नारी शक्ति को नई गति, महिला सशक्तिकरण के 11 वर्ष
नारी शक्ति को नई गति,महिला सशक्तिकरण के 11 वर्ष
देहरादून/नई दिल्ली 08 जून 2025। भारतीय महिलाओं खासकर ग्रामीण और हाशिए के समुदायों में पीढ़ियों से, व्यवस्थागत बाधाओं शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और निर्णय लेने के सीमित अधिकारों का सामना किया है । लेकिन 2014 से, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐतिहासिक बदलाव हुआ। महिलायें अब निष्क्रिय लाभार्थियों नहीं बल्कि भारत की विकास कहानी के केंद्र में सशक्त माध्यम हैं।
साहसिक, समावेशी और जीवनचक्र-आधारित दृष्टिकोण प्रेरित, सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, डिजिटल पहुँच, स्वच्छता और वित्तीय समावेशन में लक्षित हस्तक्षेप किए। “नारी शक्ति” अब राष्ट्रीय मिशन है, जो हर महिला- शहरी या ग्रामीण, युवा या बुजुर्ग – सम्मान, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता से जीवन सशक्त बनाता है।
अब महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों की नेता , व्यवसाय, विज्ञान, रक्षा और खेल में बाधायें तोड़ देश के भविष्य को आकार दे रही हैं। भारत में महिलायें और बच्चे 67.7% है, इसलिए उनका सशक्तिकरण सिर्फ़ सामाजिक सुधार नहीं – रणनीतिक अनिवार्यता है। जैसे-जैसे भारत अमृत काल में जा रहा है, नारी शक्ति अजेय शक्ति रूप में मजबूत, अधिक समावेशी राष्ट्र को आगे बढ़ा रही है।
जीवन के हर काल में सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण भारत के विकास को महत्वपूर्ण है। महिलाओं को ‘गृहिणी’ रूप के दिन लद गए, हमें महिलाओं को राष्ट्र निर्माता के रूप में देखना होगा!” –प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी
सशक्तिकरण कोई एकाकी घटना नही यात्रा है। मोदी सरकार की नीतियां जीवन के हर चरण में महिला समर्थक कार्यक्रमों से बनी है। पिछले 11 वर्षों में, भारत सरकार ने सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और कानूनी क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण को व्यापक, जीवनकाल-आधारित नीतिगत ढांचा अपनाया है। संवैधानिक सुरक्षा उपायों और हिंसा एवं भेदभाव विरोधी ऐतिहासिक कानूनों से लेकर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मिशन शक्ति, जैसी परिवर्तनकारी योजनाओं और ऐतिहासिक नारी शक्ति वंदन अधिनियम जैसे आंदोलनों तक, महिला विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास पर ध्यान केंद्रित हुआ है। शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी – विशेष रूप से एसटीईएम- कौशल, स्व-सहायता समूहों से उद्यमिता और सार्वजनिक सेवा। कानूनी सुधार और श्रम संहिता, सुरक्षित और समावेशी कार्यस्थलों को बढ़ावा देती है, जबकि पीएम आवास योजना, डीएवाई- एनआरएलएम और कृषि सहायता पहल जैसी योजनाओं ने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया है। जमीनी स्तर के शासन से रक्षा बलों और विमानन तक, महिलाएं अब सभी क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा समावेशी और टिकाऊ राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा दे रही हैं।
*स्वास्थ्य सुधार, राष्ट्र निर्माण*
मिशन पोषण से भारत की कुपोषण से लड़ाई ने साहसिक, एकीकृत छलांग लगाई है – एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम डिज़ाइन कर, मिशन पोषण, पोषण सेवाओं की सामग्री और वितरण को नया रूप देकर सबसे कमज़ोर – बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली मातायें लक्षित करता है।
*मिशन पोषण 2.0*
