जाएगा, जिससे यात्रियों को रेल यात्रा में किसी तरह की परेशानी न हो.

Amrit Bharat Station: देशभर के 1309 रेलवे स्टेशनों का होगा कायाकल्प, पहले चरण में 508 का होगा आधुनिकीकरण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमृत भारत स्टेशन स्कीम के तहत 6 अगस्त को 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास कार्यों का शिलान्यास करेंगे। इनमें बंगाल के 37 रेलवे स्टेशन होंगे। पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक अमर प्रकाश द्विवेदी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय रेल आधुनिकीकरण की दिशा में गति से बढ़ रहा है। देशभर के 1309 रेलवे स्टेशनों को उत्कृष्ट यात्री सुविधाओं से लैस किया जाएगा।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आधारशिला रखेंगे पीएम मोदी
रेलवे स्टेशनों को ‘सिटी सेंटर’ के रूप में विकसित किया जाएगा
उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा स्टेशन को किया जाएगा नवीनीकरण
जागरण टीम, नई दिल्ली। अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देशभर में 1309 स्टेशनों का आधुनिकीकरण किया जाएगा। पहले चरण में 508 स्टेशनों को शामिल किया गया है, जिन पर 24,470 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पहले चरण में शामिल रेलवे स्टेशनों के नवीनीकरण कार्य की आधारशिला रखेंगे। इस दौरान वह यात्रियों को भी संबोधित करेंगे।
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी ने कहा कि अगले 30 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखकर स्टेशनों के पुनर्विकास का काम किया जाना है। इस योजना के तहत रेलवे स्टेशनों को ‘सिटी सेंटर’ के रूप में विकसित किया जाएगा।
इमारतों का डिजाइन स्थानीय संस्कृति से होगा प्रेरित

इनकी इमारतों का डिजाइन स्थानीय संस्कृति, विरासत और वास्तुकला से प्रेरित होगा। दिव्यांगों, महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। योजना में जिला मुख्यालय के उन छोटे स्टेशनों को भी शामिल किया गया है, जहां यात्रियों की संख्या अधिक है, लेकिन वे आधुनिकीकरण में पिछड़ गए।
एजेंसियों को छह से आठ माह में काम पूरा करना होगा। इस योजना के तहत मध्य प्रदेश में रानी कमलापति, गुजरात में गांधीनगर और कर्नाटक में सर एम विश्वेश्वरैया रेलवे स्टेशन को अपग्रेड किया जा चुका है।
योजना में उप्र के सबसे ज्यादा 156 स्टेशन

