कितनी भारतीय हैं कमला हैरिस

कमला हैरिस के भीतर का भारत कितना बचा है, ख़ुद क्या कहती हैं?

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में अनुमान में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन ने जीत दर्ज कर ली है. उन्होंने उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर सीनेटर कमला हैरिस को चुना था. यानी के कमला अब अमेरिका की नई उप-राष्ट्रपति होंगी. कमला जानी-मानी ब्लैक नेता हैं. लेकिन उन्होंने अपनी भारतीय जड़ें नहीं छोड़ी हैं.

कमला हैरिस ने 2018 में अपनी आत्मकथा, ‘द ट्रुथ वी टोल्ड’ में लिखा, “लोग मेरा नाम किसी विराम चिन्ह यानी “Comma-la” की तरह बोलते हैं.”

इसके बाद कैलिफोर्निया की सीनेटर कमला अपने भारतीय नाम का मतलब समझाती हैं. कमला भारत में जन्मी मां और जमैका में पैदा हुए पिता की संतान हैं.

कमला कहती हैं, “मेरे नाम का मतलब है ‘कमल का फूल’. भारतीय संस्कृति में इसकी काफ़ी अहमियत है. कमल का पौधा पानी के नीचे होता है. फूल पानी के सतह से ऊपर खिलता है. जड़ें नदी तल से मज़बूती से जुड़ी होती हैं.”
साझा नस्ल की विरासत पर गर्व
कमला और उनकी बहन माया ऐसे घर में बड़ी हुईं जो ब्लैक अमेरिकी कलाकारों के संगीत से गूंजता रहता था. उनकी मां एरेथा फ्रैंकलिन की ‘अर्ली गोस्पेल’ गुनगुनाती रहती थीं और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ाने वाले पिता जैज के दीवाने थे. उनके टर्नटेबल पर थेलोनियस मॉन्क और जॉन कोल्ट्रेन के रिकार्ड बजते रहते थे.

कमला हैरिसः अमेरिका की नई उप-राष्ट्रपति का क्या है भारत से नाता
कमला जब पाँच साल की थीं तो उनकी मां श्यामला गोपालन और पिता डोनाल्ड हैरिस अलग हो गए. कमला और उनकी बहन की परवरिश उनकी सिंगल हिंदू मदर ने ही की. कैंसर रिसर्चर और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्यामला और उनकी दोनों बेटियों को ” श्यामला एंड द गर्ल्स” के नाम से जाना जाता है.

कमला की मां ने सुनिश्चित किया कि उनकी दोनों बेटियां अपनी पृष्ठभूमि को अच्छी तरह जानते हुए बड़ी हों.

कमला अपनी आत्मकथा में लिखती हैं. “मेरी मां यह अच्छी तरह जानती थीं कि वह दो ब्लैक बेटियों को बड़ी कर रही हैं. उन्हें पता था कि उन्होंने जिस देश को रहने के लिए चुना है वह माया और मुझे ब्लैक लड़कियों के तौर पर ही देखेगा. लेकिन वह इस बात को लेकर दृढ़ थीं कि वह अपने बेटियों की परवरिश इस तरह करेंगी कि वे आत्मविश्वासी ब्लैक महिला के तौर पर दुनिया के सामने आएं.”

वॉशिंगटन पोस्ट ने पिछले साल लिखा, “हैरिस अपनी भारतीय संस्कृति के साथ पलती हुई बड़ी हुई हैं, लेकिन वह बड़े ही शान से अपनी अफ्ऱीकी-अमरीकी ज़िंदगी जीती हैं.”

2015 में जब वह पहली बार सीनेट की सीट के लिए चुनाव मैदान उतरीं तो ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने लिखा, ” कमला की मां भारतीय और पिता जमैका के हैं. कैंसर रिसर्चर मां और इकनॉमिक्स के प्रोफ़ेसर पिता की संतान कमला सीनेट में जाने वाली पहली अफ्ऱीकी-अमरीकी महिला और कैलिफ़ोर्निया की पहली एशियाई अटॉर्नी जनरल हैं.”

सीनेट की सदस्य 55 साल की कमला कहती हैं कि वह अपनी इस पहचान से जूझने के बजाय ख़ुद को एक अमरीकी कहलाना ही पसंद करती हैं. लेकिन जो लोग कमला को जानते हैं कि वे कहते हैं कि वह दोनों समुदायों में भली-भांति घुलमिल जाती हैं.

