सीएए दिल्ली दंगों पर अधिवक्ता-प्रोफेसरों की पुस्तक का आनलाइन विमोचन

एक अधिवक्ता व दो प्रोफेसर ने लिखी दिल्ली दंगों पर किताब, कपिल मिश्रा ने किया ऑनलाइन विमोचन
कपिल मिश्रा ने कहा कि इस पुस्तक ने झूठ के अंधेरे में सच का दिया जलाया है। उन्होंने कहा कि दंगों से पहले कैसे फंडिग हुई और किस तरह दंगो की पूर्व साजिश रची गई।…

रितु राणा, नई दिल्ली। जिया (ग्रुप ऑफ इटलेक्चुअल्स एंड एकेडेमिशियंस) ग्रुप ने ब्लूम्सबरी इंडिया पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित ‘द अनटोल्ड स्टोरी’ दिल्ली दंगों पर लिखी पुस्तक का ऑनलाइन विमोचन किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा नेता कपिल मिश्रा शामिल हुए। कपिल मिश्रा ने कहा कि इस पुस्तक ने झूठ के अंधेरे में सच का दिया जलाया है। उन्होंने कहा कि दंगों से पहले कैसे फंडिग हुई और किस तरह दंगो की पूर्व साजिश रची गई, इन सब की सच्चाई इस पुस्तक में है।

पुस्तक के माध्यम से दंगों का सच आ रहा है बाहर

आगे कपिल मिश्रा ने कहा अर्बन नक्सल व जेहाद ने मिलकर दिल्ली दंगों की साजिश रची और आज जब इस पुस्तक के माध्यम के दंगों का सच बाहर आ रहा है, तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के ठेकेदार डर रहे हैं। वह ठेकेदार जो भारत माता व देवी-देवताओं को अपशब्द कहना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समझते हैं। पहले आम जनता पर हमला, फिर पुलिस पर हमला किया गया। उसके बाद जज व वकीलों पर आरोप लगाए गए और आज लेखक व प्रकाशक के खिलाफ भी लोग बोल रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से अभियान चलाकर इस पुस्तक को मार्केट में आने से रोकने की कोशिश की गई ताकि जनता के सामने दंगों की सच्चाई न आ जाए।

सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं

वहीं, पुस्तक की लेखिका व प्रसिद्ध अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं। ये पुस्तक उन सभी को समर्पित है जो देश से प्रेम करते हैं। पुस्तक दंगों के षड्यंत्रकारियों को आइना दिखाती है। इसमें सिर्फ हिंदु की ही नहीं पीड़ित मुसलमानों की कहानी भी है। हर वो शख्स जो दंगों की चपेटे में आया व स्थानीय नेताओं से बातचीत करके यह पुस्तक पूरे तथ्यों के साथ लिखी गई है। इस मौके पर पुस्तक की दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सोनाली व प्रोफेसर प्रेरणा, मीरा, नुपुर शर्मा, लेखक विवेक अग्निहोत्री, टीसी डोगरा आदि ने भी पुस्तक पर अपने विचार साझा किए।
दिल्ली दंगों पर किताब रुकवाने वाला विलियम डेलरिम्पल है औरंगजेब का मुरीद, #Metoo में भी उछला था नाम

