रडार पकड़ से बाहर, चीन-PAK के अधिकांश शहर पहुंच में… DRDO का घातक हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोजेक्ट
रडार पकड़ से बाहर, चीन-PAK के अधिकांश शहर पहुंच में… घातक हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोजेक्ट पर बढ़ा DRDO
DRDO बहुत जल्द अपनी नई मिसाइल का परीक्षण करने वाला है. संभवतः अगले महीने. इस मिसाइल को “चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ाने वाला” हथियार बताया जा रहा है. यह मिसाइल चार वर्षों के भीतर तैनात हो सकती है. चीन-PAK… दोनों देशों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है.
DRDO नई हाइपरसोनिक मिसाइल सामने लाने को तैयार
नई दिल्ली,19 मई 2025,भारत रक्षा क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने को है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च करने की तैयारी में है, जो विश्व की सबसे तेज और घातक मिसाइलों में से एक होगी.
इस मिसाइल की गति मैक 5 (लगभग 6120 किमी/घंटा) होगी. इससे भारत वैश्विक सैन्य शक्तियों के बीच नई ऊंचाई पर होगा. DRDO के वरिष्ठ वैज्ञानिक और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व सीईओ डॉक्टर सुधीर कुमार मिश्रा ने अभी इसकी पुष्टि की है. उनके अनुसार कुछ हफ्ते पहले हाइपरसोनिक इंजन का सफल परीक्षण किया गया. जल्द ही यह सबके सामने होगा.
हाइपरसोनिक मिसाइल क्या है?
हाइपरसोनिक मिसाइलें वे हथियार हैं जो ध्वनि की गति से पांच गुना या उससे अधिक तेजी से उड़ान भर सकती हैं. इनकी गति मैक 5 से मैक 25 (6,120 किमी/घंटा से 24,140 किमी/घंटा) तक हो सकती है. ये मिसाइलें अपनी असाधारण गति, मिड-फ्लाइट में दिशा बदलने की क्षमता और निचली ऊंचाई पर उड़ान भरने की विशेषता के कारण मौजूदा वायु रक्षा प्रणालियों के लिए लगभग अजेय होती हैं.
हाइपरसोनिक मिसाइलें दो प्रकार की होती हैं…
हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV): इन्हें रॉकेट के माध्यम से ऊपरी वायुमंडल में लॉन्च किया जाता है, जहां से ये अपने लक्ष्य की ओर ग्लाइड करते हुए तेजी से हमला करते हैं. ये मिसाइलें उड़ान के दौरान दिशा बदल सकती हैं, जिससे इन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है.
हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल: ये स्क्रैमजेट इंजन (सुपरसोनिक कम्बशन रैमजेट) से संचालित होती हैं, जो उच्च गति पर हवा को संपीड़ित कर ईंधन के साथ मिलाकर दहन उत्पन्न करती हैं. ये मिसाइलें निचली ऊंचाई पर उड़ान भरती हैं. अत्यधिक सटीकता के साथ लक्ष्य को भेद सकती हैं.
DRDO की नई मिसाइल, जिसका विकास ब्रह्मोस-II प्रोग्राम के तहत हो रहा है, एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल होगी, जो स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन से लैस होगी.
DRDO की हालिया उपलब्धि
16 मई 2025 को डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा ने एक मीडिया संस्थान के कार्यक्रम में खुलासा किया कि DRDO ने हाल ही में एक हाइपरसोनिक इंजन का सफल परीक्षण किया है. इस इंजन का ग्राउंड टेस्ट 25 अप्रैल 2025 को हैदराबाद के स्क्रैमजेट कनेक्ट टेस्ट फैसिलिटी में हुआ, जहां स्क्रैमजेट इंजन ने 1,000 सेकंड (16 मिनट से अधिक) तक लगातार काम किया. यह विश्व का सबसे लंबा स्क्रैमजेट टेस्ट है, जो भारत को हाइपरसोनिक तकनीक में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के बराबर ला खड़ा करता है.
डॉक्टर मिश्रा ने कहा कि दो-तीन हफ्ते पहले हमने हाइपरसोनिक इंजन का परीक्षण किया. जल्द ही हम एक ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च करेंगे, जो मैक 5 गति तक पहुंचेगी. ब्रह्मोस के लिए सभी तकनीकें DRDO ने स्वदेशी रूप से विकसित की हैं, यहां तक कि हमने विश्व का सबसे बड़ा लॉन्चर भी बनाया.
