ज्ञान: माहवारी रोकने की दवाओं पर लगे रोक

माहवारी को टालना खतरे की घंटी

मैं जिस विषय पर आज बात करना चाहती हूँ वह आज के दिन देश में चल रहे कुछ अति वायरल मुद्दों जितना प्रसिद्ध नहीं है किंतु देश की आधी आबादी के स्वास्थय से जुड़ा है इसलिए देश के लिए अति महत्तवपूर्ण है।

देश की आधी आबादी यानी मातृ शक्ति, माँ……….यानी संतानोपत्ति की अहम क्रिया, यह क्रिया जुड़ी है माहवारी से। माहवारी, वह प्रक्रिया जिसके अभाव में कदाचित् सृष्टि का क्रम ही रुक जाता।

कुछ सामाजिक समूहों ने, इसे धड़ल्ले से दिखाने और सबसे छिपाने के बीच की एक कड़ी को पूर्णतया गौण कर दिया है। यह कड़ी है तीज-त्यौहार एवं शादी-ब्याह के अवसरों पर माहवारी के समय महिलाओं की मनःस्थिति।

कुछ वर्ष पहले तक बहुत अच्छा था क्योंकि विज्ञान ने इतनी तरक्की नहीं की थी कि इस प्राकृतिक प्रक्रिया को रोका जा सके या कुछ दिन के लिए स्थगित किया जा सके।

न जाने इस खतरनाक आविष्कार के पीछे क्या अच्छी मंशा रही होगी यह तो मैं नही जानती किंतु आज हर पाँचवी औरत इस आविष्कार को लाख दुआएँ देकर अपनी जिंदगी से समझौता कर रही है।

जी हाँ, शायद आप ठीक समझ रहे हैं। मैं बात कर हूँ उन दवाइयों की जो माहवारी के समय के साथ छेड़छाड़ करने के लिए ली जाती है। मासिक धर्म दो हार्मोन्स, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन पर निर्भर करता है। ये दवाइयाँ इन हार्मोन्स के प्राकृतिक चक्र के प्रभावित करती है और माहवारी स्थगित हो जाती है। मजे की बात यह भी है कि कोई भी चिकित्सक कभी किसी महिला को ये दवाइयाँ खाने की सलाह नहीं देता, आत्मिक रिश्ते के कारण दे भी देता है तो अपनी पर्ची में लिखकर नहीं देता क्योंकि वह बहुत अच्छी तरह से इनके दुष्प्रभावों को जानता है।

विडम्बना किंतु यह है कि हर एक फार्मेसी पर ये धड़ल्ले से बिकती है। महिलाएँ अन्य किसी दवा के बारे में जाने या न जाने इस दवा के बारे में अवश्य जानती है क्योंकि यह उन्हें अपनी पक्की सहेली लगती है जिसके दम पर वे नियत दिन (सोमवार को, यदि माहवारी का समय हो तो भी) शिवजी के अभिषेक कर सकती है, वैष्णो देवी की यात्रा कर सकती है, छुट्टी में दो दिन के लिए घर पर आये बच्चों को उनकी पसंद के पकवान बनाकर खिला सकती है, देवर या भाई की शादी में रात-दिन काम कर सकती है, दिवाली के दिन उसे घर के अंधेरे कोने में खड़ा नहीं होना पड़ता, वह अपने हाथों से दीपक जला सकती है, होलिका दहन की खुशी में मिठाई बना सकती है, केदारनाथ, बद्रीनाथ की पूरे संघ के साथ यात्रा कर सकती है, सम्मेद शिखरजी का पहाड़ चढ़ सकती है।

और भी न जाने कितने कार्य जो माहवारी के दौरान करने निषेध है वे य़ह एक दवा खाकर बड़े आराम से कर सकती है। सहूलियत इतनी है कि वह अपनी मर्जी के हिसाब से चाहे जितने दिन अपनी माहवारी को रोक सकती है। मेरे अनुभव के अनुसार शायद ही कोई महिला मिले जिसने यह दवा न खाई हो

सवाल यह है कि यह एक दवा जब सब कुछ इतना आसान कर देती है तो फिर मुझे क्या आपत्ति है। विज्ञान के असंख्य चमत्कारों में यह भी महिलाओं के लिए एक रामबाण औषधि मानली जानी चाहिए और एक दो प्रतिशत महिलाएँ जो कदाचित् इसकी जानकारी नहीं रखती है, उन्हें भी इसके लिए अवगत करवा दिया जाए।

लेकिन नहीं, यह बहुत खतरनाक है। उतना ही जितना देह की स्वाभाविक क्रिया शौच और लघुशंका को किसी कारण से रोक देना। ये दवाइयाँ महिलाएँ इतनी अधिक लेती है कि कभी कभी तो लगातार दस से पंद्रह दिन भी ले लेती है। सबसे अधिक इन दवाइयों की बिक्री त्यौहार या किसी धार्मिक अनुष्ठान के समय होती है। एक रिसर्च बताती है कि भादवे के महीने में आने वाले दशलक्षण पर्व के दौरान पचास फिसदी जैन महिलाएँ इन दवाइयों का इस्तेमाल करती है जिससे वे निर्विघ्न मंदिर जा सके, अपनी सासू माँ के लिए शुद्ध भोजन बना सके, पति को दस दिल फलाहार करा सके।