1.81 लाख करोड़ रुपए से अधिक के दूरदर्शी निवेश से, पोषण 2.0 को 15वें वित्त आयोग में (2021-22 से 2025-26) में बेहतर प्रथाओं, मजबूत प्रतिरक्षा और समग्र कल्याण से स्वास्थ्य संस्कृति बनाने को शुरू किया है। आंदोलन के केंद्र में 2018 में शुरू पोषण अभियान है – ऐसा प्रमुख कार्यक्रम जो अत्याधुनिक डिजिटल उपकरणों को जमीनी स्तर से जोड़ता है। पोषण संकेतकों की वास्तविक समय की ट्रैकिंग से लेकर समुदाय संचालित अभियानों तक, इसने भोजन, स्वास्थ्य और स्वच्छता में व्यवहारिक बदलाव प्रेरित किये है।
*सक्षम आंगनवाड़ियों का उन्नयन*
सरकार ने मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 में 15वें वित्त आयोग (प्रति वर्ष 40,000 आंगनवाड़ी केंद्रों की दर से) में देश भर में 2 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों (एडब्ल्यूसी) के अपग्रेडेशन का लक्ष्य रखा है।
● वित्त वर्ष 2024-25 में 2 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के उन्नयन को स्वीकृति।
● अब तक 24,533 आंगनवाड़ी केंद्र सक्षम आंगनवाड़ी में बदला।
*पोषण भी पढाई भी (पीबीपीबी) पहल*
प्रारंभिक शिक्षा को पोषण से एकीकृत गुणवत्तापूर्ण प्री-स्कूल शिक्षा देने को आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण केंद्रित है।
31 मार्च 2025 तक, 36,463 राज्य-स्तरीय मास्टर ट्रेनर (एसएलएमटी) और 4,65,719 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता देश भर में प्रशिक्षित हो चुके।
*नवाचार को मान्यता: पोषण ट्रैकर उपलब्धियाँ*
पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन को सिविल सेवा दिवस पर लोक प्रशासन में उत्कृष्टता को प्रधानमंत्री पुरस्कार 2024 (नवाचार श्रेणी – केंद्र) मिला।
● सितंबर 2024 में 27वें राष्ट्रीय सम्मेलन में ई-गवर्नेंस (स्वर्ण) को राष्ट्रीय पुरस्कार ।
● 99.02% लाभार्थी अब आधार-सत्यापित हैं (मार्च 2025 तक)।
● टेक-होम राशन (टीएचआर) एक फेस ऑथेंटिकेशन मॉड्यूल है, जो दो-कारक प्रमाणीकरण प्रणाली से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
*सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान*
प्रधानमंत्री का 26 दिसंबर 2024 को शुरू अभियान पोषण और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार को असाधारण जमीनी काम करने वाली शीर्ष 1000 ग्राम पंचायतें पुरस्कृत करता है। ये “सुपोषित ग्राम पंचायतें” बाल और मातृ पोषण में समुदाय नेतृत्व प्रगति मॉडल हैं।
*सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी)*
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) दुनिया के सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयास है, जो सालाना 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं तक पहुँचता है।
*जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके)*
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) विस्तार 2014 में हुआ, जिसमें प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर सभी जटिलताओं की देखभाल शामिल है, खासकर प्रसव बाद के महत्वपूर्ण पहले 48 घंटों में। 2014-15 से, कार्यक्रम ने 16. 60 करोड़ से अधिक लाभार्थी लाभान्वित किये है।
*जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई)*
जेएसएस के पूरक रूप में, जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) ने भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाला, जिससे मार्च 2025 तक 11.07 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को सशर्त आर्थिक सहायता मिलेगी।
*सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (एसयूएमएएन)*