इस मिसाइल का विकास DRDO की हैदराबाद स्थित डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स और अन्य प्रयोगशालाओं के साथ-साथ निजी क्षेत्र की कंपनियों के सहयोग से किया जा रहा है. यह मिसाइल 1,500 किलोमीटर से अधिक की रेंज के साथ विभिन्न प्रकार के पेलोड ले जाने में सक्षम होगी, जो इसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक बहुमुखी हथियार बनाती है.
तकनीकी विशेषताएं
DRDO की हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली में कई उन्नत तकनीकों का समावेश है…
स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन: यह इंजन हाइपरसोनिक गति को बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें उन्नत थर्मल मैनेजमेंट, स्टैबिलिटी और दहन स्थिरता (प्रोप्लशन कंट्रोल) की विशेषताएं हैं. इंजन में सिरेमिक थर्मल बैरियर कोटिंग्स (TBCs) का उपयोग है, जो बेहद अधिक तापमान सहन कर सकती हैं.
एंडोथर्मिक ईंधन: DRDO ने निजी उद्योग भागीदारों के साथ मिलकर एक स्वदेशी ईंधन विकसित किया है, जो इंजन को ठंडा रखने और प्रज्वलन को बढ़ाने में मदद करता है. यह ईंधन मिसाइल की दक्षता और प्रदर्शन को बढ़ाता है.
उच्च गति और गतिशीलता: यह मिसाइल मैक 5 की गति के साथ-साथ उड़ान के दौरान दिशा बदलने की क्षमता रखती है, जिससे इसे इंटरसेप्ट करना लगभग असंभव हो जाता है. यह निचली ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है, जिससे रडार डिटेक्शन और भी कठिन हो जाता है.
लंबी रेंज: 1,500 किमी से अधिक की रेंज इस मिसाइल को सामरिक और रणनीतिक दोनों तरह के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम बनाती है. यह पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के वारहेड ले जा सकती है.
स्वदेशी तकनीक: इस मिसाइल में उपयोग की गई सभी प्रमुख तकनीकें, जैसे कि लॉन्चर, इंजन और नेविगेशन सिस्टम DRDO द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित की गई हैं.
सामरिक महत्व
हाइपरसोनिक मिसाइल का विकास भारत की रक्षा क्षमताओं में एक गेम-चेंजर साबित होगा. इसके प्रमुख फायदे हैं…
मारक क्षमता: इस मिसाइल की उच्च गति और गतिशीलता इसे दुश्मन के रणनीतिक और परमाणु ठिकानों को नष्ट करने के लिए पहली पसंद बनाती है. यह भारतीय सशस्त्र बलों को त्वरित और सटीक हमले की क्षमता प्रदान करती है.
वायु रक्षा प्रणालियों को भेदने की क्षमता: इसकी अप्रत्याशित उड़ान पथ और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता इसे मौजूदा मिसाइल रक्षा प्रणालियों के लिए लगभग अजेय बनाती है. यह विशेष रूप से उन देशों के खिलाफ प्रभावी है जो उन्नत रक्षा प्रणालियों पर निर्भर हैं.
क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: भारत का यह कदम दक्षिण एशिया में सैन्य शक्ति संतुलन को बदल सकता है. यह मिसाइल भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के खिलाफ एक मजबूत रणनीतिक स्थिति प्रदान करती है.
वैश्विक साख: इस उपलब्धि के साथ भारत उन चुनिंदा देशों (रूस, चीन, अमेरिका) में शामिल हो गया है, जिनके पास हाइपरसोनिक तकनीक है. यह भारत की तकनीकी और सैन्य क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करता है.
चीन और पाकिस्तान पर प्रभाव
भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल का विकास चीन और पाकिस्तान के लिए एक बड़ा रणनीतिक झटका है.
चीन
तकनीकी चुनौती: चीन के पास DF-ZF और स्टारी स्काई-2 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं, लेकिन भारत का स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन और 1,000 सेकंड का टेस्ट विश्व रिकॉर्ड चीन की तकनीकी प्रगति को चुनौती देता है. भारत की यह मिसाइल लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों के पास मौजूद चीनी सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकती है.