कितनी नादान है जानती ही नहीं है कि वे कितनी बड़ी-बड़ी बीमारियों को न्यौता दे रही है। ये वे महिलाएँ है जो बहुत खुश रहती है, जिन्हें किसी भी नशीले पदार्थ को बचपन से भी नहीं छुआ है, खानपान में पूरा परहेज रखती है पर एक दिन ये दिमागी बीमारियों की शिकार हो जाती है। ब्रेन स्ट्रोक जिनमें सबसे कॉमन बीमारी है। कब ये महिलाएँ अवसाद का शिकार होती है, कब कोमा में चली जाती है, कब आत्म हत्या तक के फैसले ले लेती है कोई जान ही नहीं पाता।

केवल इसलिए क्योंकि इन्हें बढ़-चढ़ कर धार्मिक और सामाजिक क्रियाओं में भाग लेना था, केवल इसलिए क्योंकि ये अपनी सासू माँ से नहीं सुनना चाहती थी, “जब भी काम होता है तुम तो मेहमान बनकर बैठ जाती हो”, केवल इसलिए कि ये त्यौहार के दिनों में अपनी आँखों के सामने घरवालों को परेशान होते नहीं देख सकती।

मैं आज केवल आपसे इतनी ही विनती करूँगी कि उन खास दिनों में आपके घर की मान्यता के अनुसार आपका यदि मंदिर छूटता है तो छोड़ दीजिये पर कृपया इन दवाइयों को टा टा बाय बाय कह दीजिये। खुदा न करे कि इन गंभीर बीमारियों को झेलने वाली सूची में अगला नम्बर आपका हो जिनका कोई इलाज ही नहीं है।

मेरी एक परिचिता को आज ही इनकी वजह के ब्रेन स्ट्रोक हुआ है इसलिए मैंने सारे काम छोड़कर यह लिखना जरुरी समझा। पहले से भी मैं ऐसे कई केस जानती हूँ जिनमें लगातार दस दिन ये दवाइयाँ खाने वाली महिला आज कोमा में है और उसकी आठ वर्ष की बेटी उसे सवालिया निगाहों से घूरकर पूछती है, “मम्मी आप कब उठोगी, कब उठकर मुझे गले लगाओगी।” एक परिचिता औऱ है जो अतीत में इन दवाइयों का अति इस्तेमाल करके तीस वर्ष की उम्र में ही मोनोपॉज पा चुकी है और आज उसके दिमाग की नसों में करंट के वक्त बेवक्त झटके लगते हैं जिन्हें सहन करने के अतिरिक्त उसके पास कोई चारा नहीं है।

क़पया इस पोस्ट को हल्के में न ले।

मैं नहीं कहूँगी कि जहाँ तक हो इन दवाइयों से बचे, मैं कहूँगी कि इन दवाइय़ों को कतई न ले। ईश्वर की पूजा हम मन से करेंगे तब भी वह हमारी उतनी ही सुनेगा जितनी हमारी जान को जोखिम में डालकर उसके प्रतिबिम्ब के समक्ष हमारे द्वारा कि गई प्रार्थना से सुनेगा।

कदाचित् तब कम ही सुनेगा क्योंकि उसे भी अफसोस होगा कि मेरे द्वारा दी गई देह को यह मेरे ही नाम पर जोखिम में डाल रही है। मैं डॉक्टर हूं और मैंने विशेषज्ञों से बात करके जितनी जानकारी जुटाई है उसका सारांश यही है कि इन दवाइयों का किसी भी सूरत में सेवन नहीं करना चाहिए। मैं तो कहती हूँ कि एक आंदोलन चलाकर इन्हें बाजार में बैन ही करवा दिया जाना चाहिए जिनके कारण भारत की हर दूसरी महिला पर संकट के बादल हर समय मंडराते रहते हैं।

निवेदन। है कि आप इसे अधिक से अधिक शेयर करे। हर एक लड़की भले वो आपकी पत्नी हो, माँ हो, प्रेमिका हो, बहन हो, बुआ हो, बेटी हो, चाची हो, टीचर हो अवश्य पढ़ाये……और मेरी जितनी बहनें इसे पढ़ रही है, वे यदि मुझसे बड़ी हो तो मैं उनके चरण स्पर्श करके करबद्ध निवेदन करती हूँ कि वे कभी इन दवाओं का सेवन न करे और यदि मुझसे छोटी है तो उन्हें कान पकड़कर कर सख्त हिदायत देती हूँ कि वे इन दवाओं से दूर रहे।