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में विलियम डेलरिम्पल (साभार: @lassiwithlavina on Twitter)
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दिल्ली दंगों पर आधारित किताब ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ का प्रकाशन ब्लूम्सबरी ने रोक दिया था। ऐसा करने के लिए वामपंथी, लिबरल और इस्लामी समूह ने सबसे ज़्यादा दबाव बनाया था। इनके अलावा एक नाम खूब चर्चा में रहा। वह है स्कॉटिश इतिहासकार और लेखक विलियम डेलरिम्पल का। पुस्तक का प्रकाशन रुकवाने में इस कथिम इतिहासकार की मुख्य भूमिका बताई जा रही। हालॉंकि यह पहला मौका नहीं है जब विलियम ने अपनी ज़हरीली मानसिकता का परिचय दिया हो।
विलियम डेलरिम्पल का मुग़लों से लगाव कभी छिपा नहीं रहा। यही वजह है कि मुग़लों का महिमामंडन करते हुए उसने दो पुस्तकें लिखी, ‘द लास्ट मुग़ल’ और व्हाइट मुग़ल।’ इतिहास गवाह है कि मुग़ल शासकों से ज्यादा मानव सभ्यता और मानव अधिकारों का नुकसान किसी और ने नहीं किया। डेलरिम्पल ने अपनी किताब में सबसे ज़्यादा औरंगज़ेब की तारीफ़ की है। उसने औरंगज़ेब को जादुई व्यक्तित्व वाला बताया है।
उसने अपनी किताब में लिखा है, “औरंगज़ेब का शुरुआती रवैया भले कैसा भी रहा हो लेकिन अंत में उसे अपनी भूल का पछतावा हुआ था। उसने अपने अंतिम पत्रों में इन बातों का ज़िक्र किया है कि उसने लोगों को जितना नुकसान पहुँचाया, जितनी तोड़-फोड़ और लूट-पाट की उसे सारी बातों का पछतावा था।” औरंगज़ेब की असलियत पर अपने झूठ का पर्दा डालते हुए डेलरिम्पल ने ऐसी कुछ और बातें लिखी हैं जो हैरान करने वाली हैं।
सभी जानते हैं कि औरंगज़ेब ने कितने मंदिरों का विध्वंस किया। लेकिन इन वास्तविक तथ्यों को दरकिनार करते हुए डेलरिम्पल ने लिखा कि औरंगज़ेब ने भारत हिंदू धर्म के मंदिरों में जितना दान किया वह उल्लेखनीय था। एक ऐसा मुग़ल शासक जिसने राज करने के लिए अपने दो भाइयों को मरवा दिया, अपने पिता को कारावास में कैद करवा दिया, वह डेलरिम्पल जैसे इतिहासकारों की नज़र में दानवीर, दयालु और जादुई है।
लेकिन यह तो विलियम डेलरिम्पल के व्यक्तित्व का सिर्फ एक पहलू है। साल 2018 के दौरान तथाकथित बुद्धिजीवी लेखक और इतिहासकार पर #Metoo में भी आरोप लगे थे। स्क्रॉल की कर्मचारी कर्णिका ने कहा था कि डेलरिम्पल का व्यवहार बहुत भद्दा है। क्या हम कभी उसके व्यवहार के बारे में बात करेंगे?
इसके अलावा प्रीठा ने भी डेलरिम्पल के व्यवहार के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि डेलरिम्पल के आसपास रहना बिलकुल आसान नहीं है। उन्होंने पूरी घटना का ज़िक्र करते हुए बताया था कि कैसे विलियम डेलरिम्पल ने उन्हें फेसबुक पर मित्रता निवेदन भेजा। वह इतने पर ही नहीं रुका और तारीफ़ करते हुए संदेश में भद्दे स्माइली का इस्तेमाल करने लगा। प्रीठा ने बताया कि वह इन बातों से असहज हो ही रही थीं कि डेलरिम्पल ने उनसे डिनर और कॉफ़ी के लिए भी पूछ लिया।