अमृत भारत स्टेशन योजना में हरियाणा के 40 स्टेशन शामिल किए गए हैं। आंध्र प्रदेश के 72, अरुणाचल प्रदेश का एक, असम के 50, बिहार के 92, छत्तीसगढ़ के 32, दिल्ली के 13, गोवा के तीन, गुजरात के 87, हिमाचल प्रदेश से चार, झारखंड के 57, कर्नाटक के 56, केरल के 35, मध्य प्रदेश के 80, महाराष्ट्र के 126, सिक्किम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम व नगालैंड के एक-एक, ओडि़सा के 57, पंजाब के 30, राजस्थान के 83, तमिलनाडु के 75, तेलंगाना के 40, त्रिपुरा के चार, यूटी आफ चंडीगढ़-एक, यूटी आफ जम्मू एंड कश्मीर-चार, यूटी आफ पुडुचेरी-तीन, उत्तर प्रदेश के 156, उत्तराखंड के 11 और बंगाल से 98 स्टेशन हैं।
उत्तर रेलवे के 144 स्टेशनों का होगा पुनर्निर्माण कार्य
इस योजना के अंतर्गत उत्तर रेलवे के 144 स्टेशनों को पुनर्विकास किया जाना है। पहले चरण में 71 स्टेशनों को शामिल किया गया है। दिल्ली मंडल के कुल 33 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जाना है, जिनमें 14 स्टेशन पहले चरण के लिए चुने गए हैं।
सबसे ज्यादा लुधियाना स्टेशन पर 460 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 436 करोड़ रुपये से चंडीगढ़ और 371 करोड़ से दिल्ली कैंट स्टेशन का नवीकरण होगा। गाजियाबाद स्टेशन पर के लिए 337 करोड़ और फरीदाबाद के लिए 262 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए गए हैं।। इसी तरह जम्मू कश्मीर में 259 करोड़ व जालंधर कैंट 99 करोड़ खर्च होंगे।
स्टेशनों पर उपलब्ध होने वालीं सुविधाएं
रेलवे स्टेशनों तक पहुंचने में होने वाली परेशानी दूर की जाएगी।
स्टेशन के दोनों तरफ से प्लेटफार्म पर यात्रियों को प्रवेश व बाहर जाने की सुविधा।
स्टेशन भवन में सुधार।
स्वचालित सीढि़यों का प्रविधान।
बेहतर प्रकाश व्यवस्था।
सर्कुलेटिंग क्षेत्र का विस्तार।
पार्किंग श्रेत्र में सुधार।
दिव्यांगजनों के अनुकूल आधारभूत सुविधाएं।
हरित और नवीनीकृत ऊर्जा का उपयोग, पर्यावरण अनुकूल इमारत।
रूफ प्लाजा की व्यवस्था जिससे यात्रियों को ट्रेन के इंतजार करने में परेशानी न हो।
बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए स्थानीय परिवहन जैसे मेट्रो व बस स्टैंड से जोड़ना।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

रिडेवलप हो चुके स्‍टेशनों के राज्‍यवार नाम

उत्‍तर प्रदेश में 19 स्‍टेशन, गुजरात में 18, महाराष्‍ट्र में 16, राजस्‍थान में आठ, तमिलनाडु में नौ, मध्‍य प्रदेश में छह, छत्‍तीसढ़ में पांच, कर्नाटक में पांच, तेलंगाना में तीन, पश्चिम बंगाल में तीन, केरल में दो, आंध प्रदेश में एक, असम में एक, बिहार में दो, हरियाणा एक, हिमाचल प्रदेश एक, झारखंड एक, पुडूचेरी एक स्‍टेशन रिडेवलप हो चुके हैं.

रिडेवलप हो चुके स्‍टेशन

बिजनौर, सहारनपुर, ईदगाह आगरा जंक्‍शन, गोवर्धन, फतेहाबाद, करछना, गोविंदपुरी, पुंखराया, इज्‍जतनगर, बरेली, हाथरस सिटी, उझानी, सिद्धार्थ नगर, स्‍वामी नारायन छपिया, मैलानी जंक्‍शन, गोला गोकरननाथ, रामघाट हाल्‍ट, सुरायमानपुर, बलरामपुर

रिडेवलप हो रहे स्‍टेशनों की राज्‍यवार आंकड़े

उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 157, उसके बाद महाराष्ट्र में 132, पश्चिम बंगाल में 101, बिहार में 98, गुजरात में 87, राजस्थान में 85, मध्य प्रदेश में 80, तमिलनाडु में 77, आंध्र प्रदेश में 73, कर्नाटक में 61, ओडिशा में 59, झारखंड में 57 और असम में 50 स्‍टेशन रिडेवलप रहे हैं.

उप्र में 148 स्‍टेशनों पर काम शुरू

उत्‍तर प्रदेश के रिडेवलप हो रहे 157 स्‍टेशनों में से 148 पर काम शुरू हो चुका है. इस केवल नौ स्‍टेशन ऐसे बचे हैं, जहां पर काम अभी काम शुरू नहीं हो पाया है. लेकिन इनकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

मोदी सरकार रेलवे स्टेशनों के मेगा आधुनिकीकरण को कैसे पटरी पर लायी

निजी खिलाड़ियों को शामिल करना कठिन साबित हो रहा था, इसलिए सरकार ने साहसपूर्वक सार्वजनिक व्यय का रास्ता अपनाया

