अनुभव से 169 जानें बचाई बलिदानी दीपक साठे ने

केरल हवाई दुर्घटना में पायलट ने जिंदगियां बचाईं:प्लेन ने एयरपोर्ट के 3 चक्कर लगाए ताकि फ्यूल खत्म हो जाए, पायलट साठे ने क्रैश से पहले इंजन बंद कर दिया था ताकि आग न लगे
कोझीकोड:कोझीकोड में शुक्रवार को हुए प्लेन क्रैश में पायलट दीपक वसंत साठे (इनसेट) की जान नहीं बच पाई। वे कोरोना की वजह से विदेशों में फंसे भारतीयों की वतन वापसी के मिशन में जुटे थे।
दीपक साठे को 36 साल का एक्सपीरियंस था, 21 साल एयरफोर्स में रहे थे
कोरोना की वजह से विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के मिशन में जुटे थे
एयर इंडिया के पायलट दीपक साठे…कोझीकोड में शुक्रवार को हुए प्लेन हादसे में उनकी जान चली गई। लेकिन, उन्होंने अपने अनुभव और सूझबूझ से 169 पैसेंजर्स को बचा लिया। प्लेन में आग लग जाती तो बहुत से लोग मारे जाते। दीपक के कजिन और दोस्त नीलेश साठे ने फेसबुक पोस्ट में बताया कि दीपक ने किस तरह प्लेन को आग लगने से बचाया।
‘प्लेन के लैंडिंग गियर्स ने काम करना बंद कर दिया था। दीपक ने एयरपोर्ट के तीन चक्कर लगाए, ताकि फ्यूल खत्म हो जाए। तीन राउंड के बाद प्लेन लैंड करवा दिया। उसका राइट विंग टूट गया था। प्लेन क्रैश होने से ठीक पहले इंजन बंद कर दिया। इसलिए एयरक्राफ्ट में आग नहीं लगी।’
‘दीपक को 36 साल का एक्सपीरियंस था। वे एनडीए पासआउट और स्वॉर्ड ऑफ ऑनर अवॉर्डी थे। 2005 में एयर इंडिया जॉइन करने से पहले 21 साल तक एयरफोर्स में रहे थे।’

6 महीने अस्पताल में भर्ती रहे, तब लोगों ने सोचा कि शायद दोबारा प्लेन नहीं उड़ा पाएंगे
नीलेश ने बताया कि 1990 के दशक में दीपक एक प्लेन क्रैश में बच गए थे। उनकी खोपड़ी में कई चोटें आई थीं। 6 महीने अस्पताल में भर्ती रहे थे। किसी ने सोचा नहीं था कि अब दोबारा प्लेन उड़ा पाएंगे, लेकिन उनकी स्ट्रॉन्ग विल पावर और प्लेन उड़ाने के जज्बे की वजह से यह संभव हो पाया, जो एक चमत्कार जैसा था।

वंदे भारत मिशन में शामिल होने पर दीपक गर्व महसूस करते थे
‘पिछले हफ्ते उन्होंने मुझे कॉल किया था और हमेशा की तरह खुश थे। मैंने वंदे भारत मिशन के बारे में बात की। वे अरब देशों में फंसे भारतीयों की वतन वापसी करवाने से खुश थे। मैंने पूछा- दीपक कई देश पैसेंजर्स को एंट्री नहीं दे रहे तो क्या आप खाली एयरक्राफ्ट उड़ा रहे हैं? उन्होंने कहा- बिल्कुल नहीं। हम उन देशों के लिए फल, सब्जियां और दवाएं ले जाते हैं। एयरक्राफ्ट कभी खाली नहीं जाते। ये मेरी उनसे आखिरी बातचीत थी।’
जांबाज पायलट और होनहार छात्र थे दीपक साठे,दून के कैंब्रियन हॉल स्कूल से ग्रहण की थी शिक्षा
विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले पायलट दीपक साठे का देहरादून से भी गहरा रिश्ता है। उन्होंने देहरादून के कैंब्रियन हॉल स्कूल से 11वीं तक की शिक्षा ग्रहण की। वह बेहद होनहार छात्र थे। स्कूल के शिक्षक पूर्व छात्र की मौत से दुखी हैं।
कैंब्रियन हॉल के प्रधानाचार्य डॉक्टर एससी ब्याला ने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा कैंब्रियन हॉल स्कूल से हुई। स्कूल रिकार्ड के मुताबिक दीपक ने पहली बार 1966 में स्कूल में प्रवेश लिया था। तब उनके पिता वसंत दामोदर साठे की तैनाती भारतीय सैन्य अकादमी में हुई थी। उस वक्त वह कैप्टन थे। एक वर्ष रहने के बाद उनके पिता का स्थानांतरण हो गया। वर्ष 1970 में वसंत साठे का तबादला एक बार फिर देहरादून हुआ और तैनाती फिर भारतीय सैन्य अकादमी में हुई। दीपक ने फिर कैंब्रियन हॉल स्कूल में प्रवेश लिया और 11वीं कक्षा तक यहीं पढ़ाई की। डॉक्टर ब्याला ने बताया वर्ष 1975 में दीपक ने दसवीं की परीक्षा पास की। तब 49 बच्चों में उनका तीसरा स्थान था। दीपक के बड़े भाई विकास साठे भी कैंब्रियन हॉल के ही छात्र थे।
देहरादून में रहने वाले सेवानिवृत एयर मार्शल डीएस रावत ने दीपक साठे के मित्र थे। वह बताते हैं कि हैदराबाद स्थित एयर फोर्स एकेडमी में वह दीपक के सीनियर थे। वह कहते हैं कि दीपक बेहद होनहार थे। एनडीए में गोल्ड मेडल एंव स्वॉर्ड ऑफ ऑनर भी मिला था। रावत ने बताया कि एयर फोर्स में दीपक की पहली तैनाती 17 स्क्वाड्रन में थी, जो वर्तमान में राफेल उड़ा रही है। वर्ष 2001 में गुजरात में आए भूकंप के समय दीपक साठे की पोस्टिंग भुज में थी। डीएस रावत बताते हैं कि दीपक जांबाज पायलट के साथ बेहतरीन इंसान भी थे। भुज में उन्होंने बचाव अभियान में भी भाग लिया था। वह कहते हैं कि ‘दुर्घटना ने मेरा प्यारा दोस्त छीन लिया।’

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