मिस कांडपाल ने भी कहा था कि जैसा प्रीठा के साथ हुआ कुछ वैसा ही मेरे साथ भी हुआ। विलियम ने मुझसे भी डिनर के लिए पूछा था। इसके अलावा लेखक और राजनीतिक विश्लेषक शुभ्रष्ठा ने भी इस बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था शुक्र है, मैं इस डिनर से बच गई और इसके बाद उन्होंने विलियम डेलरिम्पल के सन्देश का स्क्रीनशॉट साझा किया था।
ठीक ऐसे ही साल 2008 में एक साक्षात्कार के दौरान विलियम डेलरिम्पल ने काफी ज़हर उगला था। उसने कहा था कि लोग सीमाओं के पार एक दूसरे से मिलने के लिए आते-जाते रहेंगे। ठीक ऐसा ही जिन्ना ने भी इन दो देशों के बीच बर्लिन की दीवार जैसा कुछ नहीं सोचा था। जिन्ना ने सोचा था कि उसका घर मालाबार की घाटियों में होगा और सप्ताह का अंत बॉम्बे में बीतेगा। मैं इस बात के लिए पूरी तरह आशावादी हूँ,पाकिस्तान का मध्यम वर्ग तरक्की कर ही रहा है।
इस साक्षात्कार के प्रकाशित होने के कुछ महीने बाद ही मुंबई के ताज होटल पर पाकिस्तान के आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई थी। इसके अलावा डेलरिम्पल ने तहलका पत्रिका को एक साक्षात्कार दिया था। इसमें उसने कहा था, “मैंने पाकिस्तान को 20 साल तक कवर किया है और मैं वहाँ के लोगों के बारे में पूरी तरह गलत था। वहाँ के लोग मेरी अपेक्षा से कहीं ज़्यादा अच्छे हैं और मैं उनके लिए आशावादी हूँ।”
खुद को उदारवादी साबित करने की होड़ में विलियम डेलरिम्पल ने अपनी किताब ‘The Anarchy: The Relentless Rise of the East India Company’ में समलैंगिकता पर विचित्र श्रेणी के विचार रखे हैं। डेलरिम्पल लिखता है कि इस्लाम के अभिजात्य वर्ग में उच्च और निम्न वर्ग के लोगों के बीच समलैंगिक संबंध स्वीकार्य थे। जबकि सच यह था कि वह समलैंगिक संबंध नहीं बल्कि नाबालिग और वयस्क के बीच संबंधों की घंटनाएँ थीं। यानी डेलरिम्पल बुद्धिजीवी बनने की दौड़ में अप्राकृतिक कृत्यों को सही बता रहा था।
इतना ही नहीं खुद को इतिहासकार बताने वाला डेलरिम्पल इतिहास से जुड़े तथ्यों में भी गलती करता है। इस संबंध में लेखक अनीश गोखले ने ट्वीट कर जानकारी दी थी। उन्होंने अपनी किताब में नारायणराव पेशवा को माधवराव पेशवा से मिला दिया था। इसके अलावा झूठा दावा भी किया कि बंगाल की लड़ाई में मराठाओं की हार हुई थी।
खुद को इतिहासकार, क्यूरेटर, ब्रॉडकास्टर और आलोचक बताने वाले विलियम डेलरिम्पल ने अभी तक कई किताबें लिखी हैं। जिसमें साल 2009 में आई ‘नाइन लाइव्स’ उल्लेखनीय है, जो अलग-अलग पंथ और समुदाय से आने वाले साधुओं पर आधारित है। डेलरिम्पल ने दो टेलीवीज़न सीरीज़ भी लिखी हैं स्टोन्स ऑफ़ द राज और इंडियन जर्नीज़। कुल मिला कर उसने भारत के आधुनिक इतिहास को कई बार नए सिरे से बताने की कोशिश की है। लेकिन हर बार कही गई बात में विचारधारा ऊपर हो जाती है और वास्तविकता नीचे। मुग़लों पर लिखी गई विलियम डेलरिम्पल की पुस्तकें इस बात का सबसे सटीक उदाहरण हैं। जिस तरह अपनी किताब में उन्होंने औरंगज़ेब को अच्छा शासक बताया, उससे लेखक की असल मंशा पूरी तरह साफ़ हो जाती है।
ठीक वैसा ही कुछ नज़र आ रहा है दिल्ली दंगों पर आधारित किताब दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी के मामले में। ख़बरों में बात यहाँ तक सामने आई है कि किताब के प्रकाशन पर रोक उसके बिना संभव ही नहीं होती। कई लोगों ने ट्विटर पर सार्वजनिक रूप से इसके लिए विलियम डेलरिम्पल का आभार तक जताया है।
