बिहार के शिवहर में आज बलिदान हुए थे अंग्रेजों की गोलियों से

जलियांवाला बाग की तरह अंग्रेजों ने बिहार के इस जिले में भी बरसाई थी गोलियां, 10 लोग हुए थे बलिदान
तरियानी छपरा में 30 अगस्त 1942 को अंग्रेजी हुकूमत से मुकाबला करते हुए अंग्रेजों की गोली से 10 लोग बलिदान हो गए, वहीं 37 लोग घायल हो गए. यह घटना जलियांवाला बाग के बाद दूसरी सबसे बड़ी घटना है.
शिवहर: जिले के तरियानी प्रखंड क्षेत्र के तरियानी छपरा में 30 अगस्त का दिन बलिदान दिवस के रूप में मनाया जता है. बलिदान स्मारक स्थल पर लोग पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते हैं और देश के लिए शहीद हुए जवानों के बलिदान का अभिनंदन करते हैं. बता दें कि तरियानी छपरा वीरों की भूमि रही है. अगस्त क्रांति 1942 की घटना आज भी तरियानी छपरा के लोगों के दिलों में ताजा है. महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के आह्वाहन को लेकर बच्चे, महिलाएं, युवा, वृद्ध सभी ने बढ़-चढ़कर अंग्रेजों को भारत की भूमि से भगाने के लिए एकजुट होकर विरोध में भाग ले रहे थे.
इसी दौरान तरियानी छपरा में 30 अगस्त 1942 को अंग्रेजी हुकूमत से मुकाबला करते हुए अंग्रेजों की गोली से 10 लोग बलिदान हो गए, वहीं 37 लोग जख्मी हो गए. यह घटना जलियांवाला बाग के बाद दूसरी सबसे बड़ी घटना है. यहां के लोगों ने बलिदानियों के याद में स्वयं के स्तर और श्रमदान से बलिदान स्थल के विकास की ठान ली है. बलिदान स्मारक के विकास को लेकर लोग चंदा इकट्ठा कर स्मारक स्थल का विकास करने में लगे हुए हैं.
वहीं आज 30 अगस्त को स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय दरवेशी सिंह की पत्नी मोनिका देवी के द्वारा स्मारक स्थल पर झंडोत्तोलन किया गया. स्थानीय मुखिया श्याम बाबू सिंह के द्वारा पुस्तकालय और संग्रहालय के लिए 25 क्रांतिकारी कहानियों की किताबें दी गई हैं. इस दौरान मौके पर आरजेडी जिलाध्यक्ष ठाकुर धर्मेंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता अमित कुमार सहित कई लोग मौजूद रहे.
30 अगस्त 1942 को बलिदान होने वालों में नवजद सिंह ,भूपण सिंह, जय मंगल सिंह, सुखदेव सिंह, सुंदर राम, बुधन महतो, बंसी दास, परसन साह, छठु साह, और बलदेव साह शामिल है.

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