भारतीय परंपराओं से प्रेम
कमला हैरिस ने राष्ट्रपति पद के लिए अपने अभियान की शुरुआत की थी तो भारतीय मूल की अमरीकी कॉमेडियन और अभिनेत्री मिंडी कैलिंग ने उनके यू ट्यूब पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया था. इसमें कमला और कैलिंग भारतीय भोजन बनाती दिख रही हैं. वीडियो में दोनों अपनी साझा दक्षिण भारतीय पृष्ठभूमि के बारे में भी बात करती हुई दिख रही हैं.

कैलिंग कहती हैं कि बहुत से लोग उनकी भारतीय विरासत के बारे में नहीं जानते हैं. जब भी वह भारतीय मूल के अमरीकी लोगों से मिलती हैं वे उन्हें कमला की इस विरासत के बारे में याद दिलाते हैं.

कैलिंग इस वीडियो में कहती हुई दिख रही हैं, “हमें लगता है कि आप हमारी ही तरह हैं. हम राष्ट्रपति पद के लिए शुरू किए गए आपके अभियान से रोमांचित हैं.”

कैलिंग हैरिस से पूछती हैं कि क्या वह दक्षिण भारतीय खाना खाते हुए बड़ी हुई हैं. इस सवाल पर कमला एक के बाद एक दक्षिण भारतीय भोजन का नाम लेती दिखती हैं. वह कहती हैं कि वह ख़ूब सारा चावल और दही, आलू की रसदार सब्जी, दाल और इडली खाते हुए बड़ी हुई हैं.

कमला बताती हैं कि जब एक बार वह भारत में अपने ननिहाल पहुंची थीं तो नानी के घर पर न रहने पर उनके नाना ने धीरे से उन्हें पूछा था कि क्या वह अंडे से बना फ्रेंच टोस्ट खाना पसंद करेंगी? (भारत में अंडे को मांसाहारी खाना समझा जाता है).

अपनी आत्मकथा में कमला लिखती हैं कि कैसे वह घर पर भारतीय बिरयानी और स्पैगेटी बोलोगनीज दोनों बनाती हैं.

(मंगलवार को कैलिंग ने कमला हैरिस की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का बड़ी गर्मजोशी का स्वागत किया. उन्होंने लिखा, “आज का दिन जबर्दस्त है. ख़ास कर मेरी ब्लैक और भारतीय बहनों के लिए.”)

जब कमला ने 2014 में वकील डगलस एम्पहॉफ से शादी की तो इसमें भारतीय और यहूदी परंपरा दोनों निभाई गई. कमला ने डगलस को फूलों की माला पहनाई, जबकि डगलस ने यहूदी परंपरा के तहत पैर से कांच तोड़ी.

अफ्रीकी-अमरीकी राजनीतिक नेता के तौर पर पहचान

इस साझा बैकग्राउंड से अलग कमला हैरिस की छवि एक अफ्रीकी-अमरीकी राजनीतिक नेता के रूप में ज़्यादा मज़बूत दिखती है. ख़ास कर हाल में अमरीका में ब्लैक लाइव्स मैटर्स आंदोलन के दौरान चल रहे विमर्शों में उन्हें अफ्रीकी-अमरीकी राजनीतिक नेता के तौर पर ही देखा गया.

लेकिन अमरीका में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी उन्हें अपने ही समुदाय का मानते हैं. उनकी उम्मीदवारी अमरीका में भारतीय और दक्षिण एशियाई समुदायों को मिल रही व्यापक पहचान का सबूत है.

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My mother, Shyamala Gopalan Harris, was a force of nature and the greatest source of inspiration in my life. She taught my sister Maya and me the importance of hard work and to believe in our power to right what is wrong. There’s no one I’d rather honor this first day of #WomensHistoryMonth.

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कमला की ज़िंदगी पर माँ की गहरी छाप

यह बिल्कुल साफ़ है कि कमला की ज़िंदगी में उनकी दिवंगत मां की गहरी छाप है. मां कमला के लिए बड़ी प्रेरणा रही हैं. कमला की मां श्यामला गोपालन का जन्म चेन्नई में हुआ था. मां-बाप की चार संतानों में वह सबसे बड़ी थीं.

कमला की मां ने 19 साल की उम्र में दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन कर लिया था. इसके बाद उन्होंने बर्कले के ग्रैजुएट प्रोग्राम के लिए आवेदन दिया. एक ऐसी यूनिवर्सिटी के लिए जिसे उन्होंने कभी देखा नहीं था और यह एक ऐसे देश में थी, जहां अब तक वह कभी नहीं गई थीं.