आम चुनाव की तारीखों की घोषणा से कुछ ही दिन पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 फरवरी को देशभर के 553 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला रखी। यह उनकी पसंदीदा परियोजनाओं में से एक है- अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण। मोदी ने लखनऊ में पुनर्विकसित गोमती नगर स्टेशन का भी उद्घाटन किया।

मोदी 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर रेलवे के शीर्ष अधिकारियों के साथ अपनी पहली बैठक से ही स्टेशनों के आधुनिकीकरण पर जोर दे रहे थे, लेकिन उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। पिछले एक साल में शिलान्यास की होड़ और साथ ही भोपाल के रानी कमलापति, गांधीनगर कैपिटल, अयोध्या धाम और बेंगलुरु में सर एम. विश्वेश्वरैया टर्मिनल जैसे पुनर्विकसित रेलवे स्टेशनों के उद्घाटन से एक महत्वपूर्ण बात उजागर होती है: सरकार ने वित्तपोषण के हमेशा से मुश्किल रहे मॉडल को तोड़ दिया है। और इसका समाधान काफी सरल है: सार्वजनिक खर्च।

 

पिछले वर्ष की शुरुआत में मोदी सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि स्टेशन आधुनिकीकरण कार्यक्रम को शुरू करने का सबसे त्वरित तरीका – जो वर्षों से व्यवहार्य वित्त पोषण तंत्र के अभाव में अटका पड़ा है – सरकारी खजाने को खोलना है, न कि निजी खिलाड़ियों द्वारा दीर्घकालिक निवेश के रूप में इस विचार को अपनाने की प्रतीक्षा करना है।

आधुनिकीकरण को 1,275 स्टेशनों की सूची निर्धारित की गई थी, जिसे अब संशोधित कर 1,321 कर दिया गया है। इसमें रेलवे निजी कंपनियों को विस्तारित क्षमता और बेहतर यात्री सुविधाओं से सुसज्जित इमारतों के निर्माण को अनुबंध देगा। अगले कुछ वर्षों में इस पर 80,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे। उदाहरण को, लगभग 553 स्टेशनों के लिए अनुमानित 19,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। गोमती नगर स्टेशन को 385 करोड़ रुपये के सरकारी फंड का उपयोग करके एक नई इमारत के साथ आधुनिक बनाया जा सकता है।

ऐसा नहीं है कि सरकार बुनियादी ढांचे के विकास को निजी पूंजी के खिलाफ है, लेकिन इस विशाल कार्य में निजी खिलाड़ियों को शामिल करना चुनौतीपूर्ण रहा है। 2019 में, सरकार ने नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में सचिवों की पांच सदस्यीय समिति बनाई थी, जिसका उद्देश्य नीति सुलझाना और 150 यात्री ट्रेनों के संचालन का निजीकरण करने के अलावा 50 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का तरीका खोजना था। यह तब हुआ जब मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पांच साल इस पहेली को सुलझाने की कोशिश में बीत गए।

समिति के सामने यह विचार था कि 50 स्टेशनों के माध्यम से, वह ऐसे वित्तपोषण मॉडल पर पहुंच सकेगी जो निजी डेवलपर्स को सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में बड़ी पूंजी निवेश करने को पर्याप्त आकर्षक लगेगा। ऐसा नहीं हुआ, और ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि समिति ने प्रयास नहीं किया। यह सिर्फ इतना है कि न तो निजी खिलाड़ी और न ही सरकार ऐसी शर्तें तय कर पाईं जो वित्तीय रूप से दोनों को कारगर हों।

2021 में, समिति ने इस प्रक्रिया को नीति आयोग ने एक मॉडल विकास समझौते के जारी होने की देखरेख की। इसने निजी विकासकर्ताओं को स्टेशन विकसित करने और हवाई अड्डों की तरह उपयोगकर्ता विकास शुल्क से उस पैसे की वसूली करने के तरीकों को दोहराया। लेकिन रेलवे स्टेशन हवाई अड्डे नहीं हैं क्योंकि वे बहुत अलग सामाजिक-आर्थिक प्रोफ़ाइल वाले ग्राहकों की सेवा करते हैं। सरकार ने सार्वजनिक रूप से यह भी दोहराया है कि रेलवे सामान्य जन का परिवहन साधन है। इसलिए, विकास शुल्क वसूलने का मतलब टिकट की कीमत में वृद्धि होगी। यह विचार राजनीतिक परीक्षण में पास नहीं हुआ।

कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार का भी स्टेशन आधुनिकीकरण योजना जमीन पर उतारना लगभग असंभव था। यूपीए सरकार में रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने नई दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में विश्व स्तरीय स्टेशन की योजना बनाकर देश को चौंका दिया था। लेकिन नीति निर्माताओं को जल्द ही एहसास हो गया कि रेलवे स्टेशन का विकास अकेले नहीं हो सकता क्योंकि इसके लिए स्थानीय नगर निकाय और राज्य सरकार जैसी एजेंसियों को भी शामिल करना होगा। इसके अलावा अन्य विषय भी थे जिन पर विचार किया जाना था: निजी खिलाड़ी को पट्टे की अवधि कितनी होनी चाहिए? किस तरह के भूमि उपयोग की अनुमति दी जानी चाहिए? कौन क्या करेगा? और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निजी खिलाड़ी अपना निवेश कैसे वापस लेगा?

यह सब इसलिए भी हुआ क्योंकि उस समय की सरकारें सार्वजनिक धन निवेश नहीं करना चाहती थीं, जिसे वापस पाना बहुत मुश्किल होता। इसके बजाय, वे अपनी संपत्ति या स्वामित्व वाली भूमि का लाभ उठाना चाहते थे। लेकिन हितधारकों के साथ अनगिनत औपचारिक और अनौपचारिक चर्चाएँ – भारत में कोई भी बड़ी रियल एस्टेट कंपनी इससे अछूती नहीं रही – सार्थक प्रगति करने में विफल रहीं। इसलिए, रानी कमलापति, जिसे पहले भोपाल में हबीबगंज के नाम से जाना जाता था, स्थानीय निजी विकासकर्ता से विकसित एकमात्र स्टेशन बना रहा।

मोदी सरकार ने जो किया है, वह है बागडोर अपने हाथों में लेना। स्टेशन आधुनिकीकरण के सौदे इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण अनुबंध हैं, जिसमें सरकार भुगतानकर्ता बनी रहती है और अपनी संपत्तियों का निर्माण उपयोग के लिए करवाती है। सार्वजनिक उपयोगिताओं के बदलाव को दिखाना राजनीतिक रूप से भी समझदारी भरा था, जिनका उपयोग हर दिन लाखों लोग करते हैं।इसने पूरे भारत में निर्माण गतिविधि में भारी पूंजी लगाई है और रेलवे स्टेशनों जैसे बड़े गतिविधि केंद्रों के आधुनिकीकरण से जुड़े व्यवसायों के लिए संभावनाओं को खोल दिया है। उदाहरण को, दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन को आधुनिक कार्यालय स्थानों के साथ फिर से बनाया जा रहा है, जिन्हें रेलवे किराए पर देगा क्योंकि, जैसा कि केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कहते हैं, “दिल्ली में कार्यालय स्थानों की कमी है”।

योजना यह है कि प्रत्येक पुनर्विकसित स्टेशन इस तरह से अद्वितीय होगा, जिसका उद्देश्य अपने शहर या कस्बे में मौजूदा कमी पूरा करना है। राज्यों में कई स्थानों पर निर्माण कार्य पहले से ही चल रहा है, सरकार का मानना ​​है कि रेलवे स्टेशन आधुनिकीकरण की पहेली आखिरकार सुलझ गई है। 26 फरवरी को समारोह में मुस्कुराते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “बुनियादी ढांचे पर खर्च किया गया हर पैसा आय और नए रोजगार के नए स्रोत पैदा करता है।” “अमृत भारत स्टेशन विकास और विरासत दोनों के प्रतीक हैं।”

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