मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ सुको में अवमानना याचिका

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ SC में याचिका दाखिल, अयोध्या फैसला देने वाले जजों पर की थी विवादित टिप्पणी
By: निपुण सहगल
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि की जगह एक दिन दोबारा बाबरी मस्जिद बनाने का बयान पर याचिका दाखिल हुई है.
नई दिल्ली: राम जन्मभूमि की जगह एक दिन दोबारा बाबरी मस्जिद बनाने का बयान जारी करने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है. याचिका में कहा गया है यह बयान ना सिर्फ सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाला है, बल्कि इसमें सुप्रीम कोर्ट के जजों की ईमानदारी पर भी सवाल उठाए गए हैं. ऐसे में कोर्ट मामले का संज्ञान लेते हुए बोर्ड के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करे.
विनय वत्स नाम के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजी चिट्ठी में यह बताया है कि कोर्ट का वकील होने के नाते उन्होंने जजों की जानकारी में इस बयान को लाना जरूरी समझा. उन्होंने खुद अपनी तरफ से एक अवमानना याचिका भी दाखिल की है. लेकिन उस पर अभी तक सॉलीसीटर जनरल के दफ्तर ने मंजूरी की मुहर नहीं लगाई है. मामले को इस तकनीकी सवाल में उलझाने के बजाय सुप्रीम कोर्ट खुद ही विषय पर संज्ञान ले.
गौरतलब है कि पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में फैसला दिया था. कोर्ट ने हिंदू पक्ष के दावे को मजबूत मानते हुए पूरी जमीन उसे सौंपने के लिए कहा था. मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही दूसरी जगह पर 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने के लिए देने का भी आदेश कोर्ट ने दिया था. कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का नाम के ट्रस्ट का गठन किया. ट्रस्ट ने राम जन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम 5 अगस्त को रखा. इसमें प्रधानमंत्री भी शामिल हुए. उसी मौके पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विवादित बयान जारी किया था.
तुर्की के हागिया सोफिया में एक चर्च को दोबारा मस्जिद बना देने का उदाहरण देते हुए पर्सनल लॉ बोर्ड ने बयान में लिखा था, “बाबरी मस्जिद थी और हमेशा रहेगी. हमारे सामने हागिया सोफिया का उदाहरण है. बहुसंख्यकों के दबाव में दिए गए एक शर्मनाक और अन्यायपूर्ण फैसले के जरिए मस्जिद की जमीन पर कब्जा किया गया है. लेकिन मुसलमानों को अपना दिल छोटा करने की जरूरत नहीं है. हालात हमेशा एक समान नहीं होते हैं.“
वकील विनय वत्स ने अपनी याचिका में लिखा है कि यह बयान एक समुदाय को सांप्रदायिक तौर पर भड़काने वाला है. यही नहीं इसमें सुप्रीम कोर्ट के जजों की निष्पक्षता और ईमानदारी पर सवाल उठाया गया है. यह कहा गया है कि उन्होंने दबाव में फैसला लिया. एक शर्मनाक और अन्याय पूर्ण काम किया. इस तरह से अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बयान कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 की धारा 2(c)(i) में अदालत की अवमानना है. इसलिए कोर्ट मामले पर संज्ञान लेते हुए पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ कार्रवाई शुरू करे.
यह चिट्ठी आज ही चीफ जस्टिस को भेजी गई है. फिलहाल कोर्ट ने इसके आधार पर कोई भी निर्णय नहीं किया है
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा- हमेशा एक मस्जिद रहेगी बाबरी मस्जिद
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन (Ram Mandir Bhumi Pujan) से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने बड़ा बयान दिया है। बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद हमेशा एक मस्जिद रहेगी
पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अयोध्या में होना है भव्य राम मंदिर का भूमि पूजन
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद हमेशा एक मस्जिद रहेगी, सु्प्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है लेकिन न्याय को शर्मिंदा किया
बाबरी मस्जिद कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी। मस्जिद में मूर्तियां रख देने से मस्जिद की हैसियत खत्म नहीं हो जाती: बोर्ड
अयोध्या में पांच अगस्त यानी बुधवार को भव्य राम मंदिर का भूमि पूजन (Ram Mandir Bhumi Pujan) पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों होना है। ऐसे में अयोध्या में दिवाली जैसा उल्लास है। इसी बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने बड़ा बयान जारी किया है। बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद हमेशा एक मस्जिद रहेगी। सु्प्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है लेकिन न्याय को शर्मिंदा किया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना वली रहमानी (Maulana Wali Rehmani) ने बयान जारी कर कहा कि बाबरी मस्जिद कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी। मस्जिद में मूर्तियां रख देने से या फिर पूजा-पाठ शुरू कर देने या एक लंबे अर्से तक नमाज पर प्रतिबंध लगा देने से मस्जिद की हैसियत खत्म नहीं हो जाती। कहा कि हमारा हमेशा यह मानना रहा है कि बाबरी मस्जिद किसी भी मंदिर या किसी हिंदू इबादतगाह को तोड़कर नहीं बनाई गई। कहा कि हालात चाहे जितने खराब हों हमें हौसला नहीं हारना चाहिए। खालिफ हालात में जीने का मिजाज बनाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अत्यंत अन्यायपूर्ण व्यवहार किया: रहमानी
मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने कहा,”यह हमेशा हमारी स्थिति रही है कि बाबरी मस्जिद को कभी भी किसी मंदिर या किसी हिंदू पूजा स्थल को ध्वस्त करके नहीं बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में हमारी स्थिति की पुष्टि की है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्वीकार किया कि 6 दिसंबर,1992 को बाबरी मस्जिद का विध्वंस एक गैरकानूनी,असंवैधानिक और आपराधिक कृत्य था। यह वास्तव में खेदजनक है कि इन सभी तथ्यों को स्वीकार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक अत्यंत अन्यायपूर्ण व्यवहार किया। बयान में कहा गया है कि फैसले ने मस्जिद की जमीन को उन लोगों को सौंप दिया,जिन्होंने मस्जिद में आपराधिक तरीके से मूर्तियों को रखा था और इसके आपराधिक विध्वंस के पक्ष में थे।

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