क्षेत्रीय प्रभाव: भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति और हाइपरसोनिक मिसाइल की तैनाती से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता पर अंकुश लग सकता है. यह मिसाइल चीनी नौसेना के जहाजों और तटीय ठिकानों के लिए भी खतरा बन सकती है.
रणनीतिक चिंता: भारत का यह कदम चीन को अपनी मिसाइल रक्षा प्रणालियों को अपग्रेड करने और हाइपरसोनिक तकनीक में और निवेश करने के लिए मजबूर कर सकता है. इससे क्षेत्रीय मिसाइल दौड़ तेज हो सकती है.
पाकिस्तान
सैन्य असंतुलन: पाकिस्तान के पास अभी तक स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोग्राम नहीं है. हाल ही में पाकिस्तानी वायुसेना ने चीन निर्मित CM-400AKG मिसाइल को हाइपरसोनिक बताया, लेकिन इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं. भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणालियों को आसानी से भेद सकती है.
सामरिक दबाव: यह मिसाइल पाकिस्तान के प्रमुख सैन्य ठिकानों जैसे कि कराची, रावलपिंडी और इस्लामाबाद को त्वरित और सटीक हमले का लक्ष्य बना सकती है. इससे पाकिस्तान की रणनीतिक गहराई प्रभावित होगी.
चीन पर निर्भरता: भारत की इस प्रगति से PAK को अपनी रक्षा के लिए और अधिक चीनी तकनीक पर निर्भर होना पड़ सकता है, जिससे उसकी स्वायत्तता कम होगी.
ब्रह्मोस-II और अन्य परियोजनाएं
DRDO की यह हाइपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस-II प्रोग्राम का हिस्सा है, जो भारत और रूस के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की जा रही है. ब्रह्मोस-I, जो विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (मैक 3.5, 650 किमी रेंज) है, ने पहले ही अपनी विश्वसनीयता साबित की है
ब्रह्मोस-II इसे और उन्नत बनाएगी, जिसमें मैक 7-8 की गति और 1,500 किमी की रेंज होगी. यह मिसाइल रूस की 3M22 जिरकॉन मिसाइल से प्रेरित है. लेकिन इसमें DRDO का स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन उपयोग होगा, जिससे भारत की रूस पर निर्भरता कम होगी.
DRDO की अन्य हाइपरसोनिक परियोजनाओं में शामिल हैं…
हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV): यह एक मानवरहित स्क्रैमजेट-संचालित विमान है, जिसे हाइपरसोनिक मिसाइलों और सस्ते उपग्रह लॉन्च के लिए वाहक के रूप में उपयोग किया जाएगा. 2020 में इसका सफल परीक्षण हुआ, जिसमें मैक 6 की गति 23 सेकंड तक हासिल की गई.
शौर्य मिसाइल: यह एक सतह से सतह पर मार करने वाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो मैक 7.5 की गति और 1,900 किमी की रेंज के साथ परमाणु और पारंपरिक वारहेड ले जा सकती है. यह 2020 में रणनीतिक बल कमान में शामिल हुई.
भविष्य की प्लानिंग
भविष्य में DRDO ब्रह्मोस-II को मैक 8 तक की गति और अधिक रेंज के साथ विकसित करने की योजना बना रहा है. साथ ही, HSTDV को नागरिक उपयोग, जैसे कि सस्ते उपग्रह लॉन्च के लिए किया जाएगा. DRDO की हाइपरसोनिक मिसाइल भारत की रक्षा और तकनीकी क्षमता में एक क्रांतिकारी कदम है.
यह न केवल भारत को वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करती है, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को भी प्रभावित करती है. चीन और पाकिस्तान के लिए यह मिसाइल एक रणनीतिक चुनौती है, जो उनकी सैन्य रणनीतियों और रक्षा प्रणालियों को पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकती है.
भारत का यह कदम आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल को मजबूती प्रदान करता है. यह दर्शाता है कि भारत अब विश्व की सबसे उन्नत सैन्य तकनीकों में अग्रणी है. जैसा कि डॉक्टर मिश्रा ने कहा कि हमारी मिसाइलें सबसे बेहतर हैं यह उपलब्धि न केवल भारतीय सशस्त्र बलों का आत्मविश्वास बढ़ाती है, बल्कि विश्व मंच पर भारत की तकनीकी और रणनीतिक साख को भी मजबूत करती है।
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