मातृ और नवजात शिशु देखभाल और मजबूत कर सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (एसयूएमएएन) पहल गर्भवती महिलाओं, बीमार नवजात शिशुओं और प्रसव से छह महीने तक माताओं को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक शून्य-लागत सुनिश्चित करती है। इससे, लाभार्थियों को प्रमाणित सुविधाओं में प्रशिक्षित पेशेवरों से देखभाल मिलती है। मार्च 2025 तक, देश भर में 90,015 एसयूएमएएन स्वास्थ्य सुविधाएँ दी गई हैं।
*प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए)*
इसने पहली तिमाही में चार व्यापक प्रसवपूर्व जांच कर मातृ स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ताकि उच्च जोखिम गर्भावस्था का समय पर पता लग सके।
*प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई)*
यह योजना संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दे मातृ स्वास्थ्य सुनिश्चित करती है, योजना गर्भवती और स्तनपान वाली महिलाओं को 5,000 रुपये सीधा नकद लाभ देती है। इसमें गर्भावस्था में बेहतर पोषण और स्वास्थ्य निगरानी होती है।
*सशक्तिकरण गरिमा से शुरू होता है – एक सुरक्षित घर, स्वच्छ ईंधन, निजी शौचालय और गृह द्वार पर पानी। मोदी सरकार ने महिलाओं के रोज़मर्रा का संघर्ष स्वास्थ्य, सुरक्षा और आत्म निर्भरता अवसर में बदला है। आवास से स्वच्छता तक, प्रत्येक पहल ने जीवन ऊपर उठा ग्रामीण भारत में नारी शक्ति की नींव मजबूत की ।
*प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई-जी)*
2016 में शुरू, प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) ने सपने पक्के घरों में बदले। 2.75 करोड़ पीएम आवास-ग्रामीण लाभार्थियों में 73% महिलाएँ हैं। गृह स्वामी होने से महिलाओं को आश्रय,सम्मान,सुरक्षा और निर्णय क्षमता दी है।
*उज्ज्वला योजना*
2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूआई) के शुभारंभ सै, 10.33 करोड़ एलपीजी कनेक्शन वितरित हुए , जिससे महिलाओं को खतरनाक धुएं से मुक्ति मिली।
*स्वच्छ भारत मिशन*
2014 पूर्व, केवल 39% भारतीय घरों में शौचालय थे। महिलाओं और लड़कियों को स्वास्थ्य, उत्पीड़न और अपमान का जोखिम था। स्वच्छ भारत मिशन ने इसे बदल दिया।
एसबीएम-ग्रामीण में 12 करोड़ से अधिक शौचालय बने, जिससे महिलाओं में सुरक्षा और आत्म-सम्मान की भावना आई। अध्ययन है कि शौचालय निर्माण बाद:
⮚ 93% महिलाओं को अब नुकसान या संक्रमण का डर नहीं रहा,
⮚ 92% रात में सुरक्षित महसूस करती हैं, और
⮚ 93% केवल शौच को नियंत्रित करने को भोजन और पानी से परहेज नही करना पड़ता।
*जल जीवन मिशन*
लंबी दूरी से पानी लाना ग्रामीण महिलाओं का दैनिक बोझ था। 2019 में शुरू जल जीवन मिशन (जेजेएम) ने यह परिश्रम समाप्त किया। 15.6 करोड़ से अधिक नल जल कनेक्शन ग्रामीण जीवन बदल रहे हैं, जो 2019 में मात्र 3.23 करोड़ थे। जेजेएम ने महिलाओं का समय बचा उन्हें जलापूर्ति योजना, निष्पादन और निगरानी में शामिल कर सशक्त बनाया ।
*शिक्षा और डिजिटल साक्षरता*_बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी)_
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) में राष्ट्रीय स्तर पर जन्म समय लिंगानुपात (एसआरबी) 918 (2014-15) से बढ़कर 930 (2023-24) हुआ है। शिक्षा मंत्रालय के यूडीआईएसई अनुसार, माध्यमिक तक के स्कूलों में लड़कियों का नामांकन (2014-15) में 75.51% से बढ़कर 2023-24 में 78% हुआ है।
*सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई)*
22 जनवरी 2015 को शुरू सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई) ने वित्तीय सुरक्षा से बालिकाओं को सशक्त बनाने का दशक पूरा किया है। नवंबर 2024 तक, पूरे भारत में 4.1 करोड़ से अधिक खाते योजना में व्यापक सार्वजनिक भागीदारी और विश्वास दर्शाता है। जनवरी 2025 में 10 साल पूरे करने पर, एसएसवाई परिवारों को अपनी बेटियों के भविष्य में निवेश करने को प्रोत्साहन जारी रखना वित्तीय समावेशन, लैंगिक समानता और दीर्घकालिक सामाजिक प्रगति प्रोत्साहित करता है।