1958 में न्यूट्रीशिन और एंडोक्रनॉलोजी में पीएचडी करने के लिए वह भारत से निकल पड़ीं. बाद में वह ब्रेस्ट कैंसर के फील्ड में रिसर्चर बन गईं.

कमला हैरिस कहती हैं, “मेरे लिए यह कल्पना करना ही मुश्किल है कि नाना-नानी के लिए मेरी मां को भारत से बाहर जाने देने का फ़ैसला कितना कठिन रहा होगा. उस समय कॉमर्शियल हवाई उड़ानें शुरू ही हुई थीं. एक दूसरे से संपर्क में रहना भी काफ़ी कठिन था. फिर भी जब मेरी मां ने कैलिफ़ोर्निया जाने की इजाज़त मांगी तो मेरे नाना-नानी ने मना नहीं किया.”

हैरिस ने लिखा है कि उनकी मां से अपनी पढ़ाई पूरी कर वतन लौटने और यहां मां-बाप की पसंद से शादी कर घर बसाने की उम्मीद थी. लेकिन किस्मत को कुछ और मंज़ूर था.

कमला की मां और पिता की मुलाक़ात बर्कले में हुई. मानवाधिकार आंदोलनों में हिस्सा लेते हुए दोनों एक दूसरे के प्यार में पड़ गए. कमला लिखती हैं, “मेरी मां ने अपने प्रेमी से शादी करने और अमरीका में रहने का फ़ैसला किया. यह आत्मनिर्णय और प्रेम की पराकाष्ठा थी”.

साल 1964 में श्यामला गोपालन ने 25 साल की उम्र में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल कर ली. उसी साल कमला हैरिस का जन्म हुआ. कमला हैरिस लिखते हैं कि उनकी मां अपनी दोनों बेटियों की डिलिवरी होने तक काम पर जाती रहीं. वह लिखती हैं, “पहले केस में तो उनके गर्भ का पानी ही निकल गया था. उस वक्त वह लैब में काम कर रही थीं. दूसरे केस में एपल स्ट्रडल बनाते वक़्त ऐसा हुआ.”

भारत में कमला की मां की परवरिश एक ऐसे परिवार में हुआ जो राजनीतिक और नागरिक आंदोलन से जुड़ा रहा.

कमला की नानी हाई स्कूल तक भी नहीं पढ़ी थीं लेकिन वह घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की मददगार थीं. वह महिलाओं को गर्भ निरोधक उपायों के बारे में बताती थीं. इसमें उन्हें मदद करती थीं. कमला के नाना पी वी गोपालन भारत सरकार में सीनियर राजनयिक थे. जमैका की आजादी के बाद वह यहां भेजे गए थे. उन्होंने शरणार्थियों को बसने में मदद की.

कमला ने अपनी आत्मकथा में भारत की अपनी यात्राओं के बारे में ज़्यादा नहीं लिखा है. लेकिन वह लिखती हैं कि वह अपने मामा और दो मौसियों की नज़दीकी रहीं. उनके साथ फ़ोन और पत्र के ज़रिये उनका संपर्क बरक़रार रहा. कभी-कभार उनसे मिलने के लिए उन्होंने भारत की यात्रा भी की. कमला हैरिस की मां का 2009 में सत्तर साल की उम्र में निधन हो गया.

कमला की उम्मीदवारी से जोश में हैं भारतीय-अमरीकी

शेखर नरसिम्हन जैसे डेमोक्रेटिक पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि कमला की उम्मीदवारी ने भारतीय अमरीकी समुदाय को जोश से भर दिया है. वह महिला हैं. उनका दो नस्लों से संबंध हैं और वह राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन की मदद करेंगी. अमरीका के कई समुदायों में उन्हें पसंद किया जाता है और वह वास्तव में स्मार्ट हैं.”