इतना ही नहीं वह इस किताब का प्रकाशन रुकवाने के लिए काफ़ी समय से लगा हुआ था। इसके लिए उससे कई वामपंथी लेखकों से निवेदन भी किया था। ऐसे में इस बात का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है कि डेलरिम्पल ने भारतीय आधुनिक इतिहास को केंद्र में रख कर जितना कुछ लिखा है, वह कितना विश्वसनीय और प्रासंगिक होगा।
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Delhi Riots 2020 Book Row:अनुराग कश्यप ने कहा,पुस्तक पर बैन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन
‘दिल्ली रायट 2020’ पुस्तक के विवाद के बीच फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने कहा कि किसी भी चीज़ पर प्रतिबंध लगाना समस्या का ‘समाधान नहीं’ है क्योंकि यह ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करती है।’ कोरोना वायरस और सेलिब्रिटी की मौतों ने 2020 को अभिशाप बना दिया है। हालांकि इस वर्ष की अप्रिय घटनाओं में फरवरी में हुए दिल्ली दंगें भी रहे है।
दिल्ली दंगों पर आधारित किताब ‘दिल्ली रायट 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ को छापने से मना करने के बाद विवाद पैदा हो गया हैl अनुराग कश्यप ने कहा कि किसी भी चीज पर प्रतिबंध लगाने का मतलब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन हैl किताब का नाम लिए बगैर अनुराग कश्यप ने लिखा कि जिस किताब से वह सहमत नहीं हैं, उस किताब पर प्रतिबंध लगाना भी उसी किताब पर प्रतिबंध लगाने जैसा है, जिस पर वह सहमत है।
निर्देशक ने कहा कि यह ऐसी फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के समान है जो किसी को रोकती है और किसी को नाराज करने के चलते प्रतिबंधित होती है। फिल्मब्लैक फ्राइडे के निर्देशक ने आगे लिखा कि लोकतंत्र में सहमति और असहमति दोनों की जगह है। उन्होंने कहा कि लड़ने का तरीका ‘असंतोष और शिक्षा’ के माध्यम से है, और सच्चाई के लिए हमेशा संघर्ष करना होगा। कश्यप ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र में प्रतिबंध लगाना और वापस लेना समाधान नहीं है। दिल्ली दंगा 2020 विवाद दिल्ली दंगा 2020: द अनटोल्ड स्टोरी किताब के एक लॉन्च इवेंट के पोस्टर के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया।
लेखक मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा के अलावा, भाजपा नेता कपिल मिश्रा और निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। पुस्तक के प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने विवाद होने के बाद एक बयान जारी किया कि वे पुस्तक वापस ले रहे है। इसके बाद विवाद और बढ़ गया।
Delhi Riots 2020- The Untold Story Issue : लेखक विलियम डेलरिंपल का वीजा रद करने की मांग
जैसे ही ये खबर आई कि ब्लूम्सबरी ने इस पुस्तक का प्रकाशन रोकने का फैसला लिया है तो लेखक आतिश तासीर ने ट्वीट करके विलियम डेलरिंपल का धन्यवाद किया।…