डॉक्टर प्रिया

@ चित्रा पांडे , बरेली के फेसबुक वॉल से

पिछले कुछ वर्षों से महिलाओं और लड़कियों में पीरियड्स को आगे बढ़ाने के लिए दवा लेने का चलन शुरू हुआ है। आजकल महिलाओं को कहीं जाना हो, पार्टी हो, कोई पूजा-पाठ हो, या कोई जरूरी काम हो और उस समय उनकी पीरियड्स की तारीख रहती है तो वे उसे आगे बढ़ाने के लिए बिना डॉक्टर की सलाह के तुरंत मेडिकल स्टोर्स से दवाई खरीद कर खा लेती हैं।

खासकर भारत जैसे धार्मिक देश में जहां पूजापाठ, छुआछूत ज्यादा माने जाते हैं, वहां यह चलन बहुत तेजी से फैल रहा है। महिलाएं स्वयं अपने शरीर की एक प्राकृतिक क्रिया को रोकती हैं, बिना यह जाने कि उसका आगे चल कर क्या दुष्परिणाम होगा। यहां तक महिलाएं अपनी टीनेज बच्चियों को भी परीक्षा के दौरान या अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के दौरान उन्हें बिना डॉक्टर्स के सलाह के दवा दे देती हैं।

केमिस्ट कहते हैं कि महिलाएं दवा की पर्ची के बगैर ये गोलियां खरीदने हमारे पास आती हैं। अमूमन तीन गोलियां काफी होती हैं, लेकिन इन दिनों महिलाएं एक साथ छह-सात गोलियां खरीदती हैं। हालांकि स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी स्त्री रोग चिकित्सक इन दवाइयों को नहीं लिखते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि कोई भी इंसान दवाई खाकर अपने शरीर की प्राकृतिक क्रियाओं को रोक कर स्वथ्य नहीं रह सकता है। शरीर की प्राकृतिक क्रियाओं में फेरबदल होने से उसका प्रभाव मनुष्य के तन और मन पर पड़ता है।

डॉक्टर्स का कहना है कि पीरियड को रोकने की दवा नॉरथिस्टेरॉन हैं, जो कि इंसान द्वारा (लेबोरेट्री में) बनाया हुआ एक फीमेल हार्मोन है। यह महिलाओं के शरीर से प्राकृतिक रूप से स्त्रावित होने वाला प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन के समान है। नॉरथिस्टेरॉन महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन का लेवल बढ़ा देता है, जिससे पीरियड्स रुक जाते हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं में मासिक धर्म दो हार्मोंस पर निर्भर करते हैं- एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन। पीरियड्स को टालने के लिए नॉरथिस्टेरॉन हार्मोन की गोलियां लेनी होती हैं। ये गोलियां महिलाओं के हार्मोनल साइकिल को प्रभावित करती हैं। अगर कोई इस हार्मोन को भारी मात्रा में लगातार लेता है तो इससे ब्रेन स्ट्रोक, लकवा, मिर्गी के दौरे आ सकते हैं। हमें ऐसे कई मामले मिले हैं। महिलाएं 10-15 दिनों तक ये गोलियां लेती हैं। इसके बहुत गंभीर परिणाम हो सकते हैं।


इन दवाइयों को किसे नहीं खाना चाहिए
डॉक्टरों का कहना है कि यह दवा लेने से पहले रोगी का इतिहास जानना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर किसी महिला को वर्टिगो या माइग्रेन, स्ट्रोक, ब्लड प्रेशर, मोटापा जैसी समस्या है तो ये गोलियां उनके स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पहुंचा सकती हैं।

महिला एथलीट को गोलियों से कम नुकसान
डॉक्टरों का कहना है कि महिला एथलीट अच्छा आहार लेती हैं, उनका शरीर मजबूत होता है, वो नियमित व्यायाम करती हैं। इसलिए जब वो ये गोलियां लेती हैं तो इसके साइड इफेक्ट्स की संभावना कम होती है। साथ ही एथलीट महिलाओं के मुकाबले पूजा के दौरान इन गोलियों को लेने वाली महिलाओं की संख्या कहीं अधिक है और वो ये गोलियां लंबी अवधि तक लगातार लेती रहती हैं।

इन दवाईयों के साइड-इफेक्ट
• पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं
• इसे खाने के बाद अगले महीने के पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना
• दो पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग हो सकती है
• यूट्रस में फिब्रोइड, सिस्ट या गांठ या कैंसर हो सकता है
• ब्रैस्ट में भारीपन, सूजन या गांठ हो जाना
• ल्यूकोरिया(श्वेत-प्रदर) की शिकायत हो सकती है
• थकान होना
• चिड़चिड़ाहट होना
• शरीर में अनचाहे बालों की वृद्धि होना या चेहरे पर बाल आना
• पिंपल्स (मुंहासे) या झाइयां होना
• लिवर की समस्या होना
• कब्ज या दस्त लगना
• मुंह सूखना
• सांस लेने में तकलीफ होती है
• नींद डिस्टर्ब होना
• चक्कर आना
• हाथ-पैरों में सूजन आना

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