वह कहते हैं आखिर भारतीय मूल के अमरीकियों को कमला पर गर्व क्यों न हो? उनकी उम्मीदवारी बताती है कि अमरूकी समाज में आने वाला वक्त हमारा है

भारत की बेटी ने रचा इतिहास:अमेरिका में पहली महिला उपराष्ट्रपति बनेंगी कमला हैरिस, एक साथ 3 रिकॉर्ड बनाए

कमला हैरिस ने ट्वीट करके खुद के उपराष्ट्रपति बनने पर खुशी जाहिर की। (फाइल फोटो)

डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत से तय हो गया है कि अमेरिका में अब जो बाइडेन राष्ट्रपति और कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बनने जा रहीं हैं। हमारे लिए कमला हैरिस का नाम इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि वे भारतवंशी हैं। यह चुनाव जीतने के बाद उन्होंने एक नहीं बल्कि 3 नए रिकॉर्ड कायम किए हैं। कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति होंगी। इस पद पर काबिज होने वाली वे पहली साउथ एशियन और अश्वेत हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने हैरिस को जीत की बधाई दी

मोदी ने कहा कि आपको जीत की बधाई। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके नेतृत्व और सहयोग से भारत और अमेरिका के रिश्ते और भी ज्यादा मजबूत होंगे।

ट्विटर पर बायो बदला

जीत के बाद कमला हैरिस ने अपनी ट्विटर प्रोफाइल में वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट ऑफ दि यूनाइटेड स्टेट्स जोड़ा है।
जीत के बाद कमला हैरिस ने अपनी ट्विटर प्रोफाइल में वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट ऑफ दि यूनाइटेड स्टेट्स जोड़ा है।
मां भारतीय थीं, पिता जमैका मूल के थे
1964 में हैरिस का जन्‍म ऑकलैंड (कैलिफोर्निया) में हुआ था। उनकी मां भारतीय और पिता जमैका के रहने वाले थे। मां का नाम श्‍यामला गोपालन हैरिस था। उनके पिता डोनाल्‍ड हैरिस थे। डोनाल्‍ड हैरिस ब्रेस्ट कैंसर वैज्ञानिक थे। बताया जाता है कि कमला हैरिस की मां कैंसर का इलाज कराने के लिए अमेरिका पहुंची थीं। वहां उनकी मुलाकात डोनाल्ड हैरिस से हुई।

जीत के बाद बाइडेन से कहा- We did it Joe

कैंपेन में खुद की कहानी बताई थी

12 साल की उम्र में कमला अपनी बहन माया और मां के साथ ऑकलैंड से व्हाइट मॉन्ट्रियल चले गए। इस बीच सभी लगातार भारत भी आते रहे।
1972 में कमला के माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद कमला और उनकी बहन की देखभाल मां ने की।
व्हाइट मॉन्ट्रियल जाने के बाद कमला की मां ने मैकगिल यूनिवर्सिटी में टीचिंग की जॉब शुरू की। इसके साथ वह ज्वैश जनरल हॉस्पिटल में रिसर्च भी करती थीं।
वह अपनी मां के बेहद करीब थी। कमला हैरिस ने कैंपेन में बताया था कि उनकी मां बेहद सख्त थीं।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से कमला ने 1986 में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 1989 में कैलिफोर्निया से लॉ की पढ़ाई पूरी की।
2003 में सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी चुनी गई थीं
55 साल की कमला हैरिस ने 1998 में ब्राउन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की। 2003 में उन्हें सिटी और सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के तौर पर चुना गया था। 2010 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल बनकर इतिहास रचा था। वह पहली अश्वेत महिला थीं, जिन्होंने यह पद हासिल किया था। 2016 में वह दूसरी अश्वेत महिला के तौर पर यूएस सीनेटर चुनी गईं थीं।

अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर करता है
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, कमला अब लाखों-करोड़ों अमेरिकन महिलाओं का प्रतिनिधित्व करेंगी। कमला की जीत का यह भी मायना निकाला जा रहा है कि अमेरिका में लोग रंग आधार पर भेदभाव बंद करना चाहते हैं। चुनाव में अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव का मुद्दा हावी था। लोगों ने ”ब्लैक लाइव मैटर्स” कैंपेन चलाया था। डोनाल्ड ट्रम्प पर शुरू से अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगता रहा।

मैं यहां हूं, इसके पीछे कई लोगों का संघर्ष है
अश्‍वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद हैरिस ने ट्रम्प का जोरदार विरोध शुरू किया। यहीं से उन्हें डेमोक्रेट्स समर्थकों के बीच पसंद किया जाने लगा। उन्होंने समलैंगिक विवाह का भी समर्थन किया। हैरिस ने अगस्त में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में भाषण देते हुए बेकर मोटले, फैनी लू हैमर और शिरीष चिशोल्म जैसी अमेरिकन महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा था कि मैं यहां तक पहुंच सकी हूं उसके पीछे इन महान हस्तियों का संघर्ष है। महिलाओं और पुरुषों में समानता, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय होना चाहिए।

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