दिल्ली दंगों पर लिखी गई किताब ‘दिल्ली रॉयट्स 2020- द अनटोल्ड स्टोरी’ के प्रकाशन रोकने के प्रकाशक ब्लूम्सबरी के फैसले को लेकर बौद्धिक जगत में आरोप-प्रत्यारोप के तीर चल रहे हैं। इस किताब को सुप्रीम कोर्ट की वकील मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा ने लिखा है और इसका प्रकाशन ब्लूम्सबरी प्रकाशन से होनेवाला था। शनिवार की दोपहर जब ब्लूम्सबरी ने इसके प्रकाशन को रोकने की घोषणा की, तो उसके इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर पक्ष और विपक्ष में बातें शुरू हो गईं।
जैसे ही ये खबर आई कि ब्लूम्सबरी ने इस पुस्तक का प्रकाशन रोकने का फैसला लिया है, तो लेखक आतिश तासीर ने ट्वीट करके विलियम डेलरिंपल का धन्यवाद किया। आतिश ने लिखा कि वो विलियम डेलरिंपल के आभारी हैं कि उन्होंने इस शर्मनाक स्टेट प्रोपगंडा को रोकने का प्रयास किया, उनके सहयोग के बिना ये संभव नहीं था। आतिश तासीर के इस ट्वीट के बाद ये बात सामने आ गई कि लेखक और जयपुर लिटरेटर फेस्टिवल के डायरेक्टर विलियम डेलरिंपल की इस किताब को रोकने में भूमिका थी। गौरतलब है कि विलियम डेलरिंपल की किताबों के प्रकाशक ब्लूम्सबरी ही हैं।
विलियम डंलरिंपल का नाम आने के बाद सोशल मीडिया पर विलियम डेलरिंपल का वीजा रद करने की मांग उठने लगी। आपको बताते चलें कि विलियम डेलरिंपल ब्रिटिश नागरिक हैं और काफी लंबे समय से भारत में रह रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने ट्वीट किया, ‘ब्लूम्सबरी इंडिया अब दिल्ली दंगों की किताब नहीं छापेगा, क्योंकि दिल्ली के फॉर्म हाउस में रहनेवाला एक पाकिस्तानी और एक फिरंगी विलियम डेलरिंपल नहीं चाहता। भारत सरकार को इस विदेशी का वीजा रद करना चाहिए।’ इस तरह के कई ट्वीट सोशल मीडिया पर आ रहे हैं।
उधर इस किताब की लेखिका मोनिका अरोड़ा ने ट्वीटर पर ब्लूम्सबरी को टैग करते हुए लिखा, ‘ब्लूम्सबरी इंडिया, कृपया अपने लेखकों को हाशिए पर मत डालें। हमें कम से कम एक ईमेल तो लिखा होता कि आप हमारी पुस्तक दिल्ली रॉयट्स,2020- द अनटोल्ड स्टोरी का प्रकाशन नहीं कर रहे हैं। आपने सभी प्लेटफॉर्म से इस किताब को हटा दिया है, ताकि लोग इसको पढ़ नहीं सकें। क्या अंतराष्ट्रीय कार्यकर्ता इस बात का निर्णय करेंगे कि भारतीय क्या पढ़े या नहीं पढ़ें?’ साफ है कि मोनिका अरोड़ा भी विलियम डेलरिंपल की ओर ही इशारा कर रही हैं।
इस वर्ष दिल्ली में हुए दंगों को लेकर मोनिका अरोड़ा की इस किताब के प्रकाशन के पहले ब्लूम्सबरी इंडिया ने शाहीन बाग, फ्रॉम अ प्रोटेस्ट टू अ मूवमेंट नाम की पुस्तक का प्रकाशन किया। इस पुस्तक को लेकर कहीं किसी प्रकार का सवाल खड़ा नहीं किया गया था। अब बौद्धिक जगत में इस बात को लेकर सवाल उठ रहा है कि एक प्रकाशन गृह वैचारिक लड़ाई में क्यों पक्षपात कर रहा है।
गरुड़ प्रकाशन से दिल्ली दंगों पर आएगी किताब, वामपंथियो और कट्टरपंथियों के दबाव में झुक गया था ब्लूम्सबरी
गरुड़ प्रकाशन दिल्ली दंगों पर किताब प्रकाशित करेगा
ब्लूम्सबरी (Bloomsbury) प्रकाशन समूह दिल्ली दंगों पर आधारित किताब Delhi Riots 2020: The Untold Story प्रकाशित करने वाला था। लेकिन इस्लामी और वामपंथियों के दबाव में आकर उसने किताब का प्रकाशन रोक दिया। अब इस किताब को गरुड़ प्रकाशन समूह प्रकाशित करेगा। इस किताब की लेखिका मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितालकर और प्रेरणा मल्होत्रा हैं।
बीते दिन (22 अगस्त 2020) इस किताब के वर्चुअल विमोचन के दौरान ब्लूम्सबरी यूके मुख्यालय से दबाव बनाया गया। जिसके बाद प्रकाशन समूह ने अचानक ही किताब प्रकाशित करने से मना कर दिया था।
किताब की लेखिका मोनिका अरोड़ा ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लोगों को भावना देखते हुए उन्होंने फैसला किया है कि गरुड़ प्रकाशन समूह के साथ जाएँगे। यह फ़िलहाल स्टार्टअप की तरह चल रहा है। लेखिका ने ब्लूम्सबरी प्रकाशन समूह को इस संबंध में मेल भी किया था। लेकिन वहाँ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने के बाद उन्होंने यह फैसला किया। मेल में उन्होंने साफ़ तौर पर पूछा कि क्या वह इस किताब का प्रकाशन रोक रहे हैं? वह इस बात को लिखित में दें लेकिन ब्लूम्सबरी ने फोन पर ही इस बात की जानकारी दी। यानी समझौता ख़त्म करने के लिए कोई लिखित कार्रवाई नहीं की गई।
किताब की लेखिका मोनिका अरोड़ा ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट कर भी जानकारी दी। ट्वीट में उन्होंने लिखा “निवेदन के बाद हमसे से लिखित तौर पर कोई संवाद नहीं किया गया। हम अपनी किताब की हत्या नहीं कर सकते हैं, लोग इस किताब को खरीदना चाहते हैं। हमारे पास दूसरे प्रकाशन समूह को स्वीकार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता है।”