*सामाजिक कल्याण और विकास*
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की महिला सशक्तिकरण की यात्रा मजबूत सामाजिक कल्याण आधारित है और अब यह नेतृत्व और एजेंसी आंदोलन में विकसित है। कल्याण से लेकर नेतृत्व तक, भारतीय महिलाएँ अब राष्ट्र के भाग्य को आकार देती हैं।
*रक्षा में महिलाएँ*
29 मई, 2025 को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से महिला कैडेटों का पहला बैच स्नातक हुआ। महिलाएँ पुलिस सेवाओं और सशस्त्र बलों के सभी विंगों में गर्व से वर्दी पहनती हैं, स्थायी कमीशन अब वास्तविकता है।
*एसटीईएम में महिलाएँ*
विज्ञान और अंतरिक्ष क्षेत्र में, भारतीय महिलाएँ सितारों तक पहुँच रही हैं। उन्होंने चंद्रयान-3 की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विश्व में सर्वाधिक महिला पायलट भारत में हैं तथा एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में स्नातक महिला अनुपात में विश्व स्तर पर अग्रणी है।
*नारी शक्ति वंदन अधिनियम*
परिवर्तन को संस्थागत रूप दे, ऐतिहासिक नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण को संवैधानिक छलांग है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं की 33% सीटें आरक्षित करके – अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के प्रतिनिधित्व के साथ – अधिनियम शासन में उनका उचित स्थान सुनिश्चित करता है।
*महिलाओं को समान अधिकार*
प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण में महिलाओं का बढ़ता भरोसा सार्थक सुधारों में निहित है जो उनके रोजमर्रा का जीवन प्रभावित करते हैं।
● ट्रिपल तलाक उन्मूलन ने मुस्लिम महिलाओं को सम्मान और कानूनी सुरक्षा दी है ।
● प्रस्तावित विवाह योग्य आयु 18 से बढ़ाकर 21 करने से युवा महिलाओं को विवाह से पहले शिक्षा और रोजगार का अधिकार मिलेगा।
● मातृत्व अवकाश दोगुना 26 सप्ताह करने से भारत कामकाजी माता समर्थक सबसे प्रगतिशील देशों में है।
●अतीत के अन्याय का ऐतिहासिक सुधार- अनुच्छेद 35A समाप्ति से जम्मू और कश्मीर में महिलाओं को अब समान संपत्ति और कानूनी अधिकार प्राप्त हैं।
*वित्तीय समावेशन और आर्थिक सशक्तिकरण*
महिलाओं को सही अवसर से बदलाव की अपार संभावनाएं हैं । जैसे-जैसे देश विकास पथ पर आगे बढ़ा, महिलाओं की महत्वाकांक्षाएं और अपेक्षाएं बढ़ी। इस शक्तिशाली बदलाव को पहचान भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी महिला उद्यमियों की संस्थागत ऋण बाधायें दूर करने को पहल की। दो प्रमुख योजनाओं-प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) और स्टैंड-अप इंडिया- ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
*प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई)*
योजना चार ऋण उत्पादों में 20 लाख रुपये तक ऋण देती है।
मार्च 2025 तक, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) आरंभ से, 52.77 करोड़ से अधिक ऋण खाते खुले, जिनमें स्वीकृत राशि 34.11 लाख करोड़ रुपये और वितरित राशि 33.33 लाख करोड़ रुपये है। 68% ऋण महिला उद्यमियों को मिले।
*स्टैंड-अप इंडिया योजना*
5 अप्रैल 2016 को शुरू स्टैंड-अप इंडिया योजना ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने को प्रत्येक बैंक शाखा से कम से कम एक एससी/एसटी और एक महिला उधारकर्ता को 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक बैंक ऋण सुविधा देती है। योजना को 2019-20 में 15वें वित्त आयोग की अवधि 2020 से 2025 तक बढ़ाया गया। मार्च 2025 तक, योजना में 2.73 लाख से अधिक खाते स्वीकृत हुए हैं, जिनमें से 2,04,058 ऋण, 83% महिलाओं को स्वीकृत हैं, राशि ₹47,704 करोड़ से अधिक है।
*दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई एनआरएलएम )*
योजना का उद्देश्य आत्मनिर्भरता, कौशल विकास और स्थायी आजीविका प्रोत्साहन से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना है। इसमें, 10.05 करोड़ से अधिक महिलायें 90.90 लाख स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में है। सशक्तिकरण आगे बढ़ाते हुए, लखपति दीदी पहल गेम-चेंजर है। मार्च 2025 तक, इसने 1.48 करोड़ एसएचजी सदस्यों को विविध और स्थायी आजीविका गतिविधियों से 1 लाख रुपये की न्यूनतम वार्षिक आय सक्षम बनाया।
मिशन मोड में मिशन शक्ति भारत सरकार के जीवन के सभी चरणों में महिला सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने को प्रमुख पहल है। टुकड़ों में उपायों से आगे यह राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में महिलाओं को समान हितधारकों में बदलने को जीवन-काल आधारित रणनीति है।
*मिशन शक्ति के दो स्तंभ:
● संबल
● सामर्थ्य*
संबल – महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें ये उन्नत योजनाएँ हैं:
*वन स्टॉप सेंटर (ओएससी* ): निजी या सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं कौ डिज़ाइन ओएससी, में अब प्रति केंद्र 4.5 लाख रुपये के वार्षिक अनुदान से समर्पित आपातकालीन बचाव वाहक है। मिशन शक्ति डैशबोर्ड में एक नया डिजिटल फीचर, “ओएससी पर अपॉइंटमेंट बुक करें” जोड़ा है, जिससे परेशान महिलाएँ समय पर सहायता को ऑनलाइन अपॉइंटमेंट शेड्यूल कर सकती हैं।
28 फरवरी 2025 तक, 908 ओएससी स्वीकृत हैं, जिनमें से 819 चालू हैं, जो 1 अप्रैल 2015 को अपनी स्थापना बाद से 10.98 लाख से अधिक महिलाओं की सहायता कर रहे हैं।
महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल): 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (पश्चिम बंगाल को छोड़कर) में ईआरएसएस 112 से एकीकृत है। यह 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चाइल्ड हेल्पलाइन और 536 ओएससी से भी एकीकृत है। स्थापना से, 214.78 लाख कॉल प्राप्त हुए और देश भर में 85.32 लाख महिलाओं की सहायता हुई ।
शी-बॉक्स पोर्टल: 29 अगस्त 2024 को लॉन्च यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स एसएच अधिनियम, 2013 में एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म महिलाओं को कार्यस्थल पर उत्पीड़न की रिपोर्ट करने और निवारण को उपयोगकर्ता अनुकूल तंत्र है।
नारी अदालत: समुदाय आधारित महिला-नेतृत्व वाली न्याय व्यवस्था की जमीनी पहल, वर्तमान में असम और जम्मू-कश्मीर में 50-50 ग्राम पंचायतों में संचालित है। जल्द ही बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश में 10-10 ग्राम पंचायतों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 5 ग्राम पंचायतों में विस्तार होगा।
सामर्थ्य – शिक्षा, कौशल विकास और संस्थागत सहायता से सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता केंद्रित है:
शक्ति सदन (पूर्व में स्वाधार गृह और उज्ज्वला गृह): 2014-15 से 31 दिसंबर 2024 तक, 2.92 लाख से अधिक महिलाओं को लाभ, इसके लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 630.43 करोड़ रुपये जारी हुए ।
सखी निवास (पूर्व में कामकाजी महिला छात्रावास): इसी अवधि में, इस योजना में 5.07 लाख महिलाओं को सहायता दी गई, जिसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 196.05 करोड़ रुपये आवंटित हैं।
*#अबकोईबहानानहीं अभियान*
मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी के 25 नवंबर 2024 को शुरू, लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान, महिला एवं बाल विकास और ग्रामीण विकास मंत्रालयों से संयुक्त राष्ट्र महिला समर्थन से संयुक्त पहल है.