जलियांवाला बाग हत्याकांड का 21 वर्ष बाद इंग्लैंड जा बदला लिया स.ऊधमसिंह ने

फिर से धरती धधकेगी यह प्रतिशोधित अंगारों से,
मुक्त धरा कल्याणी होगी अभिशापित गद्दारों से,
जब जब जलियाँवाला होगा तब तब होगा ऊधम भी,
फिर से लन्दन काँप उठेगा सिंहों की हुंकारों से।।
✍️ *जगदीश सोनी*
*…….
जन्म: *26.12.1899* पुण्यतिथि: *31.07.1940*
*🌹🙏सरदार उधम सिंह 🙏🌹*

चरित्र-निर्माण, समाज-सुधार तथा राष्ट्रवादी जन-चेतना के लिए समर्पित मातृभूमि सेवा संस्था आज के दिवस पर जन्मी विभूतियों एवं देश के ज्ञाताज्ञात बलिदानियों को कोटि कोटि नमन करती है। 🌹🌹🙏🌹🌹

✍️ राष्ट्रभक्त साथियों भारत की इस वीर प्रसूता धरती ने एक ऐसे भी क्रांतिकारी को जन्म दिया है, जिसके लिए महान, अद्वितीय, अद्भुत, जुझारू तथा साहसी जैसी उपमाएँ भी हीन लगती हैं । ये उपमाएँ क्रांति की उस धधकती हुई ज्वाला के लिए की गई हैं जिसने 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में हुए नृशंस नरसंहार का प्रतिशोध लेने की प्रतिज्ञा को 21 वर्षों तक अपने सीने में ज्वाला की तरह जलाए रखा और माइकल ओ’ड्वायर को उसी के देश में मारकर पूर्ण किया। उस शेर सिंह को दुनिया सरदार ऊधम सिंह के नाम से जानती है। पंजाब के सुनाम में जन्मे शेर सिंह के माता-पिता का निधन बहुत जल्द हो जाने के कारण, उन्हें उनके भाई मुक्ता सिंह के साथ 24 अक्टूबर 1907 को अमृतसर के केंद्रीय खालसा अनाथालय में रखवा दिया गया। इसी अनाथालय में शेर सिंह को सरदार ऊधम सिंह नाम मिला। वर्ष 1917 में उधम सिंह के बड़े भाई का भी देहांत हो गया। इतिहास का वह काला दिन जब 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन, पंजाब के अमृतसर के जलियाँवाला बाग में हजारों की संख्या में लोग जमा हुए थे। रॉलेट एक्ट में सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को अंग्रेज़ी सरकार ने गिरफ़्तार कर लिया था। लोग वहाँ उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे,जहाँ ब्रिगेडियर-जनरल रेजिनाल्ड एडवार्ड हैरी डायर के कुकृत्य से हजारों राष्ट्रभक्त बलिदान हुए।

📝 इसी घटना से आक्रोशित उधम सिंह ने इस जनसंहार का बदला लेने की प्रतिज्ञा ली। उस समय सरदार उधम सिंह पूर्वी-अफ्रीका में नौकरी कर रहे थे। अपने अभियान को अंजाम देने के लिए सरदार उधम सिंह ने कीनिया की राजधानी नैरोबी, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों की यात्रा की। अपने क्रांतिकारी जीवन के दौरान उधम सिंह ने अपना नाम मुहम्मद सिंह आज़ाद (M S AZAD) भी रखा था। वर्ष 1934 में उधम सिंह लंदन पहुँचे तथा छः गोलियों वाली एक रिवाल्वर खरीदी। 13 अप्रैल 1940 को कॉक्सटन हॉल, लन्दन में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और रॉयल सेंट्रल एशियाई सोसाइटी की मीटिंग में माइकल ओ’ ड्वायर एक वक्ता के रूप में आमंत्रित था। सरदार उधम सिंह ने अपनी रिवॉल्वर एक मोटी किताब में छिपा रखी थी, जिसके पन्नों को रिवॉल्वर के आकार में काट लिया था। बैठक के बाद शाम 4.30 बजे सरदार उधम सिंह ने माइकल ओ’ ड्वायर पर रिवाल्वर से 5-6 गोलियाँ फायर की जिससे उसकी वहीं मौत हो गई। इस गोलीबारी के समय भारत के राज्य सचिव को भी चोट लग गयी जो इस सभा के अध्यक्ष थे। उधम सिंह ने वहाँ से भागने की कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी। 04 जून 1940 को सरदार उधम सिंह जी को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फाँसी दे दी गई।

📝 इस तरह सरदार उधम सिंह भारत की आजादी की लड़ाई के इतिहास में अमर हो गए। अंग्रेजों को अंग्रेजों के घर में घुसकर मारने का जो काम सरदार उधम सिंह ने किया था, उसकी हर जगह तारीफ हुई। सबसे बड़ी बात तो यह थी की उधम सिंह को यह करने का कोई भी डर नहीं था। वे वहाँ से भागे भी नहीं बस उनके मुख से यह बात निकली की – “मैंने अपने देश का कर्तव्य पूरा कर दिया।” *मातृभूमि सेवा संस्था आज सरदार उधम सिंह के 80वें बलिदान दिवस पर इनके महान त्याग व बलिदान के सम्मान में नतमस्तक है।*

*नोट:* जलियाँवाला बाग़ नरसंहार के लिए जिम्मेदार ब्रिगेडियर-जनरल रेजिनाल्ड एडवार्ड हैरी डायर 23 जुलाई 1927 को पक्षाघात/लकवा व अन्य कई बीमारियों से ग्रसित होकर मरा,किन्तु तत्कालीन पंजाब राज्य का लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर जिसने जलियाँवाला बाग़ नरसंहार के बारे में ब्रिगेडियर-जनरल रेजिनाल्ड एडवार्ड हैरी डायर की कार्रवाई का समर्थन किया और इसे सही कार्रवाई करार दिया,उसे सरदार ऊधम सिंह ने लंदन में जाकर मारा।
उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने ऊधमसिंहनगर नाम से कुमाऊं मण्डल में एक जनपद का नामकरण किया जो इस समय उत्तराखंड में स्थित है।

🇮🇳 मातृभूमि सेवा संस्था 🇮🇳 *9891960477*
*राष्ट्रीय अध्यक्ष: यशपाल बंसल 8800784848*
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