किताब की लेखिका का ट्वीट

इस बात की पुष्टि करते हुए गरुड़ प्रकाश ने भी ट्वीट किया। साथ ही उन्होंने किताब की लेखिका मोनिका अरोड़ा का आभार भी जताया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “दोस्तों! आप सभी के सहयोग के लिए धन्यवाद। आइए इस किताब को घर-घर तक पहुँचाते हैं।” इसके बाद प्रकाशन समूह ने ट्वीट करके यह जानकारी भी दी कि किताब हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषा में विमोचित की जाएगी। जल्द ही यह किताब उपलब्ध कराई जाएगी।
उल्लेखनीय बात यह रही कि जैसे ही ब्लूम्सबरी ने किताब छापने से मना कर किया गरुड़ प्रकाशन समूह ने इसे प्रकाशित करने का प्रस्ताव दिया था।
पूरी किताब The book of ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story इसकी लेखिकाओं द्वारा की गई जाँच – पड़ताल और साक्षात्कार पर आधारित है। अगले महीने यह किताब प्रकाशित होनी थी। किताब की 100 प्रतियाँ लेखिका को उपलब्ध भी कराई जा चुकी थी। इसके अलावा किताब अमेज़न पर प्री ऑर्डर के लिए उपलब्ध भी थी। लेकिन जैसे ही लेखिकाओं ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा की मौजूदगी में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए किताब विमोचन की बात कही, वैसे ही कॉन्ग्रेस समेत तमाम वामपंथी नेताओं ने इसके विरोध में अभियान चलना शुरू कर दिया।
विलियम डेलरीमैपल जैसे वामपंथी इतिहासकारों की टीका टिप्पणी और आक्षेप के बाद ब्लूम्सबरी ने किताब प्रकाशित करने से मना कर दिया। ऐसा करने से पहले उन्होंने किताब की लेखिका को सूचित करना भी ज़रूरी नहीं समझा। गरुड़ प्रकाशन एक भारतीय प्रकाशन समूह है। इसकी शुरुआत संक्रांत सानू ने की थी और इसमें उनके साथ थे अंकुर पाठक। हाल ही में इस प्रकाशन समूह ने विवेक अग्निहोत्री की अर्बन नक्सल का प्रकाशन किया था।

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